एक तरफ दुनिया यूक्रेन युद्ध से जूझ रही है और दूसरी तरफ पूरी दुनिया की निगाहें टिकी थीं अलास्का पर जहां दो सबसे ताकतवर राष्ट्रों के नेता, डोनाल्ड ट्रंप और व्लादिमीर पुतिन आमने-सामने बैठे। यह मुलाकात सिर्फ एक औपचारिक बैठक नहीं थी, बल्कि यह उस उम्मीद की एक किरण थी जो लाखों लोगों की ज़िंदगियों को बचाने की कोशिश में थी।
तीन घंटे तक बंद कमरे में चली इस बातचीत ने भले ही कोई ठोस समझौता न दिया हो, लेकिन इसने शांति की ओर पहला कदम जरूर बढ़ाया है।
अलास्का में हुई ऐतिहासिक मुलाकात
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन करीब 10 साल बाद अमेरिका की धरती पर उतरे। अमेरिका ने भी इस ऐतिहासिक दौरे का स्वागत पूरे सम्मान के साथ किया। पुतिन का स्वागत एक B-2 बॉम्बर एयरक्राफ्ट से किया गया और रेड कार्पेट पर उनका भव्य अभिनंदन हुआ। खुद ट्रंप ने तालियों से उनका स्वागत किया और फिर दोनों एक ही कार में बैठकर बातचीत के लिए रवाना हुए।
यह नज़ारा न केवल ऐतिहासिक था, बल्कि भावनात्मक भी। जब दो विरोधी राष्ट्रों के नेता एक कार में बैठे, तो एक उम्मीद जगी कि शायद अब युद्ध के बादलों में थोड़ी रोशनी आ सके।
3 घंटे की मीटिंग, 12 मिनट की प्रेस कॉन्फ्रेंस
बातचीत पूरी होने के बाद ट्रंप और पुतिन मंच पर आए और महज़ 12 मिनट में प्रेस कॉन्फ्रेंस खत्म कर दी। उन्होंने किसी भी पत्रकार का सवाल नहीं लिया, न ही मीटिंग की गहराई में गए। ट्रंप ने सिर्फ इतना कहा कि बातचीत ‘सकारात्मक’ रही, लेकिन कोई डील फिलहाल नहीं हुई।
वहीं, पुतिन ने कहा कि यूक्रेन युद्ध को खत्म करने के लिए पहले उसकी जड़ को खत्म करना होगा। उन्होंने सुरक्षा को सबसे बड़ा मुद्दा बताया और अगली मीटिंग मास्को में करने का प्रस्ताव रखा।
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ट्रंप ने कहा- यह युद्ध कभी होना ही नहीं चाहिए था
बातचीत के बाद फॉक्स न्यूज को दिए इंटरव्यू में ट्रंप ने साफ शब्दों में कहा कि अगर वह 2022 में राष्ट्रपति होते, तो यह युद्ध कभी शुरू ही नहीं होता। उन्होंने कहा, “यह युद्ध बेवकूफी है, और यह कभी नहीं होना चाहिए था। लोग मर रहे हैं, और मैं यह नहीं देखना चाहता।”
उन्होंने इस युद्ध के लिए पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन को जिम्मेदार ठहराया और कहा कि शांति की संभावनाएं अब भी ज़िंदा हैं।
पुतिन बोले- अमेरिका से बातचीत अच्छी रही
पुतिन ने अपने बयान में स्वीकारा कि बातचीत रचनात्मक रही और कई मुद्दों पर आम राय बनी। हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि अंतिम समझौता तभी होगा जब उसकी सभी शर्तें स्पष्ट हों और दोनों पक्षों को भरोसा हो।
रूसी प्रवक्ता दिमित्री पेसकोव ने भी प्रेस से बातचीत में कहा कि दोनों नेताओं की चर्चा एक सकारात्मक दिशा में गई है और इससे युद्धविराम की संभावना को बढ़ावा मिलेगा।
क्या अब शांति की कोई उम्मीद है?
ट्रंप ने कहा कि यूक्रेन और रूस दोनों चाहते हैं कि वह शांति वार्ता में शामिल रहें। उन्होंने यह भी माना कि शुरुआत में उन्होंने सोचा था कि यह जंग आसानी से खत्म हो जाएगी, लेकिन अब यह सबसे कठिन चुनौती लगती है।
यह स्वीकारोक्ति इस बात का संकेत है कि यह रास्ता आसान नहीं होगा। फिर भी, जब दोनों पक्ष एक-दूसरे से बात कर रहे हों, तो उम्मीद की लौ बुझती नहीं।
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