Bihar Election: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की तैयारियों के बीच विपक्षी दलों के महागठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर तनातनी तेज़ हो गई है। राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस के बीच सीटों को लेकर मतभेद गहराते दिख रहे हैं। सूत्रों के अनुसार, राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद यादव कांग्रेस को 50 से अधिक सीटें देने के पक्ष में नहीं हैं, जबकि कांग्रेस अपनी पुरानी स्थिति को बरकरार रखना चाहती है।
इस विवाद को सुलझाने के लिए कांग्रेस ने राज्यसभा सांसद और वरिष्ठ नेता अखिलेश प्रसाद सिंह को सक्रिय किया है। वे लगातार लालू यादव के संपर्क में हैं और दोनों नेताओं के बीच एक-दो दौर की बातचीत भी हो चुकी है।
बैठकों का दौर जारी, समाधान की तलाश में नेता
सूत्रों के मुताबिक, अखिलेश सिंह ने बीते दिनों लालू यादव से एक बैठक की, जिसमें सीटों के संभावित वितरण पर चर्चा हुई। इस बीच यह खबर भी सामने आई है कि राजद नेता तेजस्वी यादव जल्द ही दिल्ली में राहुल गांधी से मुलाकात कर सकते हैं। माना जा रहा है कि यह बैठक महागठबंधन की चुनावी रणनीति और सीटों के अंतिम बंटवारे को लेकर अहम होगी।
2020 के आंकड़े: कांग्रेस को 70 सीटें मिली थीं
2020 के विधानसभा चुनावों में महागठबंधन के तहत राजद को 144, कांग्रेस को 70 और वाम दलों को कुल 29 सीटें दी गई थीं। हालांकि कांग्रेस तब केवल 19 सीटें जीतने में सफल रही थी, जिससे उसके प्रदर्शन पर सवाल उठे थे। यही कारण है कि इस बार राजद कांग्रेस की सीटों में कटौती की वकालत कर रहा है।
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महागठबंधन में नए सहयोगियों की एंट्री की तैयारी
राजद इस बार महागठबंधन को और व्यापक बनाने की रणनीति पर काम कर रहा है। पूर्व में एनडीए में रह चुके विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख मुकेश सहनी को इस बार गठबंधन में 16 सीटों का ऑफर दिया गया है।
इसके अलावा, झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की पार्टी झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) और केंद्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस की पार्टी राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी (RLJP) भी गठबंधन में जगह पाने की कोशिश में हैं। JMM को 2 सीटें देने की संभावना है, जबकि RLJP को लेकर अभी सहमति नहीं बन पाई है।
सूत्रों के अनुसार, राजद ने पारस से यह प्रस्ताव रखा है कि अगर वह गठबंधन में आना चाहते हैं, तो अपनी पार्टी का राजद में विलय करें। बताया जा रहा है कि पारस अपने बेटे को चुनाव लड़ाना चाहते हैं, जबकि वह सीट वर्तमान में राजद के विधायक रामवृक्ष सदा के पास है, जिससे यह मामला पेचीदा बन गया है।
क्या है कांग्रेस की रणनीति?
कांग्रेस बिहार में अपनी सियासी हैसियत को कमजोर नहीं होने देना चाहती। पार्टी का मानना है कि वह राज्य में एक राष्ट्रीय विकल्प के तौर पर उपस्थिति दर्ज कराना चाहती है। इसी को ध्यान में रखते हुए वह सीटों में भारी कटौती के लिए तैयार नहीं है। कांग्रेस की मांग है कि उसे कम से कम 60 से 65 सीटें दी जाएं, जिसमें से कई शहरी और मुस्लिम-यादव (MY) बहुल इलाकों की सीटें शामिल हों।
सूत्र बताते हैं कि कांग्रेस नेतृत्व सीटों पर समझौता तो करना चाहता है, लेकिन सम्मानजनक हिस्सेदारी चाहता है। यही वजह है कि अखिलेश सिंह जैसे सुलझे हुए नेता को आगे किया गया है, ताकि एक संतुलित समाधान निकाला जा सके।
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