नई दिल्ली: आज की तेज़ रफ्तार ज़िंदगी में नौकरी करना जितना ज़रूरी है, उतना ही ज़रूरी है काम और ज़िंदगी के बीच संतुलन बनाए रखना। लेकिन अब यह संतुलन बिगड़ता नज़र आ रहा है, खासकर उन कर्मचारियों के लिए जो निजी कंपनियों में दिन-रात मेहनत करते हैं। ताज़ा खबरों की मानें तो महाराष्ट्र सरकार अपने राज्य की प्राइवेट कंपनियों में काम के घंटों को बढ़ाने की तैयारी में है। यानी अब 8 या 9 घंटे नहीं, बल्कि हर दिन 10 घंटे तक काम करना पड़ सकता है।
70 घंटे काम अब हकीकत बनने की ओर
कुछ समय पहले इन्फोसिस के फाउंडर नारायणमूर्ति ने जब सप्ताह में 70 घंटे काम करने की सलाह दी थी, तब इस पर खूब बहस हुई थी। लेकिन अब ऐसा लगता है कि उस बयान का असर सच में ज़मीन पर दिखने लगा है। महाराष्ट्र सरकार एक ऐसा क़ानून लाने जा रही है, जो प्राइवेट सेक्टर के कर्मचारियों की रोज़मर्रा की ज़िंदगी को पूरी तरह बदल सकता है।
सरकार महाराष्ट्र शॉप एंड एस्टैब्लिशमेंट (रेगुलेशन ऑफ एम्प्लॉयमेंट एंड कंडीशन ऑफ सर्विस) एक्ट, 2017 में बड़े बदलाव करने जा रही है। इसका सीधा असर दुकानों, होटलों, रेस्टोरेंट्स, कॉल सेंटर्स और बाकी सभी प्राइवेट संस्थानों पर पड़ेगा, जहां 20 से ज्यादा कर्मचारी काम करते हैं।
ज्यादा देर तक काम करना होगा
इस नए प्रस्ताव के मुताबिक काम के घंटे 8 से बढ़ाकर 9 घंटे, और अधिकतम सीमा 10 घंटे प्रतिदिन की जा सकती है। पहले जहां 5 घंटे के बाद ब्रेक लेना अनिवार्य था, अब यह समय 6 घंटे किया जा सकता है, यानी कर्मचारी को लगातार ज्यादा देर तक काम करना होगा।
सरकार का यह कहना है कि ये बदलाव उत्पादकता को बढ़ाएंगे और प्रतिस्पर्धा में बने रहने में मदद करेंगे, लेकिन ज़मीनी हकीकत यह है कि पहले से ही मानसिक तनाव और वर्क प्रेशर झेल रहे कर्मचारियों के लिए यह किसी बोझ से कम नहीं होगा।
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ओवरटाइम का खेल: काम बढ़ेगा, आराम घटेगा
ओवरटाइम की सीमा भी सरकार बढ़ाने की तैयारी में है। वर्तमान में जहां एक तिमाही में अधिकतम 125 घंटे ओवरटाइम करने की अनुमति है, अब इसे 144 घंटे तक ले जाया जा सकता है। और यही नहीं, आपातकालीन स्थितियों में 12 घंटे की सीमा हटाकर ‘अनलिमिटेड’ काम करवाने का प्रस्ताव भी रखा गया है।
यानि ज़रूरत पड़ने पर कोई कर्मचारी 24 घंटे तक लगातार काम कर सकता है, बिना इस पर कोई कानूनी रोक। यह सुनने में जितना असंभव लगता है, उतना ही खतरनाक भी है, खासकर मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के नज़रिए से।
कौन सी कंपनियों पर होगा लागू?
इस नए बदलाव का दायरा भी बढ़ाया जा रहा है। पहले यह कानून केवल उन कंपनियों पर लागू होता था जिनमें 10 से ज्यादा कर्मचारी थे, लेकिन अब यह सीमा बढ़ाकर 20 कर्मचारियों वाली कंपनियों पर लागू की जा सकती है। इससे हजारों संस्थानों और लाखों कर्मचारियों पर सीधा असर पड़ेगा।
सरकार का कहना है कि वह इन नियमों को लागू करने से पहले सभी पक्षों की राय ले रही है और कैबिनेट स्तर पर भी इस पर चर्चा हो चुकी है। लेकिन कर्मचारियों की तरफ से इस प्रस्ताव को लेकर चिंता और असहमति साफ़ झलकने लगी है।
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