नई दिल्ली: देश की लोकतांत्रिक नींव पर तब सवाल उठते हैं जब जनता के अधिकार, खासकर वोट देने का अधिकार, संदिग्ध होता नजर आता है। संसद का मानसून सत्र इस बार सिर्फ कानूनों या नीतियों पर चर्चा तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यहां जनादेश की पवित्रता को लेकर तीखी बहस और विरोध प्रदर्शन देखने को मिला। बिहार में वोटर वेरिफिकेशन से जुड़े विवाद और कथित वोट चोरी के आरोपों ने संसद के माहौल को गर्मा दिया है। अब विपक्ष सीधे मुख्य चुनाव आयुक्त के खिलाफ मोर्चा खोलने की तैयारी में है।
संसद में गूंजे ‘वोट चोर’ और ‘गद्दी छोड़’ के नारे
सोमवार सुबह जैसे ही संसद की कार्यवाही शुरू हुई, विपक्षी सांसदों ने जोरदार विरोध शुरू कर दिया। लोकसभा में नारे गूंजने लगे – “वोट चोर गद्दी छोड़”, “वी वॉन्ट जस्टिस”। ये नारे केवल गुस्से का इज़हार नहीं थे, बल्कि इस बात का प्रतीक थे कि अब विपक्ष इस मुद्दे को छोड़ने वाला नहीं है।
बिहार में वोटर वेरिफिकेशन के नाम पर मतदाता सूची में बदलाव और हजारों वोटरों के नाम गायब होने के आरोपों ने इस आग में घी डालने का काम किया है। संसद में विपक्ष लगातार इस मुद्दे पर चर्चा की मांग कर रहा है, जबकि सरकार की तरफ से कोई ठोस जवाब सामने नहीं आया।
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने सांसदों को चेतावनी दी, लेकिन हंगामा जारी रहा। अंततः कार्यवाही को दोपहर 12 बजे तक स्थगित करना पड़ा। राज्यसभा में भी कुछ अलग नहीं हुआ, वहां भी विपक्षी सांसदों के विरोध के कारण कार्यवाही दोपहर 2 बजे तक रोक दी गई।
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मुख्य चुनाव आयुक्त के खिलाफ महाभियोग?
सबसे बड़ा राजनीतिक धमाका तब हुआ जब खबरें आईं कि विपक्ष मुख्य चुनाव आयुक्त के खिलाफ संसद में महाभियोग प्रस्ताव लाने पर विचार कर रहा है। कांग्रेस के वरिष्ठ राज्यसभा सांसद सैयद नसीर हुसैन ने ANI से बातचीत में साफ कहा कि पार्टी लोकतांत्रिक दायरे में रहते हुए, जरूरत पड़ी तो महाभियोग प्रस्ताव जैसे विकल्प भी अपनाने को तैयार है। हालांकि अभी तक औपचारिक रूप से इस पर कोई फैसला नहीं लिया गया है।
इसके पीछे की पृष्ठभूमि भी काफी अहम है। कुछ दिन पहले चुनाव आयोग ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की थी, जिसमें मुख्य चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर पलटवार करते हुए कहा था कि राहुल के PPT में दिखाया गया डेटा चुनाव आयोग का नहीं है। उन्होंने चुनौती दी कि या तो राहुल गांधी सात दिनों के भीतर हलफनामा दें या देश से माफी मांगें, वरना आरोप निराधार माने जाएंगे।
यह बयान विपक्ष के लिए एक और आग का काम कर गया। इसके बाद कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के चेंबर में INDIA ब्लॉक की बैठक हुई, जहां रणनीति पर विचार किया गया। यही वह बैठक थी जिसके बाद महाभियोग प्रस्ताव की चर्चा ने जोर पकड़ा।
बिहार में मतदाता सूची संशोधन विवाद का केंद्र
पूरा विवाद दरअसल बिहार से शुरू हुआ, जहां मतदाता सूची में भारी फेरबदल की बात सामने आई। वोटर वेरिफिकेशन के नाम पर हजारों लोगों के नाम लिस्ट से गायब हो गए। विपक्ष ने इस पूरे मामले को चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सीधा हमला बताया।
सांसदों का कहना है कि यदि मतदाता सूची से किसी का नाम बिना वजह हटा दिया जाता है, तो ये सिर्फ एक तकनीकी गलती नहीं, बल्कि लोकतंत्र की हत्या है। विपक्ष मांग कर रहा है कि इस पूरे मामले की संसदीय जांच हो और चुनाव आयोग इस पर पूरी पारदर्शिता के साथ जवाब दे।
हंगामे में दब गई अंतरिक्ष उपलब्धि
सोमवार को संसद में ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की ऐतिहासिक अंतरिक्ष यात्रा पर विशेष चर्चा होनी थी, जो देश के लिए एक गर्व का क्षण है। साथ ही जन विश्वास (संशोधन) विधेयक 2025 और IIM संशोधन बिल को भी पेश किया जाना था। लेकिन विपक्ष के आक्रोश और हंगामे के चलते पूरा एजेंडा हाशिए पर चला गया।
ये घटना बताती है कि जब देश में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को लेकर भरोसे में दरार पड़ती है, तब बाकी उपलब्धियां भी जनता की नजरों में फीकी पड़ जाती हैं।
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