‘मैंने 7 महीनों में 7 बड़े युद्ध रुकवाए, मुझे नोबेल…’ UNGA में ट्रंप ने फिर किया सीजफायर का दावा

‘मैंने 7 महीनों में 7 बड़े युद्ध रुकवाए, मुझे नोबेल…’ UNGA में ट्रंप ने फिर किया सीजफायर का दावा

Donald Trump UN Meeting: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने मंगलवार को फिर भारत-पाकिस्तान की बीच जंग रुकवाने का दावा किया। न्यूयॉर्क में आयोजित संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के दौरान ट्रंप ने कहा कि उन्होंने दुनिया में सात बड़े युद्ध रुकवाए हैं, जिनमें भारत और पाकिस्तान के बीच संभावित युद्ध भी शामिल है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र की भूमिका पर सवाल उठाते हुए खुद को “शांति का असली वाहक” बताया।

ट्रंप का यह भाषण सिर्फ राजनीतिक बयानबाजी नहीं था, बल्कि इसमें उन्होंने दुनिया की सबसे बड़ी संस्था संयुक्त राष्ट्र की क्षमताओं और विफलताओं पर भी खुलकर सवाल उठाए।

भारत-पाकिस्तान के बीच जंग का खतरा टला

डोनाल्ड ट्रंप ने अपने संबोधन में एक भावनात्मक और गौरवपूर्ण लहजे में कहा कि भारत और पाकिस्तान के बीच जो तनाव बढ़ रहा था, वह जंग की कगार पर पहुंच चुका था। लेकिन, उन्होंने इस स्थिति को कूटनीतिक रूप से संभाला और जंग को रोक दिया। उन्होंने कहा कि यह काम मूलतः संयुक्त राष्ट्र की जिम्मेदारी थी, लेकिन जब वहां से कोई हल नहीं निकला, तो उन्होंने खुद पहल की और दोनों देशों को शांत करने का प्रयास किया।

यह दावा न केवल चौंकाने वाला है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में अमेरिका की भूमिका पर फिर से बहस को जन्म देता है। हालांकि ट्रंप ने इस दावे के लिए कोई स्पष्ट प्रमाण या रणनीति साझा नहीं की, फिर भी उनके इस बयान को गंभीरता से लिया जा रहा है।

UN ने जंग नहीं रोकी, मुझे करना पड़ा

अपने भाषण में ट्रंप ने संयुक्त राष्ट्र को कड़ी आलोचना का निशाना बनाया। उन्होंने कहा कि दुनिया में सात बड़े युद्ध चल रहे थे, जिन्हें रोकने की जिम्मेदारी UN की थी, लेकिन उसने कुछ नहीं किया। इसके उलट, ट्रंप ने दावा किया कि ये सभी युद्ध उन्होंने खुद खत्म कराए।

उनके अनुसार कंबोडिया और थाईलैंड, कोसोवो और सर्बिया, कांगो और रवांडा, इजराइल और ईरान, मिस्र और इथियोपिया, आर्मेनिया और अजरबैजान, और भारत-पाकिस्तान, ये सात संघर्ष ऐसे थे जिन्हें उनकी पहल से रोका गया।

उन्होंने कहा कि यह देखकर दुख होता है कि इतनी बड़ी संस्था सिर्फ बैठकों और बयानों तक सीमित रह गई है, जबकि असली काम उन्हें करना पड़ रहा है।

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नोबेल शांति पुरस्कार का भी किया जिक्र

ट्रंप ने एक बेहद भावनात्मक लहजे में कहा कि लोग अक्सर कहते हैं कि उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार मिलना चाहिए। लेकिन उन्होंने स्पष्ट किया कि उनके लिए सबसे बड़ा इनाम यह है कि लाखों लोगों की जान बची। उन्होंने कहा, “मुझे पुरस्कारों की परवाह नहीं है, मुझे फर्क पड़ता है इंसानियत से।”

उनका यह बयान दिल को छूने वाला था, खासकर तब जब दुनिया भर में युद्ध और हिंसा की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं। ट्रंप ने इस बयान के जरिए खुद को एक “मानवता-प्रेमी नेता” के रूप में पेश किया।

अवैध प्रवासियों पर ट्रंप का सख्त रुख

ट्रंप ने अमेरिका में अवैध प्रवास को लेकर भी सख्त लहजे में बात की। उन्होंने कहा कि जो भी लोग गैरकानूनी तरीके से अमेरिका में प्रवेश करने की कोशिश करेंगे, उन्हें इसका भारी खामियाजा भुगतना पड़ेगा। उन्होंने अल साल्वाडोर की सरकार की प्रशंसा की, जिसने अमेरिकी सीमाओं पर अपराधियों की घुसपैठ रोकने में मदद की है।

उन्होंने पूर्व प्रशासन पर आरोप लगाया कि उनकी नीतियों के चलते अमेरिका में अवैध प्रवासियों की संख्या बहुत बढ़ गई थी, लेकिन अब उनके द्वारा बनाए गए कड़े नियमों के चलते ऐसी गतिविधियों पर लगाम लगी है।

ट्रंप ने बताया अमेरिका का ‘गोल्डन पीरियड’

अपने भाषण में ट्रंप ने अमेरिका की आर्थिक स्थिति को “गोल्डन पीरियड” बताया। उन्होंने कहा कि अमेरिका में अब तक का सबसे बड़ा निवेश होने जा रहा है- करीब 17 ट्रिलियन डॉलर। उनका दावा था कि दुनियाभर से निवेशक अमेरिका में पैसा लगा रहे हैं और यह देश एक बार फिर वैश्विक आर्थिक शक्ति के रूप में उभर रहा है।

उन्होंने यह भी कहा कि वर्तमान समय अमेरिका के लिए विकास और स्थिरता का दौर है, और इसकी नींव उन्होंने अपने पिछले कार्यकाल में रखी थी।

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