कीव: युद्ध केवल मिसाइलों, बमों और ड्रोन से नहीं लड़ा जाता, बल्कि हर बार इसका सबसे बड़ा शिकार आम इंसान बनते हैं। ऐसा ही एक दिल दहला देने वाला पहलू सामने आया है यूक्रेन और रूस के बीच चल रहे संघर्ष में, जहां अब भारत का नाम भी विवादों में आ गया है। यूक्रेन ने एक गंभीर आरोप लगाया है कि रूस जो आत्मघाती ड्रोन्स (Kamikaze drones) यूक्रेन की ज़मीन पर गिरा रहा है, उनमें इस्तेमाल हो रहे कुछ पुर्जे भारत में बने हैं।
यूक्रेन का दावा: रूस के हथियारों में भारतीय तकनीक?
यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की के चीफ ऑफ स्टाफ एंड्री यरमक ने मीडिया के सामने यह दावा किया कि रूस द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे ड्रोन्स में भारत में बनाए गए पुर्जे मिले हैं। उन्होंने कहा कि इन पुर्जों का इस्तेमाल निर्दोष यूक्रेनी नागरिकों की जान लेने के लिए हो रहा है, जो बेहद दुखद और चिंताजनक है।
यरमक ने अपील की है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को ऐसे सभी देशों की ओर ध्यान देना चाहिए जहां से रूस को हथियारों या उनके पुर्जों की आपूर्ति हो रही है। उन्होंने यह भी कहा कि इन सप्लाई चेन को रोकना बेहद जरूरी है ताकि रूस की युद्ध क्षमता को सीमित किया जा सके।
जुलाई में रूस के ड्रोन्स से तबाही का मंजर
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, जुलाई 2025 में रूस ने यूक्रेन पर 6,000 से अधिक ड्रोन हमले किए। यह आंकड़ा युद्ध शुरू होने के बाद अब तक का सबसे भयावह है। इन हमलों में न सिर्फ सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया गया, बल्कि आम नागरिकों, बच्चों, किंडरगार्टन, और यहां तक कि एम्बुलेंस तक को नुकसान पहुंचाया गया।
इन हमलों में कई लोग मारे गए, दर्जनों घायल हुए और हजारों परिवारों को अपना घर छोड़ना पड़ा। ऐसे माहौल में जब एक देश भारतीय पुर्जों की बात करता है, तो सवाल उठता है- क्या हम अनजाने में एक युद्ध का हिस्सा बन रहे हैं?
ट्रम्प के आरोप और भारत की भूमिका
इस बीच अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भी भारत पर निशाना साधा है। उन्होंने कहा है कि भारत रूस से तेल खरीदकर उसकी मदद कर रहा है, जिससे उसे यूक्रेन के खिलाफ युद्ध जारी रखने में सहयोग मिल रहा है। हालांकि भारत ने हमेशा यह स्पष्ट किया है कि वह ऊर्जा सुरक्षा को प्राथमिकता देता है और उसका उद्देश्य किसी भी युद्ध में पक्ष लेना नहीं है।
लेकिन जब एक युद्धग्रस्त देश भारत की ओर अंगुली उठाता है, तो यह केवल कूटनीतिक मुद्दा नहीं रह जाता, बल्कि मानवीय सवाल बन जाता है।
रूस की तरफ से हमले थमने का नाम नहीं ले रहे
युद्ध की आग अभी भी ठंडी नहीं हुई है। 2 अगस्त की रात रूस ने फिर से यूक्रेन पर 76 ड्रोन्स और 7 मिसाइलें दागीं। यूक्रेनी एयरफोर्स के अनुसार, इनमें से 60 ड्रोन्स और 1 मिसाइल को भले ही नष्ट कर दिया गया, लेकिन बाकी हथियारों ने फिर कहर बरपाया। 16 ड्रोन्स और 6 मिसाइलें यूक्रेन के 8 अलग-अलग शहरों पर गिरीं, जिनमें लोगों की जानें गईं और संपत्ति को भारी नुकसान पहुंचा।
31 जुलाई को भी रूस के एक हमले में 31 यूक्रेनी नागरिक मारे गए थे, जिनमें 5 मासूम बच्चे भी शामिल थे। यह युद्ध अब महज भू-राजनीति की लड़ाई नहीं रह गई, यह एक मानवीय संकट बन गया है।
यूक्रेन का जवाबी हमला: ऑयल डिपो में लगी आग
हालांकि यूक्रेन भी चुप नहीं बैठा है। 4 अगस्त को यूक्रेन ने रूस के सोची में एक ऑयल डिपो पर ड्रोन हमला किया। हमले के बाद डिपो में भीषण आग लग गई, जिसे बुझाने में 120 से ज्यादा दमकलकर्मी लगाए गए। इस हमले से रूस को रणनीतिक नुकसान हुआ, और कुछ समय के लिए सोची एयरपोर्ट पर सभी उड़ानें भी रोकनी पड़ीं।
यह हमला यूक्रेन की ओर से एक सख्त जवाब था, लेकिन इससे भी यही साफ होता है कि युद्ध की आग और अधिक फैलती जा रही है।
रूस का दावा: हमने 93 यूक्रेनी ड्रोन मार गिराए
रूसी रक्षा मंत्रालय ने दावा किया कि उसने यूक्रेन के 93 ड्रोन को मार गिराया है जो रूस और ब्लैक सी के ऊपर उड़ रहे थे। हालांकि रूस के वोरोनेज क्षेत्र में एक यूक्रेनी ड्रोन हमले में चार नागरिक घायल भी हो गए। इसका मतलब साफ है, इस युद्ध में दोनों ओर से नुकसान हो रहा है और सबसे बड़ी कीमत आम जनता चुका रही है।