Trump UN Speech: न्यूयॉर्क में आयोजित संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के दौरान, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का भाषण एक हल्की तकनीकी गड़बड़ी की वजह से अचानक सुर्खियों में आ गया। ट्रंप जैसे ही यूएन में भाषण देने के लिए मंच की ओर बढ़े, तभी वहां की एस्केलेटर ने काम करना बंद कर दिया। वे कुछ पलों के लिए वहीं अटक गए, थोड़ा झिझके, और फिर मुस्कुराते हुए आगे बढ़े। लेकिन मुश्किलें यहीं खत्म नहीं हुईं। जैसे ही वो मंच पर पहुंचे और अपना भाषण शुरू करने लगे, टेलीप्रॉम्प्टर जो आमतौर पर नेताओं की सबसे बड़ी मददगार होती है ने भी काम करना बंद कर दिया।
ऐसे में जब किसी और के पसीने छूट जाते, ट्रंप ने स्थिति को बेहद हल्के-फुल्के और मजाकिया अंदाज में संभाला। उन्होंने बिना किसी घबराहट के मंच से कहा, “टेलीप्रॉम्प्टर काम नहीं कर रहा, लेकिन मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता। इस तरह आप दिल से बोलते हैं।” इसके साथ ही उन्होंने चुटकी लेते हुए कहा, “जो भी इस टेलीप्रॉम्प्टर को चला रहा है, उसका हाल बहुत बुरा होने वाला है!”
यह सुनते ही हॉल में मौजूद डिप्लोमैट्स और प्रतिनिधियों की हंसी छूट गई। माहौल जो पहले थोड़ा तनावपूर्ण था, वह अचानक गर्मजोशी और मनोरंजन से भर गया।
जब तकनीक धोखा दे, तो ह्यूमर ही हथियार बनता है
ऐसे मौके किसी भी वैश्विक नेता के लिए मुश्किल साबित हो सकते हैं। लेकिन ट्रंप जैसे नेताओं के पास इन हालात को काबू में करने का अपना तरीका होता है ह्यूमर और आत्मविश्वास। उन्होंने मंच पर खड़े होकर यह तक कह दिया कि संयुक्त राष्ट्र से उन्हें सिर्फ एक टूटी हुई एस्केलेटर और खराब टेलीप्रॉम्प्टर मिला है। फिर उन्होंने सवाल उठाया, “यूएन जैसी संस्था का उद्देश्य क्या है, अगर वह इतनी बेसिक चीजें भी नहीं संभाल सकती?” इस पर फिर से लोगों की हंसी गूंज उठी।
यह सिर्फ एक भाषण की शुरुआत नहीं थी, बल्कि यह एक लम्हा था जिसने दिखा दिया कि टेक्नोलॉजी भले ही फेल हो जाए, लेकिन इंसान की हाजिरजवाबी और आत्मविश्वास उसे संभाल सकता है।
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इन नेताओं के साथ भी हो चुकी हैं तकनीकी गड़बड़ियां
ऐसे मौके सिर्फ ट्रंप के साथ ही नहीं आए। दुनिया के कई शीर्ष नेताओं को भी ऐसे ही मज़ेदार और असहज पलों से गुजरना पड़ा है। अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान टेलीप्रॉम्प्टर ने काम करना बंद कर दिया था। ओबामा ने ह्यूमर और सहजता से स्थिति को संभाला और अपने नोट्स देखकर भाषण पूरा किया।
ब्रिटेन के पूर्व प्रधानमंत्री बोरिस जॉनसन एक बार मंच पर बोल रहे थे, तभी उनका माइक बंद हो गया। उन्होंने पूरे हॉल को अपनी ऊँची आवाज़ में संबोधित कर सबको चौंका दिया। जर्मनी की चांसलर रहीं एंजेला मर्केल की भी एक तकनीकी समस्या के चलते आवाज़ बीच में कट गई थी, लेकिन उन्होंने आत्मविश्वास से बोलना जारी रखा। जस्टिन ट्रूडो, कनाडा के प्रधानमंत्री भी माइक के फेल होने के दौरान हंसते हुए चुटकुलों से माहौल हल्का कर चुके हैं।
इन सभी घटनाओं में एक चीज़ कॉमन है स्थिति चाहे जैसी भी हो, अगर आप अपनी बात दिल से कहें और सच्चे इरादों से कहें, तो लोग जुड़ते हैं।
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