दिल्ली-NCR में अब नहीं दिखेंगे अवारा कुत्ते, सुप्रीम कोर्ट बोला- ‘तुरंत पकड़कर नसबंदी करो’

Delhi-NCR Dog Attack Case
Delhi-NCR Dog Attack Case

नई दिल्ली: जब सुबह-सवेरे टहलने वाले लोग डर के साए में बाहर निकलें, छोटे बच्चे स्कूल जाने से पहले दो बार इधर-उधर झांकें और बुजुर्ग पार्क की बजाय घर की चारदीवारी में कैद हो जाएं तो समझिए कि समाज में कोई डरावनी समस्या आकार ले चुकी है। दिल्ली और एनसीआर के हजारों लोग रोज इसी डर से जी रहे हैं आवारा कुत्तों के हमलों के डर से।

अब देश की सबसे बड़ी अदालत सुप्रीम कोर्ट ने इस पर सख्त रुख अपनाते हुए बेहद स्पष्ट और मानवीय आदेश दिए हैं। अदालत ने कहा है कि आवारा कुत्तों को तुरंत पकड़कर उनकी नसबंदी की जाए और उन्हें स्थायी रूप से शेल्टर होम में रखा जाए। इस काम में किसी तरह की ढिलाई, टालमटोल या बहस बर्दाश्त नहीं होगी।

अब चुप नहीं रह सकते- सुप्रीम कोर्ट

दिल्ली-एनसीआर में आवारा कुत्तों के हमलों में लगातार इजाफा हो रहा है। 2024 में ही 37 लाख से ज्यादा डॉग बाइट्स के मामले सामने आए, जिनमें से बड़ी संख्या में पीड़ित 15 साल से कम उम्र के बच्चे थे। रेबीज के कारण 54 लोगों की जान चली गई। इनमें एक मासूम बच्ची छवि शर्मा की मौत ने पूरे देश को झकझोर दिया।

छवि को एक कुत्ते ने 30 जून को काटा था और 26 जुलाई को इलाज के बावजूद उसकी मौत हो गई। सुप्रीम कोर्ट ने 28 जुलाई को इस घटना पर खुद संज्ञान लिया और इसे बेहद डराने वाला और चिंताजनक करार दिया। अदालत ने कहा कि बच्चों और बुजुर्गों की जिंदगी दांव पर नहीं लगाई जा सकती।

नसबंदी, शेल्टर और रिकॉर्ड- सिस्टम होगा सख्त

जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की बेंच ने दिल्ली और एनसीआर के नगर निगमों को साफ निर्देश दिए हैं कि सभी संवेदनशील इलाकों से कुत्तों को तुरंत उठाया जाए। इसके लिए अगर जरूरत पड़े तो अलग से एक विशेष बल भी तैयार किया जाए। नसबंदी के बाद कुत्तों को दोबारा छोड़ने की बजाय उन्हें स्थायी रूप से शेल्टर होम में रखा जाए।

अदालत ने यह भी कहा कि डॉग बाइट और रेबीज के मामलों को गंभीरता से लें और इसके लिए हेल्पलाइन बनाएं, जो 4 घंटे के भीतर कार्रवाई करे। नसबंदी के बाद किसी भी कुत्ते को खुला न छोड़ा जाए। साथ ही, सीसीटीवी निगरानी और पर्याप्त स्टाफ के साथ डॉग शेल्टर बनाने के लिए 8 हफ्ते का समय दिया गया है।

“जो बाधा डालेगा, उस पर होगी कार्रवाई”

अदालत का यह निर्देश सिर्फ सरकारी एजेंसियों तक सीमित नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट कहा कि अगर कोई व्यक्ति या संगठन इस अभियान में बाधा डालता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। यह चेतावनी इसलिए दी गई है क्योंकि पहले कई बार आवारा कुत्तों को उठाने के प्रयासों में कुछ सामाजिक संगठन या स्थानीय लोग बाधा डालते रहे हैं।

यह आदेश अब सिर्फ पशु प्रेम और मानव सुरक्षा के बीच संतुलन का नहीं, बल्कि इंसानी जान की रक्षा का सवाल बन गया है।

आंकड़ों की सच्चाई: दिल्ली की भयावह तस्वीर

आंकड़े खुद चीख-चीख कर बता रहे हैं कि समस्या कितनी गंभीर हो चुकी है। साल 2023 में 30.5 लाख और 2022 में 21.9 लाख डॉग बाइट के मामले सामने आए। यानी, हर साल आंकड़ों में तेज़ी से बढ़ोतरी हो रही है।

दिल्ली में 143% की वृद्धि दर्ज की गई है यह सामान्य नहीं, बल्कि खतरनाक संकेत है। डॉग बाइट के हर सात पीड़ितों में एक बच्चा शामिल होता है। ये आंकड़े ये बताने के लिए काफी हैं कि यह अब सिर्फ जानवरों की समस्या नहीं, बल्कि मानव जीवन की सबसे बड़ी स्वास्थ्य चुनौतियों में से एक बन चुकी है।

ये भी पढ़ें- क्या है अमेरिकी मांसाहारी गाय का दूध जो बना टैरिफ की वजह? भारत लेने को तैयार नहीं, कई देशों में नहीं है एंट्री

Comments

No comments yet. Why don’t you start the discussion?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *