Virat Kohli London Fitness Test: जब बात भारतीय क्रिकेट की हो, तो विराट कोहली का नाम सबसे पहले लिया जाता है। वह न सिर्फ खेल के मैदान में बल्कि मैदान के बाहर भी अपने फैसलों से चर्चा में रहते हैं। हाल ही में विराट कोहली ने एक ऐसा फैसला लिया, जिसने कई लोगों को हैरानी में डाल दिया—उन्होंने लंदन में भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (BCCI) की निगरानी में फिटनेस टेस्ट पास किया। इस पर सवाल भी उठे और सराहना भी हुई। आइए समझते हैं इस पूरे मामले को भावनात्मक और मानवीय दृष्टिकोण से।
विराट कोहली ने लंदन में क्यों दिया फिटनेस टेस्ट?
विराट कोहली इन दिनों अपने परिवार के साथ लंदन में हैं। कई क्रिकेटर्स की तरह, विराट ने भी क्रिकेट से थोड़ा ब्रेक लेकर अपने परिवार के साथ समय बिताने का फैसला किया। लेकिन जब BCCI ने खिलाड़ियों के लिए फिटनेस टेस्ट की तारीख तय की, तो विराट ने इस ज़िम्मेदारी को नज़रअंदाज़ नहीं किया। उन्होंने बोर्ड से अनुमति मांगी कि क्या वे लंदन में ही फिटनेस टेस्ट दे सकते हैं, और BCCI ने इस पर हामी भर दी।
फिर क्या था—BCCI के फिजियोथेरेपिस्ट और स्ट्रेंथ एंड कंडीशनिंग कोच की मौजूदगी में कोहली ने सफलतापूर्वक टेस्ट पास कर लिया। यह दिखाता है कि विराट क्रिकेट के प्रति कितने समर्पित हैं, चाहे वो देश में हों या विदेश में।
बेंगलुरु में हुए टेस्ट से तुलना, और उठते सवाल
वहीं दूसरी ओर, रोहित शर्मा समेत भारत के बाकी खिलाड़ी 29 अगस्त को बेंगलुरु स्थित सेंटर ऑफ एक्सीलेंस (CoE) में पहुंचे और वहीं पर अपनी फिटनेस का प्रमाण दिया। रोहित ने ना सिर्फ यो-यो टेस्ट बल्कि ब्रोंको टेस्ट को भी सफलता से पूरा किया।
शुभमन गिल, जसप्रीत बुमराह, मोहम्मद सिराज, यशस्वी जायसवाल, वॉशिंगटन सुंदर और शार्दूल ठाकुर भी इस टेस्ट में पास हुए। इन सबकी मौजूदगी बेंगलुरु में थी, लेकिन विराट की गैर-मौजूदगी ने सोशल मीडिया से लेकर क्रिकेट पंडितों तक में सवाल खड़े कर दिए—क्या ऐसा करना सही था? क्या सभी खिलाड़ियों के लिए एक जैसे नियम नहीं होने चाहिए?
ये भी पढ़ें- जल्द लॉन्च होगी Royal Enfield की पहली इलेक्ट्रिक बाइक, जानें FF C6 की रेंज, फीचर्स और कीमत
क्या कोहली का फैसला व्यक्तिगत था या पेशेवर?
इस सवाल का जवाब दिल से सोचें, तो विराट कोहली ने पेशेवर और व्यक्तिगत ज़िम्मेदारियों के बीच संतुलन साधने की कोशिश की है। क्रिकेटर भी इंसान होते हैं, जिनके जीवन में परिवार का भी उतना ही महत्व होता है जितना कि करियर का। कोहली ने जहां एक ओर परिवार के साथ समय बिताया, वहीं फिटनेस को लेकर कोई कोताही नहीं बरती।
BCCI की निगरानी में टेस्ट देने का मतलब यही है कि उन्होंने किसी तरह की छूट नहीं ली। टेस्ट की प्रक्रिया वही रही, सिर्फ स्थान बदला। इससे यह भी साफ होता है कि बोर्ड और खिलाड़ी के बीच विश्वास है।
वनडे में फिर दिखेगा विराट का जलवा
आपको याद होगा कि 2024 के टी-20 विश्व कप के बाद विराट कोहली ने रोहित शर्मा और रवींद्र जडेजा के साथ टी-20 फॉर्मेट से संन्यास ले लिया था। टेस्ट क्रिकेट से भी वह पहले ही विदाई ले चुके हैं। अब उनका पूरा फोकस वनडे फॉर्मेट पर है, और अक्टूबर-नवंबर में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ होने वाली सीरीज में वह भारत के लिए मैदान में उतर सकते हैं।
यह भी उम्मीद की जा रही है कि विराट का अनुभव और फॉर्म टीम इंडिया को मजबूती देगा, खासकर तब जब अगले साल चैंपियंस ट्रॉफी जैसे बड़े टूर्नामेंट सामने हैं।
दूसरा चरण: बाकी खिलाड़ियों की बारी
BCCI ने फिटनेस प्रक्रिया को दो चरणों में बाँटा है। पहला चरण अगस्त में हो चुका है, जिसमें ज्यादातर खिलाड़ी फिट पाए गए। अब सितंबर में दूसरा चरण होगा, जिसमें के.एल. राहुल, रवींद्र जडेजा, ऋषभ पंत और नीतीश रेड्डी जैसे खिलाड़ियों की फिटनेस जांची जाएगी।
यह दिखाता है कि बोर्ड अब फिटनेस को सिर्फ औपचारिकता नहीं, बल्कि प्रदर्शन का हिस्सा मानता है। खिलाड़ी सिर्फ नाम से नहीं, शरीर और मन से भी तैयार हों, यही मकसद है।
ये भी पढ़ें- GST घटने से कितनी कम होंगी गाड़ियों की कीमतें, जानें किन कारों पर मिलेगा सबसे ज्यादा फायदा?