नेपाल में जारी हिंसा और अव्यवस्था के बीच भारत-नेपाल सीमा पर हालात बेहद संवेदनशील हो गए हैं. आम लोगों की जिंदगी बुरी तरह प्रभावित हो रही है. खासकर सीमा के दोनों ओर बसे गांवों में दहशत का माहौल है. भारत ने अपनी सुरक्षा व्यवस्था को काफी सख्त कर दिया है ताकि न तो कोई अनचाही घटना हो और न ही किसी खतरे को नजरअंदाज किया जाए.
जहां एक ओर नेपाल में जेलें टूट रही हैं, कैदी भाग रहे हैं, वहीं भारत की सीमा पर तैनात जवान हर पल चौकन्ने हैं. सीमा सुरक्षा बल (SSB) ने एक बड़ी जिम्मेदारी अपने कंधों पर उठा रखी है- भारत की सुरक्षा और नेपाल से आने वाले नागरिकों की मदद, दोनों ही मोर्चों पर.
नेपाल में अफरातफरी और भारत की तैयारी
नेपाल में बीते कुछ दिनों से हालात लगातार बिगड़ते जा रहे हैं. विरोध-प्रदर्शन और हिंसा की आग इस हद तक बढ़ गई कि 24 से ज्यादा जेलों में कैदियों ने ताले तोड़ दिए और भाग निकले. अनुमान है कि लगभग 15,000 कैदी जेल से फरार हो चुके हैं. इस संकट के बीच भारत-नेपाल सीमा पर सुरक्षा के लिहाज़ से एसएसबी की 50 बटालियन, यानी करीब 60 हजार जवानों को तैनात किया गया है.
इन जवानों की तैनाती उत्तर प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तराखंड और सिक्किम की सीमाओं पर की गई है. इनका मुख्य उद्देश्य न केवल सीमा पर सतर्कता बनाए रखना है, बल्कि नेपाल से आने वाले नागरिकों खासकर भारतीयों की सहायता करना भी है, जो वहां के तनावपूर्ण हालातों से बचने की कोशिश कर रहे हैं.
सुरक्षाबलों की सतर्कता: 60 भागे कैदी दबोचे गए
जब देश की सीमाएं खतरे में हों, तो सुरक्षाबलों का कर्तव्य और भी बड़ा हो जाता है. और इस बार SSB ने पूरी जिम्मेदारी के साथ यह भूमिका निभाई है. जानकारी के मुताबिक, अब तक 60 ऐसे कैदियों को पकड़ा गया है जो नेपाल की जेलों से भागकर भारत में घुसने की कोशिश कर रहे थे. इनमें कुछ भारतीय नागरिक भी शामिल हैं, जो नेपाल की जेलों में बंद थे और मौका पाकर वहां से फरार हो गए.
ज्यादातर कैदी वैध बॉर्डर से नहीं बल्कि जंगलों और वैकल्पिक रास्तों से भारत में दाखिल होने की कोशिश कर रहे थे. लेकिन इंटेलिजेंस इनपुट्स और लगातार गश्त की वजह से इन्हें पकड़ लिया गया. इन सभी को संबंधित राज्यों की पुलिस के हवाले कर दिया गया है जहां आगे की कानूनी कार्रवाई की जा रही है.
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नेपाल से भारत में आने वालों की संख्या बढ़ी
हिंसा और अराजकता से परेशान होकर अब तक करीब 500 लोग जिनमें भारतीय और नेपाली दोनों शामिल हैं भारत में शरण ले चुके हैं. इनमें अधिकांश वो भारतीय हैं जो नेपाल में काम या व्यवसाय के सिलसिले में रह रहे थे. हालात को देखते हुए ये अब भारत लौट आए हैं.
नेपाली नागरिकों की भी एक बड़ी संख्या भारत की ओर आ रही है. ये वे लोग हैं जिनके परिवार या रिश्तेदार भारत की तरफ बसे गांवों में रहते हैं. नेपाल की स्थिति को देखते हुए उन्होंने अस्थायी रूप से भारत आने का फैसला किया है. भारत ने इंसानियत की मिसाल पेश करते हुए इन सभी लोगों की दस्तावेजों की जांच करके उन्हें सीमा पार करने की अनुमति दी है.
एसएसबी का कहना है कि जो भी वैध दस्तावेजों के साथ आ रहे हैं, उन्हें किसी तरह की परेशानी नहीं दी जा रही है. वहीं, जो नेपाली नागरिक भारत में प्रवेश कर चुके हैं, वे अभी वापस नेपाल नहीं जाना चाह रहे, क्योंकि उन्हें वहां की स्थिति असुरक्षित लग रही है.
भारत-नेपाल सीमा अब भी खुली
हालांकि हालात बेहद गंभीर हैं, फिर भी भारत ने अभी तक सीमा को औपचारिक रूप से बंद नहीं किया है. लेकिन सुरक्षा के लिहाज़ से यह मान लिया गया है कि हर गतिविधि पर कड़ी निगरानी रखी जाएगी. ट्रकों और भारी वाहनों की आवाजाही पर अभी भी रोक है. पैदल आने-जाने वालों को उनकी पहचान और दस्तावेज देखकर ही अनुमति दी जा रही है.
एसएसबी और नेपाल की आर्म्ड पुलिस फोर्स (APF) के बीच भी संवाद और सहयोग बना हुआ है. जरूरत पड़ने पर दोनों तरफ के सुरक्षाकर्मी फ्लैग मार्च और पेट्रोलिंग कर रहे हैं ताकि हालात पर काबू रखा जा सके.
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