Nepal Next PM: जब कोई देश उबाल पर हो, जब जनता की आवाज़ सड़कों पर गूंज रही हो और जब नेता एक के बाद एक कटघरे में खड़े हो रहे हों तो तय समझिए कि लोकतंत्र नए मोड़ पर है। नेपाल आज उसी मोड़ से गुजर रहा है। राजधानी काठमांडू की गलियों में आक्रोश है, और संसद के गलियारों में सन्नाटा।
प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस्तीफा दे दिया है, और उनके इस्तीफे के बाद अब एक बड़ा सवाल पूरे नेपाल को झकझोर रहा है कि आखिर अगला प्रधानमंत्री कौन होगा?
केपी शर्मा ओली का इस्तीफा
मंगलवार को प्रधानमंत्री ओली ने उस वक्त इस्तीफा दे दिया, जब देशभर में सरकार के खिलाफ हिंसक प्रदर्शन उफान पर थे। ये विरोध सिर्फ सोशल मीडिया पर बैन को लेकर नहीं थे, बल्कि इसके पीछे था भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद और राजनीतिक संरक्षणवाद से तंग आ चुकी जनता का आक्रोश।
19 लोगों की जान जा चुकी है, 250 से अधिक घायल हैं। गुस्सा इतना था कि ओली का निजी आवास आग के हवाले कर दिया गया, और खबरें ये भी हैं कि वे देश छोड़कर फरार हो गए हैं। ऐसे में सियासी उठापटक के इस तूफान में अब सबकी नजरें टिक गई हैं रबी लामिछाने और बलेन शाह जैसे दो नए चेहरों पर।
रबी लामिछाने: युवाओं की उम्मीद
रबी लामिछाने, जो कभी देश के गृह मंत्री रह चुके हैं, अब प्रधानमंत्री पद की दौड़ में सबसे आगे माने जा रहे हैं। उन्होंने हाल ही में राष्ट्रीय स्वतंत्र पार्टी (RSP) बनाई थी और उनके 21 सांसदों ने एक साथ इस्तीफा देकर ओली पर दबाव बनाने में बड़ी भूमिका निभाई।
रबी लामिछाने सिर्फ एक राजनेता नहीं हैं वे युवाओं के बीच एक क्रांति का चेहरा बन चुके हैं। सोशल मीडिया पर उनकी जबरदस्त मौजूदगी है, और वे खुद को भ्रष्टाचार विरोधी राजनीति के प्रतीक के रूप में पेश करते हैं।
ऐसा माना जा रहा है कि इस बार की बगावत के पीछे उन्हीं की रणनीति थी। उन्होंने सोशल मीडिया की ताकत को समझा और युवाओं की आवाज़ को संसद के दरवाजे तक पहुंचा दिया।
लेकिन सवाल ये भी है कि क्या लामिछाने सच में देश को एक नई दिशा देंगे या यह भी एक और सियासी चाल है? क्या वे सड़कों पर उतरे युवा दिलों की उम्मीदों पर खरे उतर पाएंगे?
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बलेन शाह: एक रैपर से पीएम पद की दावेदारी
अगर कोई शख्स है जिसने राजनीति में अपनी जगह बिना किसी पार्टी के बनाई, तो वह हैं बलेंद्र शाह, जिन्हें आमतौर पर लोग बलेन शाह के नाम से जानते हैं। वे इंजीनियर, रैपर, कवि और अब राजनेता हैं।
2022 में जब वे काठमांडू के मेयर बने थे, तब उन्होंने साबित कर दिया था कि जनता को अब बदलाव चाहिए, चेहरे चाहिए, और वो भी सिस्टम से बाहर के।
बलेन शाह ने हाल ही में जन आंदोलन का समर्थन करते हुए एक मजबूत संदेश दिया। उन्होंने साफ कहा कि वे सोशल मीडिया पर प्रतिबंध, भ्रष्टाचार और नौकरियों में भेदभाव के खिलाफ खड़े हैं।
लेकिन क्या मेयर की कुर्सी से उठकर देश की सबसे बड़ी कुर्सी तक पहुंचना उनके लिए आसान होगा? राजनीति के धुरंधरों के सामने क्या यह “इंडिपेंडेंट रैपर” अपने विचारों के दम पर टिक पाएगा?
काठमांडू की सड़कों पर बवाल
मंगलवार का दिन नेपाल के इतिहास में एक काला दिन बनकर दर्ज हुआ। प्रदर्शनकारियों ने न सिर्फ प्रधानमंत्री ओली के घर को आग के हवाले किया, बल्कि उपप्रधानमंत्री विष्णु पौडेल, नेपाल राष्ट्र बैंक के गवर्नर बिस्वो पौडेल, और पूर्व पीएम शेर बहादुर देउबा के घरों को भी निशाना बनाया।
आरजू राणा देउबा, जो नेपाल की विदेश मंत्री हैं और शेर बहादुर की पत्नी हैं, उनके साथ भी मारपीट की खबरें आई हैं।
यह सब बताता है कि जनता अब सिर्फ नाराज़ नहीं है, जनता उबल रही है। और जब जनता सड़कों पर आती है, तो सिर्फ सरकारें नहीं गिरतीं सत्ता के मायने भी बदल जाते हैं।
क्या नेपाल की राजनीति बदलने वाली है?
नेपाल लंबे समय से राजनीतिक अस्थिरता का शिकार रहा है। राजशाही से गणतंत्र और अब एक बार फिर सड़कों से सत्ता तक संघर्ष। लेकिन इस बार कुछ अलग है।
न तो यह सिर्फ वामपंथ और दक्षिणपंथ की लड़ाई है, और न ही यह किसी बाहरी ताकत की चाल लग रही है। यह लड़ाई है नई सोच बनाम पुरानी व्यवस्था की।
बलेन शाह और रबी लामिछाने जैसे नेता उस नई सोच के प्रतीक बनकर उभरे हैं, जो अब जन समर्थन के साथ देश की कमान संभालने को तैयार हैं।
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