हम भारतीयों के लिए यह गर्व की बात है कि अब हमारी वायुसेना केवल विदेशी इंजनों पर निर्भर नहीं रहेगी। दशकों से हम दूसरे देशों के बनाए लड़ाकू विमानों और उनकी तकनीकों पर भरोसा करते आए हैं, लेकिन अब समय बदल गया है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जो ऐलान किया है, वह भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है।
उन्होंने साफ कर दिया है कि भारत अब खुद अपने 5वीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान- AMCA (Advanced Medium Combat Aircraft) के लिए हाई-थ्रस्ट इंजन का निर्माण करेगा, और इसमें साथ दे रही है फ्रांस की जानी-मानी कंपनी Safran, जो राफेल के इंजन बनाने वाली कंपनी है।
AMCA: भारत का अपना ‘स्टेल्थ शिकारी’
भारत का AMCA प्रोजेक्ट सिर्फ एक फाइटर जेट नहीं है, बल्कि यह भारत की एयरोस्पेस क्षमताओं की एक बड़ी छलांग है। इस विमान को भारतीय वायुसेना के भविष्य के रीढ़ की हड्डी के तौर पर देखा जा रहा है। यह पूरी तरह स्वदेशी होगा और इसमें वो सभी खूबियां होंगी, जो दुनिया के सबसे उन्नत फाइटर जेट्स में होती हैं।
AMCA का डिजाइन और इसकी तकनीकी विशेषताएं इसे अमेरिका के F-35 और रूस के Su-57 जैसे विमानों की सीधी टक्कर में खड़ा करती हैं। यहां तक कि कुछ विशेषज्ञ मानते हैं कि यह उन्हें पीछे भी छोड़ सकता है।
Safran का साथ, भारत की उड़ान
Safran वही कंपनी है जिसने राफेल के लिए M88 इंजन तैयार किया था। अब वही कंपनी भारत में AMCA के लिए एक नया, हाई-थ्रस्ट इंजन बनाएगी। इसे हम AMCA का ‘दिल’ या ‘गुर्दा’ कह सकते हैं, क्योंकि यही इंजन इसे उड़ान, ताकत और परफॉर्मेंस देगा।
सबसे खास बात यह है कि यह इंजन भारत में ही बनेगा। यानी भारत अब सिर्फ लड़ाकू विमान नहीं बनाएगा, बल्कि उसका इंजन भी देश के भीतर ही तैयार किया जाएगा। इसका मतलब है तकनीक पर पूरा नियंत्रण, आत्मनिर्भरता, और भविष्य में दूसरे देशों को भी इंजन एक्सपोर्ट करने का अवसर।
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क्या है AMCA की असली ताकत?
AMCA एक 25 टन वजनी ट्विन-इंजन मल्टी-रोल फाइटर जेट होगा, जिसमें 6.5 टन तक का ईंधन इंटरनली भरा जा सकेगा। इसकी सबसे खास बात है इसकी स्टेल्थ क्षमता – यानी यह दुश्मन के रडार से बच निकलने में सक्षम होगा। इसमें आधुनिक सेंसर फ्यूजन, सुपरक्रूज (बिना आफ्टरबर्नर के सुपरसोनिक उड़ान), इंटरनल वेपन्स बे, और अगली पीढ़ी की एवियोनिक्स तकनीक होगी।
यह विमान गहरे हमलों, एयर डिफेंस, और इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर – तीनों भूमिकाओं में निपुण होगा। यानी यह एक ऑल-इन-वन फाइटर जेट होगा, जो हर मिशन के लिए तैयार रहेगा।
निवेश और आत्मनिर्भरता का मेल
भारत सरकार ने पहले ही इस प्रोजेक्ट के लिए ₹15,000 करोड़ रुपये की शुरुआती मंजूरी दे दी है। इसमें सरकारी एजेंसी ADA (Aeronautical Development Agency) और प्राइवेट कंपनियों का सहयोग रहेगा। इस तरह यह सिर्फ एक रक्षा प्रोजेक्ट नहीं, बल्कि ‘मेक इन इंडिया’ का सबसे दमदार उदाहरण भी होगा।
इस डील से भारत को इंजन निर्माण में जो अनुभव मिलेगा, वह भविष्य के लड़ाकू विमानों, ड्रोन और यहां तक कि अंतरिक्ष अभियानों के लिए भी काम आएगा।
क्यों कांपने लगे हैं F-35 और Su-57?
अब तक दुनिया में सिर्फ कुछ ही देश हैं जो 5वीं पीढ़ी के फाइटर जेट बना पाए हैं – अमेरिका (F-35), रूस (Su-57), चीन (J-20)। लेकिन भारत जिस तरह तकनीक, लागत और आत्मनिर्भरता को एक साथ ला रहा है, वह दुनिया के बाकी देशों के लिए एक बड़ा संदेश है।
AMCA की खास बात यह होगी कि यह इन विमानों की तुलना में कम लागत में तैयार होगा, लेकिन तकनीकी रूप से कहीं ज्यादा एडवांस होगा। इसकी मेंटेनेंस आसान होगी, और भारत की जलवायु और जरूरतों के हिसाब से डिजाइन किया गया होगा।
भारत की वायुसेना का भविष्य
भारत ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बाद यह समझ लिया कि भविष्य की जंग सिर्फ हथियारों से नहीं, बल्कि तकनीक और आत्मनिर्भरता से जीती जाएगी। AMCA और Safran की यह साझेदारी भारत की वायुसेना को 21वीं सदी की सबसे आधुनिक ताकत बना सकती है।
आज जब दुनिया की महाशक्तियां भारत की तरफ देख रही हैं, यह डील उन्हें यह समझाने के लिए काफी है कि भारत अब किसी का मोहताज नहीं रहा। अब हम खुद अपने आकाश की सुरक्षा कर सकते हैं अपने बनाए हथियारों से, अपने बनाए इंजनों से।
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