अगले महीने होने वाले एशिया कप में भारत और पाकिस्तान की क्रिकेट टीमें एक बार फिर आमने-सामने होंगी। लेकिन इस बहुप्रतीक्षित मुकाबले की घोषणा के साथ ही सोशल मीडिया पर तीखी आलोचना शुरू हो गई है। खासकर अप्रैल में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में पाकिस्तान समर्थित आतंकवादियों द्वारा 26 पर्यटकों की हत्या के बाद से जनभावनाएं काफी आहत हैं। इस भीषण हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच सैन्य तनाव भी देखा गया था। ऐसे हालात में भारत-पाकिस्तान क्रिकेट मुकाबले को लेकर देश में तीखी बहस छिड़ गई है।
क्या खेल मंत्रालय हस्तक्षेप कर सकता है?
खेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ सूत्र ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि बीसीसीआई (भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड) फिलहाल खेल मंत्रालय के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता, क्योंकि राष्ट्रीय खेल शासन विधेयक अभी तक संसद से पारित नहीं हुआ है। उन्होंने कहा, “इस स्थिति में मंत्रालय सीधे हस्तक्षेप नहीं कर सकता। हालांकि, हम देखेंगे कि बीसीसीआई जनभावनाओं को किस तरह से जवाब देता है।”
सेना के पूर्व अधिकारी की कड़ी प्रतिक्रिया
पूर्व रक्षा खुफिया एजेंसी प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) केजेएस ढिल्लों ने पाकिस्तान के साथ सभी खेल संबंधों के पूर्ण बहिष्कार की मांग की है। वहीं, बीसीसीआई अध्यक्ष और पूर्व कप्तान सौरव गांगुली ने आतंकवाद की कड़ी निंदा करते हुए कहा है कि “खेल जारी रहना चाहिए।”
मंत्रालय की स्थिति स्पष्ट: द्विपक्षीय मुकाबला असंभव
खेल मंत्रालय ने साफ किया है कि भारत इस समय पाकिस्तान के साथ किसी भी द्विपक्षीय क्रिकेट श्रृंखला के पक्ष में नहीं है। हालांकि, बहुपक्षीय टूर्नामेंटों में भारत ओलंपिक चार्टर का पालन करता रहेगा, जो राजनीतिक आधार पर भेदभाव की मनाही करता है। यही कारण है कि सरकार पाकिस्तान के खिलाड़ियों को भारत में होने वाले अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंटों में भाग लेने से नहीं रोकेगी। यह स्थिति भारत की 2036 ओलंपिक मेज़बानी की दावेदारी के लिए भी अहम है।
14 सितंबर को भारत-पाक मुकाबला, लेकिन चिंताएं गहराईं
एशिया कप, जो कि आठ देशों की प्रतियोगिता है, अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) द्वारा नहीं बल्कि एशियाई क्रिकेट परिषद (ACC) द्वारा आयोजित किया जाता है। इस समय एसीसी की कमान पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड के अध्यक्ष मोहसिन नकवी के पास है। भारत और पाकिस्तान के बीच ग्रुप चरण का मुकाबला 14 सितंबर को होना तय है, और आगे भी दो मैचों की संभावना बनी हुई है।
इस सीरीज पर भारी वित्तीय दांव लगा है। सोनी नेटवर्क ने एसीसी से 170 मिलियन डॉलर में आठ वर्षों के लिए प्रसारण अधिकार खरीदे हैं। भारत-पाकिस्तान मुकाबले से मिलने वाले विज्ञापन राजस्व की उम्मीदें बेहद ऊंची हैं। यदि ये मुकाबले नहीं होते, तो एसीसी और अन्य सदस्य देशों को भारी नुकसान उठाना पड़ सकता है। हालांकि, बीसीसीआई की वित्तीय स्थिरता पर इसका बहुत असर नहीं पड़ेगा, लेकिन अन्य छोटे सदस्य देशों के लिए यह बड़ा झटका होगा।
राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक: भविष्य का रास्ता
खेल मंत्रालय ने बताया कि नया राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक, जिसे हाल ही में संसद में पेश किया गया है, मंत्रालय को “असाधारण परिस्थितियों” और “राष्ट्रीय हित” में हस्तक्षेप का अधिकार देगा। विधेयक पारित होने के बाद बीसीसीआई भी सरकार के अधीन आ जाएगा। लेकिन जब तक यह विधेयक संसद और राष्ट्रपति की मंजूरी से कानून नहीं बन जाता, बीसीसीआई स्वतंत्र रूप से अपने फैसले ले सकता है।
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