देहरादून/जयपुर/चंडीगढ़/श्रीनगर: उत्तर भारत के कई राज्यों में भारी बारिश और उससे उत्पन्न बाढ़ व भूस्खलन की घटनाओं ने हालात गंभीर बना दिए हैं। पहाड़ों से लेकर मैदानी इलाकों तक जलवायु की मार साफ देखी जा रही है। उत्तराखंड, पंजाब, राजस्थान, जम्मू-कश्मीर और दिल्ली-एनसीआर तक हालात तेजी से बिगड़ रहे हैं। भारतीय मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने चेतावनी दी है कि सितंबर में भी हालात सामान्य नहीं होंगे और बारिश व बाढ़ का खतरा बना रहेगा।
पिथौरागढ़ में टनल पर लैंडस्लाइड, कई मजदूर फंसे
उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले में धौलीगंगा जल विद्युत परियोजना की निर्माणाधीन सुरंग पर भारी भूस्खलन हो गया। तेज बारिश के कारण हुए इस लैंडस्लाइड में सुरंग के अंदर काम कर रहे 19 मजदूर फंस गए। अब तक 8 मजदूरों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है, जबकि 11 लोगों को निकालने का रेस्क्यू ऑपरेशन अभी जारी है। एसडीआरएफ, एनडीआरएफ और स्थानीय प्रशासन की टीमें राहत कार्य में जुटी हुई हैं।
मौसम विभाग के अनुसार, अगले कुछ सप्ताहों में उत्तराखंड में लैंडस्लाइड और बाढ़ की घटनाएं लगातार बनी रह सकती हैं। इससे पहाड़ी इलाकों में यात्रा और निर्माण कार्यों पर भी असर पड़ सकता है।
IMD की चेतावनी: सितंबर में बारिश से राहत नहीं
भारतीय मौसम विज्ञान विभाग के महानिदेशक डॉ. मृत्युंजय महापात्र ने रविवार को एक वर्चुअल प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बताया कि सितंबर में भी उत्तर भारत के कई इलाकों में सामान्य से ज्यादा बारिश होने की संभावना है। उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान जैसे राज्यों में भारी बारिश और बाढ़ का खतरा बना रहेगा।
IMD के आंकड़ों के अनुसार, इस बार सितंबर में औसतन 167.9 मिमी से ज्यादा वर्षा हो सकती है, जो कई क्षेत्रों में जलभराव और जनजीवन को प्रभावित कर सकती है।
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जम्मू-कश्मीर: बगलिहार डैम के गेट खोले गए
जम्मू-कश्मीर के रामबन जिले में मूसलधार बारिश के बाद चिनाब नदी का जलस्तर काफी बढ़ गया है। स्थिति को नियंत्रण में रखने के लिए बगलिहार जल विद्युत परियोजना के सभी गेट खोल दिए गए हैं, ताकि पानी का दबाव नियंत्रित किया जा सके। इससे आसपास के क्षेत्रों में जलभराव की संभावना बढ़ गई है।
राजस्थान: हनुमानगढ़ में भटनेर किले की दीवार गिरी
राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में लगातार बारिश के चलते ऐतिहासिक भटनेर किले की एक दीवार ढह गई। यह किला सदियों पुराना है और इसकी ऐतिहासिक विरासत को संरक्षित रखने की लंबे समय से कोशिशें चल रही थीं। लेकिन भारी बारिश के कारण यह संरचना भी नहीं टिक सकी। सौभाग्य से इस हादसे में कोई हताहत नहीं हुआ, लेकिन राज्य सरकार ने सभी संबंधित विभागों को चेतावनी जारी कर दी है और कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं ताकि आपात स्थिति में त्वरित प्रतिक्रिया दी जा सके।
पंजाब: 1000 से ज्यादा गांवों में बाढ़, 11 हजार लोग बेघर
पंजाब में सतलुज, ब्यास और रावी नदियों का जलस्तर खतरनाक स्तर तक पहुंच चुका है। 8 जिलों के 1000 से अधिक गांव बाढ़ की चपेट में हैं। प्रशासन ने अब तक 11 हजार से ज्यादा लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया है। राज्य में अब तक 8 लोगों की मौत और 3 के लापता होने की खबर है।
कपूरथला के कमिश्नर अमित कुमार पंचाल ने बताया कि ब्यास नदी का जलस्तर 2.35 लाख क्यूसेक तक पहुंच गया है। प्रशासन ने निचले इलाकों के लोगों से तुरंत सुरक्षित स्थानों पर पहुंचने की अपील की है। मौसम विभाग ने इन इलाकों में रेड अलर्ट जारी किया है।
सबसे अधिक प्रभावित जिले हैं – पठानकोट, गुरदासपुर, फाजिल्का, कपूरथला, तरन तारन, फिरोजपुर, होशियारपुर और अमृतसर।
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