वॉशिंगटन डीसी: जब किसी देश में जंग सालों तक चलती है, तो दर्द सिर्फ सीमा तक ही नहीं रहता, बल्कि पूरी दुनिया तक पहुंचता है। यूक्रेन और रूस के बीच जारी साढ़े तीन साल की इस जंग ने न केवल लाखों जिंदगियां तबाह की हैं, बल्कि दुनिया को आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक रूप से भी झकझोर कर रख दिया है। अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस युद्ध को लेकर एक बड़ी और भावनात्मक पहल की है।
पुतिन को ट्रंप की सख्त चेतावनी
डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को सीधे शब्दों में चेतावनी दी कि अगर वे 15 अगस्त को अलास्का में होने वाली बैठक के बाद भी यूक्रेन पर हमले नहीं रोकते हैं, तो उन्हें बेहद गंभीर और खतरनाक नतीजे भुगतने पड़ सकते हैं। ट्रंप की यह भाषा और तेवर अब तक की उनकी सबसे कड़ी प्रतिक्रिया मानी जा रही है।
ट्रंप ने स्पष्ट किया कि बातचीत का मकसद शांति है, लेकिन अगर पुतिन ने इसे नज़रअंदाज़ किया, तो अमेरिका चुप नहीं बैठेगा। ये बातचीत अमेरिका की जमीन पर हो रही है, जो दोनों नेताओं के बीच पहली मुलाकात होगी। ऐसे में ट्रंप की यह चेतावनी सिर्फ कूटनीति नहीं, बल्कि एक रणनीतिक मोड़ भी है।
जेलेंस्की की दो टूक: अपनी जमीन नहीं देंगे
इससे पहले ट्रंप ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की और यूरोपीय नेताओं के साथ एक वर्चुअल बैठक की। इस बैठक में ट्रंप ने यह सुझाव दिया कि युद्ध खत्म करने के लिए दोनों पक्षों को जमीन की अदला-बदली पर विचार करना पड़ सकता है। लेकिन इस सुझाव को जेलेंस्की ने सिरे से खारिज कर दिया।
जेलेंस्की ने भावुक होते हुए कहा कि यूक्रेन की जमीन पर किसी और का कोई अधिकार नहीं हो सकता। उन्होंने यह भी स्पष्ट कर दिया कि पहले युद्धविराम और फिर मजबूत सुरक्षा गारंटी जरूरी है। उनका यह कहना एक बार फिर यह साबित करता है कि यूक्रेन आज भी अपनी आज़ादी और संप्रभुता के लिए डटा हुआ है।
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कहीं रूस को न मिल जाए यूक्रेन का हिस्सा
यूरोपीय नेताओं को आशंका है कि ट्रंप और पुतिन के बीच ऐसा कोई समझौता न हो जाए, जिससे रूस को यूक्रेन का बड़ा हिस्सा खासतौर पर डोनबास क्षेत्र मिल जाए। यह डर इसलिए भी गहरा है क्योंकि पुतिन की रणनीति हमेशा से ज़मीन हथियाने और सत्ता विस्तार की रही है।
बैठक में फिनलैंड, फ्रांस, ब्रिटेन, इटली, पोलैंड, यूरोपीय यूनियन (EU) और नाटो महासचिव मार्क रूट भी मौजूद थे। सभी नेताओं ने ट्रंप से आग्रह किया कि वह किसी ऐसे समझौते का हिस्सा न बनें, जो यूक्रेन के हितों को नुकसान पहुंचाए।
ट्रंप बोले- यह बाइडेन का युद्ध है
प्रेस कॉन्फ्रेंस में ट्रंप से जब यह पूछा गया कि क्या वह पुतिन को नागरिकों पर हमले रोकने के लिए मना सकते हैं, तो उन्होंने कहा कि “शायद नहीं।” उन्होंने आगे कहा, “मैं इस युद्ध को खत्म करना चाहता हूं। यह बाइडेन का युद्ध है, लेकिन अगर मैं इसे खत्म कर पाया तो मुझे गर्व होगा।”
ट्रंप ने यह दावा भी किया कि उन्होंने पिछले छह महीनों में पांच युद्ध खत्म करवाए हैं। उनका कहना है कि वे ताकत और बातचीत दोनों का सही इस्तेमाल करना जानते हैं।
चार बार हो चुकी है ट्रंप-पुतिन की बातचीत
यह पहला मौका नहीं है जब ट्रंप और पुतिन के बीच युद्ध को लेकर बातचीत हुई हो। इससे पहले भी दोनों नेता चार बार मिल चुके हैं या बातचीत कर चुके हैं:
- 12 फरवरी 2025
- 18 मार्च 2025
- 19 मई 2025
- 4 जून 2025
इन बैठकों में युद्धविराम, शांति की संभावनाएं और ईरान जैसे मुद्दों पर भी चर्चा हुई थी, लेकिन कोई ठोस समाधान अब तक नहीं निकल पाया।
क्या शांति का नया रास्ता खुलेगा?
15 अगस्त को अलास्का में होने वाली यह बैठक अब सिर्फ अमेरिका और रूस के बीच नहीं रह गई है, बल्कि यह पूरी दुनिया की निगाहों में है। क्या ट्रंप पुतिन को मना पाएंगे? क्या यूक्रेन को बिना किसी नुकसान के शांति मिलेगी? या फिर यह बातचीत भी बाकी बैठकों की तरह सिर्फ एक औपचारिकता साबित होगी?
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