नालंदा: बिहार की धरती पर एक नया इतिहास रचने की तैयारी पूरी हो चुकी है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने आज 5 अक्टूबर 2025 को नालंदा जिले के ऐतिहासिक शहर राजगीर में राज्य के पहले अंतरराष्ट्रीय स्तर के क्रिकेट स्टेडियम का भव्य उद्घाटन किया। यह सिर्फ एक खेल परिसर नहीं, बल्कि बिहार को खेल जगत में राष्ट्रीय मानचित्र पर स्थापित करने की एक रणनीतिक और दूरदर्शी पहल मानी जा रही है।
यह क्रिकेट स्टेडियम न सिर्फ अपने शानदार डिज़ाइन, आधुनिक तकनीक और विशाल दर्शक क्षमता के कारण खास है, बल्कि यह पूरे राज्य के युवाओं के लिए एक नई आशा की किरण भी लेकर आया है। इसे बिहार में खेल क्रांति की शुरुआत के तौर पर देखा जा रहा है।
स्टेडियम का आकार और डिज़ाइन
करीब 90 एकड़ में फैले इस स्टेडियम का डिज़ाइन विश्व प्रसिद्ध सिडनी क्रिकेट ग्राउंड (SCG) से प्रेरित है। इसकी वास्तुकला पारंपरिक और आधुनिकता का अनोखा संगम है. एक ओर जहां ईंट और पत्थर का इस्तेमाल इसकी सांस्कृतिक पहचान को दर्शाता है, वहीं दूसरी ओर एलईडी फ्लड लाइट्स, अत्याधुनिक पवेलियन, वीआईपी बॉक्स और डिजिटल स्कोरबोर्ड जैसी सुविधाएं इसे एक मॉडर्न स्पोर्ट्स हब बनाती हैं।
इस स्टेडियम की दर्शक क्षमता 40 से 45 हजार के बीच है, जो इसे न सिर्फ बिहार, बल्कि पूर्वी भारत के सबसे बड़े क्रिकेट स्टेडियमों में से एक बनाता है। इसकी आधारशिला खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने वर्ष 2018 में रखी थी और अब करीब 1000 करोड़ रुपये की लागत से यह भव्य परियोजना पूरी हो चुकी है।
महाराष्ट्र की लाल और मोकामा की काली मिट्टी
स्टेडियम की पिचें इस परियोजना की तकनीकी उत्कृष्टता को दर्शाती हैं। कुल 13 पिचें बनाई गई हैं, जिनके निर्माण में दो खास प्रकार की मिट्टी का उपयोग किया गया है-
- महाराष्ट्र की लाल मिट्टी, जो पिच को मजबूती और उछाल देती है,
- और बिहार के मोकामा क्षेत्र की काली मिट्टी, जो पिच को पकड़ और विविधता प्रदान करती है।
इस मिश्रण से बनी पिचें भारत में खेली जाने वाली पिचों की विविधता को दर्शाती हैं और खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर की तैयारी का मौका देती हैं। यह ध्यानपूर्वक तैयार किया गया कॉम्बिनेशन खिलाड़ियों को घरेलू स्तर पर ही उच्च स्तरीय अभ्यास करने की सुविधा देगा।
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विदेशी तकनीक, स्थानीय महत्व
स्टेडियम न सिर्फ पिचों के मामले में बेहतरीन है, बल्कि इसके मैदान की देखरेख के लिए भी अंतरराष्ट्रीय तकनीक का सहारा लिया गया है। मैदान में:
- ऑस्ट्रेलिया से मंगवाया गया एस्ट्रोटर्फ,
- जर्मनी से आयातित ऑटोमैटेड ड्रेनेज सिस्टम,
- और स्वचालित स्प्रिंकलर तकनीक लगाई गई है।
इन तकनीकों की मदद से मैदान सभी मौसमों में खेलने योग्य रहेगा, चाहे बारिश हो या चिलचिलाती धूप। इससे यह सुनिश्चित होता है कि खेल कार्यक्रम बिना बाधा के पूरे किए जा सकें।
एक मल्टी-स्पोर्ट्स हब का निर्माण
यह परिसर केवल क्रिकेट तक सीमित नहीं है। यह पूरा स्पोर्ट्स कॉम्प्लेक्स 25 से अधिक खेलों की सुविधाओं से लैस है। इसमें एक खेल विश्वविद्यालय, अत्याधुनिक ट्रेनिंग सेंटर, और खिलाड़ियों के लिए हॉस्टल जैसी सुविधाएं भी शामिल हैं। इसका उद्देश्य बिहार को खेल के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाना है।
यहां हॉकी, फुटबॉल, एथलेटिक्स, बॉक्सिंग, कुश्ती, तीरंदाजी जैसे खेलों के लिए भी पूर्ण सुविधाएं विकसित की गई हैं, जिससे यह परिसर एक मल्टी-परपस स्पोर्ट्स हब बनकर उभर रहा है।
खेल और रोजगार: खिलाड़ियों को तोहफा
उद्घाटन समारोह के दौरान एक और बड़ी घोषणा हुई- राज्य सरकार ने 87 खिलाड़ियों को सरकारी नौकरियां देने का ऐलान किया। यह कदम बिहार में खेलों को करियर के रूप में देखने वालों के लिए एक बड़ा संदेश है। इससे यह साफ होता है कि राज्य सरकार अब खेलों को केवल सह-शैक्षणिक गतिविधि नहीं, बल्कि रोजगार का एक वास्तविक विकल्प मान रही है।
इस नीति से भविष्य में और भी खिलाड़ियों को प्रोत्साहन मिलेगा और वे खेलों में अपना करियर बनाने के लिए आगे आएंगे।
राजगीर: खेल पर्यटन का नया केंद्र
राजगीर ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से पहले से ही महत्वपूर्ण रहा है। अब इस नए स्टेडियम के उद्घाटन के साथ ही इसे खेल पर्यटन (sports tourism) के क्षेत्र में भी पहचान मिलने जा रही है। राज्य सरकार की योजना है कि इस स्टेडियम में राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय मैचों का आयोजन किया जाए, जिससे ना केवल खेल को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था, होटल व्यवसाय और पर्यटन को भी गति मिलेगी।
स्टेडियम के आसपास होटल, कैफे, स्पोर्ट्स शॉप्स और परिवहन सुविधाएं भी विकसित की जा रही हैं, जिससे खिलाड़ियों, पर्यटकों और दर्शकों को बेहतर अनुभव मिल सके।
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