Leh Students Protest: केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख के लेह में बुधवार को छात्रों और पुलिस के बीच झड़प हो गई। छात्रों ने पुलिस पर पत्थरबाजी की, CRPF की गाड़ी में आग लगा दी। सोनम वांगचुक, जो पिछले 15 दिनों से भूख हड़ताल पर बैठे हैं, उनका साथ देने के लिए अब छात्रों का गुस्सा सड़कों पर उतर आया है।
लेह में छात्रों का फूटा गुस्सा, CRPF की गाड़ी फूंकी
बुधवार को लेह की सड़कों पर कुछ ऐसा हुआ, जिसने पूरे देश का ध्यान इस इलाके की ओर खींच लिया। बड़ी संख्या में छात्र प्रदर्शन कर रहे थे। वे न केवल सोनम वांगचुक के आंदोलन का समर्थन कर रहे थे, बल्कि लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग भी जोर-शोर से उठा रहे थे।
प्रदर्शन इतना उग्र हो गया कि छात्रों ने पुलिस पर पथराव कर दिया और CRPF की एक गाड़ी को आग के हवाले कर दिया। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़पें भी हुईं। यह स्थिति लद्दाख के लिए असामान्य और चिंताजनक है, क्योंकि यह क्षेत्र अक्सर अपने शांतिपूर्ण आंदोलनों के लिए जाना जाता है।
सोनम वांगचुक की भूख हड़ताल और चार अहम मांगें
सोनम वांगचुक कोई आम नाम नहीं हैं। वे वही शख्स हैं, जिनके जीवन पर फिल्म ‘3 इडियट्स’ के ‘फुंसुख वांगडू’ का किरदार आधारित था। लेकिन आज वे एक फिल्मी किरदार नहीं, लद्दाख की आवाज बन चुके हैं।
वे पिछले 15 दिनों से भूख हड़ताल पर हैं और उनकी मांगें सीधी हैं:
- लद्दाख को संविधान की धारा 6 के तहत संरक्षण मिले
- पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल किया जाए
- स्थानीय नौकरियों और जमीन की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए
- लद्दाख को लोकतांत्रिक अधिकारों के साथ एक मजबूत प्रशासनिक ढांचा दिया जाए
उनका कहना है कि जब 2019 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया गया था और लद्दाख को केंद्र शासित प्रदेश बनाया गया, तब केंद्र सरकार ने वादा किया था कि स्थिति सामान्य होने पर पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल किया जाएगा। लेकिन सालों बाद भी लद्दाख के लोगों को उनका हक नहीं मिल सका।
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2019 के बाद से क्यों बढ़ा असंतोष?
जब 5 अगस्त 2019 को सरकार ने अनुच्छेद 370 और 35A को हटाया, तो जम्मू-कश्मीर को दो केंद्र शासित प्रदेशों में बांटा गया: जम्मू-कश्मीर और लद्दाख।
लद्दाख को अलग पहचान तो मिल गई, लेकिन राजनीतिक अधिकार, जमीन और नौकरी जैसे मुद्दों पर स्पष्टता खत्म हो गई। पहले आर्टिकल 370 और 35A के तहत लद्दाख के लोगों को कुछ विशेष अधिकार मिलते थे, जैसे कि बाहरी लोग जमीन नहीं खरीद सकते थे, या स्थानीय युवाओं को सरकारी नौकरियों में प्राथमिकता मिलती थी।
लेकिन अब, कई लोग महसूस करते हैं कि उनका हक उनसे छीन लिया गया है। खासकर लेह और कारगिल के लोगों में यह भावना गहराती जा रही है कि उनकी संस्कृति, पहचान और भविष्य संकट में है।
गृह मंत्रालय के साथ चल रही बातचीत
सरकार और प्रदर्शनकारियों के बीच बातचीत जारी है। गृह मंत्रालय की ओर से प्रतिनिधियों के साथ बैठकों का दौर चल रहा है। अगली बैठक 6 अक्टूबर 2025 को दिल्ली में प्रस्तावित है, लेकिन इस बीच जो कुछ लेह की सड़कों पर हुआ, वह यह साफ दर्शाता है कि सिर्फ बैठकों से अब काम नहीं चलेगा।
लद्दाख के लोगों को ठोस भरोसे की ज़रूरत है, सिर्फ आश्वासनों की नहीं। वे चाहते हैं कि उन्हें संविधान में सुरक्षित किया जाए, ताकि उनकी भाषा, भूमि, संस्कृति और रोजगार के अवसर सुरक्षित रहें।
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