Bihar Election JDU Candidate List: बिहार विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच जनता दल (यू) ने गुरुवार को अपनी दूसरी सूची जारी की; अब तक दो सूची मिलाकर पार्टी ने 101 सीटों पर अपने प्रत्याशियों का ऐलान कर दिया है। पहले बुधवार को पहली सूची में 57 उम्मीदवारों को नामित किया गया था, और इसके बाद दूसरी सूची में 44 नामों की घोषणा की गई। इस सूची में जातीय, सामाजिक एवं राजनीतिक विविधता पर विशेष ध्यान दिया गया है, साथ ही कुछ ऐसे चेहरे शामिल किए गए हैं, जो विवाद और चर्चा का विषय बन सकते हैं।
नीचे इस सूची की प्रमुख विशेषताएँ, रणनीति और संभावित चुनौतियाँ विस्तार से प्रस्तुत हैं:
सूची की मुख्य विशेषताएँ
- महिलाओं और अल्पसंख्यकों का प्रतिनिधित्व
- कुल 13 महिलाओं को टिकट दिए गए हैं।
- 4 मुस्लिम उम्मीदवारों को भी सूची में शामिल किया गया है।
सामाजिक वर्गीकरण के अनुसार टिकटों का विभाजन इस तरह हुआ है:
- 37 सीटें— पिछड़ा वर्ग
- 22 सीटें— अति पिछड़ा वर्ग
- 22 सीटें— सामान्य वर्ग
- 4 सीटें— अल्पसंख्यक
- 1 सीट— अनुसूचित जनजाति
- अनुभव बनाम ताज़ा पत्ते
- 37 मौजूदा विधायक (MLAs) को दोबारा मैदान में उतारा गया है।
- 4 मौजूदा विधायकों को इस बार टिकट नहीं मिला।
कुछ मामलो में राजनीति के स्थायित्व की अपेक्षा को ध्यान में रखते हुए भरोसा दिखाया गया है।
बाहुबली प्रभाव और पारिवारिक राजनीति
सूची में अनंत सिंह (मोकामा), धूमल सिंह (एकमा), और अमरेंद्र पांडेय (कुचायकोट) जैसे तीन बाहुबलियों को टिकट दिया गया है।
चेतन आनंद, जो आनंद मोहन के पुत्र हैं और 2020 में शिवहर से विधायक थे, को औरंगाबाद जिले की नवीनगर सीट से मैदान में उतारा गया है।
विन विभा देवी, जिन्हें पहले तेजस्वी यादव की पत्नी राजश्री से तुलना करने वाले बयानों की वजह से विवादों में लाया गया था, को भी टिकट मिला है।
मनोरमा देवी को, जिन्होंने पिछली बेलागंज उपचुनाव में जीत दर्ज की थी, फिर से मौका दिया गया है।
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कुछ बदलाव और टिकाऊ फैसले
हिलसा सीट से कृष्ण मुरारी शरण उर्फ प्रेम मुखिया, जिन्होंने 2020 में सिर्फ 12 वोटों के अंतर से जीत दर्ज की थी, को फिर से उम्मीदवार बनाया गया है।
- मंत्री विजय कुमार चौधरी को फिर से टिकट दिया गया, जबकि पहले संभावना थी कि उनका बेटा मैदान में उतरे।
- मंत्री महेश्वर हजारी को भी पुनः टिकट मिला है, इस बार कल्याणपुर से।
- अन्य नाम जैसे श्रवण कुमार, मदन सहनी, सुनील कुमार आदि को भी सूची में जगह मिली है।
सीट-शेयरिंग, गठबंधन और सत्ता समीकरण
पार्टी ने अपनी सीटों में से कुछ सीटें सहयोगियों को रिजर्व की हैं।
जदयू और बीजेपी ने 101–101 सीटों पर चुनाव लड़ने का प्रारंभिक फॉर्मूला तय किया है, और बाकी 41 सीटें गठबंधन सहयोगी दलों में बांटी गई हैं।
सम्राट चौधरी के लिए, जदयू ने अपनी वर्तमान सीट छोड़ दी है, और इस बार वह बीजेपी कोटे से उसी सीट पर चुनाव लड़ेंगे।
जदयू ने परबत्ता सीट भी गठबंधन के लिए छोड़ी है।
दिलचस्प यह है कि जदयू ने चिराग पासवान की दावा की गई 5 सीटों (सोनबरसा, अलौली, राजगीर, एकमा, मोरबा) पर भी प्रत्यक्ष प्रत्याशी उतारे हैं, जो संकेत देता है कि पार्टी अपनी राजनीतिक दावेदारी सामने रखते हुए गठबंधन समीकरणों को चुनौती देना चाहती है।
रणनीतिक मायने और चुनौतियाँ-
नाम और पहचान का दबाव
बाहुबली और परिवार-आधारित राजनीति अभी भी बिहार में शक्ति का स्रोत हैं। लेकिन आज का मतदाता सिर्फ नाम से प्रभावित नहीं होता, उसे कार्य, छवि, संपर्क और स्थानीय मुद्दों का जवाब चाहिए।
समर्थन बनाम असंतोष
टिकट कटे विधायकों और समर्थकों में नाराजगी होने की संभावना है। फैक्टर होगा कि पार्टी उन्हें संतुष्ट रखे या नहीं।
गठबंधन तनाव
चिराग की सीटों पर उम्मीदवार उतारना गठबंधन के भीतर तनाव उत्पन्न कर सकता है। एनडीए का तालमेल इस तरह के कदमों से अनिश्चित हो सकता है।
जातीय समीकरण का ट्रांसलेशन
टिकट वितरण में पिछड़ों, सामान्य वर्गों और अल्पसंख्यकों को शामिल करना एक रणनीति है, लेकिन यह महत्वपूर्ण है कि इसे वोटों की भाषा में परिणत किया जाए।
प्रत्याशियों की तैयारी
जदयू को प्रत्याशियों को समुचित संसाधन, प्रचार और संगठन समर्थन देना होगा, ताकि वे मैदान पर पॉलिटिकल मुकाबले में टिक पाएं।
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