कुछ साल पहले तक जब भी बात होती थी प्रीमियम व्हिस्की की, तो अधिकतर लोगों की जुबां पर विदेशी नाम ही आते थे जैसे स्कॉच या आयरिश सिंगल मॉल्ट्स। लेकिन अब वक्त बदल चुका है। आज जब भारत की धरती पर बनी सिंगल मॉल्ट व्हिस्की विदेशों में सम्मान पा रही है, तो दिल खुद-ब-खुद गर्व से भर उठता है। देसी स्वाद ने न सिर्फ भारत का नाम ऊँचा किया है, बल्कि ये साबित भी कर दिया है कि हम क्वालिटी और क्लास में किसी से कम नहीं।
भारत की मिट्टी, मौसम और माहिर कारीगरों के हाथों से बनी ये सिंगल मॉल्ट्स अब दुनिया की सबसे प्रतिष्ठित स्पिरिट्स प्रतियोगिताओं में अवॉर्ड जीत रही हैं। यह बदलाव केवल शराब की बोतल में नहीं, बल्कि भारत की पहचान में दर्ज हो रहा है।
वेगास और जर्मनी में छाया ‘देवांस’
उत्तर भारत के एक छोटे से ब्रांड ‘देवांस ज्ञानचंद’ ने जब अपनी दो शानदार व्हिस्की ‘आडम्बरा’ और ‘मंषा’ को दुनिया के सामने पेश किया, तो शायद किसी ने नहीं सोचा था कि ये ग्लोबल अवॉर्ड्स जीतकर लौटेंगी।
आडम्बरा को अमेरिका के लास वेगास में आयोजित IWC (International Whisky Competition) में ‘बेस्ट इंडियन सिंगल मॉल्ट’ और ‘बेस्ट इंडियन व्हिस्की’ का खिताब मिला। वहीं मंषा ने जर्मनी के ISW (International Spirits Award) में ‘इंटरनेशनल व्हिस्की ऑफ द ईयर’ जैसे बड़े अवॉर्ड पर अपना नाम दर्ज कराया।
ये केवल एक व्यापारिक जीत नहीं है, बल्कि भारतीय शिल्प और स्वाद की वैश्विक स्वीकार्यता की मिसाल है।
इंद्री त्रिणि द्रु: हर घूंट में भारतीय आत्मा
हर घूंट में भारतीय मिट्टी की खुशबू और हर घूंट के बाद वैश्विक मान्यता- यह है इंद्री-त्रिणि द्रु की असली पहचान। यह दमदार कास्क-स्ट्रेंथ व्हिस्की, जो हर पीने वाले को अपनी गहराई से मोहित करती है, 2025 के मायामी ग्लोबल स्पिरिट अवॉर्ड्स में ‘बेस्ट वर्ल्ड व्हिस्की’ चुनी गई।
इतना ही नहीं, इसे International Spirits Challenge में गोल्ड मेडल भी मिला। ये इस बात का प्रतीक है कि भारत की सिंगल मॉल्ट न केवल देश में, बल्कि दुनिया भर में स्वाद के प्रेमियों को दीवाना बना रही है।
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पॉल जॉन: भारत का गर्व, दुनिया की पसंद
जब भी भारत में सिंगल मॉल्ट व्हिस्की की बात होती है, तो पॉल जॉन का नाम बड़े सम्मान से लिया जाता है। इसे ‘द ग्रेट इंडियन सिंगल मॉल्ट’ यूं ही नहीं कहा जाता।
पॉल जॉन ने सैन फ्रांसिस्को वर्ल्ड स्पिरिट्स कॉम्पिटिशन में ‘डबल गोल्ड’ जैसे प्रतिष्ठित अवॉर्ड अपने नाम किए। इसके साथ ही इसे ‘बेस्ट इंडियन सिंगल मॉल्ट’ और ‘बेस्ट एशियन व्हिस्की’ का भी खिताब मिला।
ये सफर केवल ब्रांड की नहीं, पूरे भारत की आत्मा की विजय यात्रा है, जिसमें पारंपरिक विधियों और आधुनिक तकनीक का संगम दिखता है।
गोडावन: 85 से ज़्यादा अवॉर्ड्स की कहानी
राजस्थान की पावन धरा से निकली गोडावन सिंगल मॉल्ट व्हिस्की आज दुनिया भर में सबसे अधिक अवॉर्ड जीतने वाली भारतीय सिंगल मॉल्ट बन चुकी है। इसकी खासियत सिर्फ इसका स्वाद नहीं, बल्कि इसकी आत्मा है एक ऐसा अनुभव जो हर भारतीय को गर्व से भर देता है।
2024 में गोडावन ने लंदन स्पिरिट्स कॉम्पिटिशन में ‘सिंगल मॉल्ट व्हिस्की ऑफ द ईयर’ का अवॉर्ड जीता। यह उपलब्धि इस बात का प्रमाण है कि भारतीय स्वाद अब विदेशी मानकों से कहीं ऊपर पहुंच चुका है।
अब ग्लोबल बन चुकी है सिंगल मॉल्ट मार्केट
अगर बात की जाए सिंगल मॉल्ट के बाजार की, तो भारत का नाम अब सिर्फ उपभोक्ता के रूप में नहीं, निर्माता और नवप्रवर्तक के रूप में लिया जा रहा है।
2025 में भारत की एल्कोहल इंडस्ट्री का मूल्य 200 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक पहुंचने का अनुमान है, जो अगले 10 सालों में 300 बिलियन डॉलर तक जा सकता है।
इस ग्रोथ के पीछे सिर्फ आंकड़े नहीं हैं बल्कि वो युवा पीढ़ी है जो आधुनिक सोच के साथ देसी स्वाद को गर्व से अपनाती है। इसमें महिलाओं की भागीदारी भी एक बड़ा रोल निभा रही है, जो अब आत्मनिर्भरता और स्वतंत्र सोच के साथ अपने विकल्प खुद चुन रही हैं।
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