देश के कई हिस्सों में इन दिनों आसमान से बरसती आफत ने आम जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित कर दिया है। दिल्ली की सड़कों से लेकर मथुरा की गलियों तक, हर तरफ पानी का सैलाब है। कोई अपने घर से नहीं निकल पा रहा, तो किसी का आशियाना ही पानी में समा गया है। ऐसे हालात में हर दिल बस यही दुआ कर रहा है कि अब बादल थम जाएं, और ज़िंदगी फिर से पटरी पर लौटे। आइए जानते हैं कि देश के कौन-कौन से हिस्सों में हालात कितने गंभीर हो चुके हैं और किस तरह लोग इस मुश्किल घड़ी से जूझ रहे हैं।
दिल्ली: यमुना के कहर से बेहाल राजधानी
दिल्ली एक बार फिर पानी-पानी हो गई है। यमुना नदी लगातार खतरे के निशान से ऊपर बह रही है और इससे राजधानी के कई इलाके बाढ़ की चपेट में आ गए हैं। मॉनेस्ट्री मार्केट, यमुना बाजार, निगम बोध घाट, वासुदेव घाट, कश्मीरी गेट और मयूर विहार जैसे इलाके जलमग्न हो चुके हैं।
सबसे चौंकाने वाला दृश्य तब सामने आया जब सिविल लाइंस स्थित स्वामीनारायण मंदिर परिसर में लगभग 5 फीट तक पानी भर गया। यह केवल पानी भरने की खबर नहीं थी, यह उस शहर की बेबसी की तस्वीर थी जो देश की राजधानी कहलाती है।
हर साल की तरह इस साल भी प्रशासनिक तैयारियों की पोल खुल चुकी है। लोगों के घरों में पानी घुस चुका है, दुकानें बंद हो गई हैं, और जनजीवन बुरी तरह अस्त-व्यस्त हो गया है।
मथुरा और आगरा: यमुना ने डुबो दी ज़मीन
दिल्ली ही नहीं, यमुना का कहर उत्तर प्रदेश के मथुरा और आगरा में भी देखने को मिल रहा है। मथुरा की 20 से ज्यादा कॉलोनियों में यमुना का पानी घुस चुका है। लोग अपने घरों को छोड़कर ऊंचे इलाकों में शरण लेने को मजबूर हैं।
आगरा में स्थिति और भी भयावह हो गई है। ताज महल की बाउंड्री तक यमुना का पानी पहुंच गया है और उसके पीछे का पार्क पूरी तरह डूब चुका है। शुक्रवार को हुई भारी बारिश ने शहर की 50 से ज्यादा सड़कों को पानी-पानी कर दिया, जिससे गाड़ियां डूब गईं और यातायात पूरी तरह ठप हो गया।
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उत्तराखंड: फिर से खुला चारधाम यात्रा का रास्ता
उत्तर भारत की इस बारिश ने जहां कहर बरपाया है, वहीं एक राहत की खबर उत्तराखंड से आई है। चारधाम यात्रा, जो खराब मौसम के चलते 1 से 5 सितंबर तक बंद कर दी गई थी, अब दोबारा शुरू हो गई है।
सरकार ने तीर्थयात्रियों के लिए रजिस्ट्रेशन भी फिर से शुरू कर दिया है। यह खबर उन लाखों श्रद्धालुओं के लिए उम्मीद की किरण बनकर आई है जो बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री के दर्शन की आस लगाए बैठे थे।
हालांकि मौसम विभाग ने अब भी सतर्क रहने की सलाह दी है, लेकिन फिलहाल यात्रा की बहाली लोगों के लिए एक भावनात्मक राहत बनकर सामने आई है।
पंजाब: 12 दिनों से डूबी ज़िंदगी, तैरती उम्मीदें
पंजाब के हालात भी किसी आपदा से कम नहीं हैं। राज्य के 23 जिलों के करीब 1900 गांव पिछले 12 दिनों से बाढ़ की चपेट में हैं। करीब 3.84 लाख से ज्यादा लोग इस बाढ़ से प्रभावित हो चुके हैं।
अब तक 43 लोगों की जान जा चुकी है और 1.72 लाख हेक्टेयर से ज्यादा फसल पूरी तरह बर्बाद हो चुकी है।
हालांकि राहत की बात यह है कि अगले 4 दिनों तक बारिश की कोई चेतावनी नहीं है, जिससे बाढ़ का पानी उतरने की संभावना जताई जा रही है। लोगों की नजरें अब सिर्फ राहत और बचाव कार्यों पर टिकी हैं।
जम्मू-कश्मीर: भूस्खलन ने रोका जीवन का रास्ता
जम्मू-कश्मीर में लगातार हो रही बारिश के कारण लैंडस्लाइड जैसी घटनाएं बढ़ गई हैं। जम्मू-श्रीनगर हाईवे और सिंथन रोड को बंद कर दिया गया है, जिससे करीब 3700 से ज्यादा वाहन रास्ते में फंसे हुए हैं।
श्रीनगर और बडगाम में भी बारिश ने लोगों का जीना दूभर कर दिया है। माता वैष्णो देवी की तीर्थयात्रा भी बीते 11 दिनों से स्थगित है। 26 अगस्त को हुए भूस्खलन के बाद यह निर्णय लिया गया था, और अब तक हालात सामान्य नहीं हो पाए हैं।
गुजरात: नर्मदा और किम नदी से बाढ़ का खतरा
गुजरात के सूरत और वडोदरा जिले भारी बारिश से सबसे अधिक प्रभावित हैं। नर्मदा और किम नदी का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है और बाढ़ का खतरा मंडरा रहा है।
प्रशासन ने निचले इलाकों के लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी है। राहत और बचाव दल लगातार सक्रिय हैं, लेकिन बारिश थमने का नाम नहीं ले रही।
गुजरात जैसे औद्योगिक राज्य में ऐसी स्थिति होने से कई फैक्ट्रियां बंद करनी पड़ी हैं और सैकड़ों मजदूरों की रोज़ी-रोटी पर संकट आ गया है।
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