टोक्यो: जब कोई प्रधानमंत्री किसी ट्रेन में सफर करता है, तो वो सिर्फ एक यात्रा नहीं होती, बल्कि उसमें भविष्य की एक झलक छिपी होती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का जापान दौरा भी कुछ ऐसा ही रहा- एक तकनीकी साझेदारी, एक सांस्कृतिक मिलन और एक तेज़ रफ्तार भारत की उम्मीद से भरी एक मुलाकात।
जापान के सेंडाई शहर में जब मोदी जी ने बुलेट ट्रेन E10 को नजदीक से देखा और उसमें यात्रा की, तो उन्होंने केवल एक ट्रेन को नहीं, बल्कि भारत के आने वाले कल को देखा। यह मुलाकात उन भारतीय ड्राइवरों से भी थी, जो भविष्य में देश में बुलेट ट्रेन चलाएंगे। उनके चेहरों की चमक, उस भरोसे की गवाही थी जिसे भारत और जापान मिलकर गढ़ रहे हैं।
मियागी में बुलेट ट्रेन E10 के साथ मोदी का अनुभव
प्रधानमंत्री मोदी शनिवार को जापान के मियागी प्रांत के सेंडाई पहुंचे, जहां उन्होंने नई पीढ़ी की एडवांस बुलेट ट्रेन E10 का अवलोकन किया। जापान के प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा इस मौके पर उनके साथ थे। दोनों नेताओं ने ट्रेन में सफर किया और तकनीकी विकास की इस उड़ान में एक नया अध्याय जोड़ा।
E10 ट्रेन सिर्फ स्पीड का प्रतीक नहीं है, बल्कि यह दोनों देशों की साझेदारी और आपसी समझ की मिसाल भी है। मोदी जी ने वहां भारत के उन ड्राइवरों से भी मुलाकात की, जो जापान में ईस्टर्न रेलवे द्वारा विशेष ट्रेनिंग ले रहे हैं। ये युवा जल्द ही भारत की पहली बुलेट ट्रेन के कॉकपिट में होंगे। उनके आत्मविश्वास और ऊर्जा ने साफ कर दिया कि देश अब तकनीकी आत्मनिर्भरता की ओर तेज़ी से बढ़ रहा है।
“मोदी सैन, आपका स्वागत है!” – जापानियों का स्वागत
सेंडाई में पीएम मोदी का स्वागत भारतीय समुदाय और जापान के स्थानीय लोगों ने दिल खोलकर किया। बच्चों से लेकर बुजुर्गों तक, सबके हाथों में तिरंगे थे और होठों पर एक ही नारा – “जापान में आपका स्वागत है, मोदी सैन!” यह दृश्य सिर्फ एक नेता के स्वागत का नहीं, बल्कि दो संस्कृतियों के जुड़ाव और रिश्तों की गहराई का प्रतीक था।
यह वही जापान है, जिसने भारत के बुलेट ट्रेन सपने को आकार देने में सबसे बड़ी भूमिका निभाई है। और यह वही भारत है, जो तकनीक के साथ-साथ अपनी भावनाओं से भी रिश्तों को संजोना जानता है।
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भारत-जापान साझेदारी: 150 नए समझौते
मोदी और जापानी प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा के बीच हुई 15वीं भारत-जापान समिट ऐतिहासिक रही। इस समिट में कुल 150 समझौतों पर हस्ताक्षर हुए, जो दोनों देशों की आर्थिक, तकनीकी और सांस्कृतिक साझेदारी को और मजबूत बनाएंगे।
जापानी प्रधानमंत्री ने अगले 10 वर्षों में भारत में 6 लाख करोड़ रुपए के निवेश की बात कही, जो कि भारत में इंफ्रास्ट्रक्चर, मैन्युफैक्चरिंग और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में क्रांति ला सकता है। यह भरोसे का वही पुल है, जो सालों से भारत और जापान के बीच बन रहा है और अब यह पुल, बुलेट ट्रेन जैसी रफ्तार से दुनिया के सामने एक उदाहरण बनेगा।
भारत में बुलेट ट्रेन अब हकीकत से कुछ ही दूर
साल 2017 में जब जापान के तत्कालीन प्रधानमंत्री शिंजो आबे और पीएम मोदी ने मुंबई-अहमदाबाद हाई स्पीड रेल प्रोजेक्ट की नींव रखी थी, तो शायद ही किसी ने सोचा होगा कि यह सपना इतनी तेजी से साकार होने लगेगा।
भारत का पहला बुलेट ट्रेन कॉरिडोर अब आकार ले चुका है। इसकी लागत 1.08 लाख करोड़ रुपए है, और यह 508 किलोमीटर की दूरी को महज 3 घंटे में तय करेगा। फिलहाल यही दूरी तय करने में 5 से 8 घंटे लग जाते हैं।
मुंबई-अहमदाबाद रूट पर चलने वाली बुलेट ट्रेन की अधिकतम स्पीड 350 किमी/घंटा होगी। और अब, 2030 तक भारत और जापान एक साथ E10 जैसी उन्नत बुलेट ट्रेन को पटरी पर उतारने की तैयारी में हैं। जापान की ओर से भारत को E3 और E5 ट्रेनें गिफ्ट में दी जाएंगी, जो भारत की तकनीकी ताकत में नया पंख जोड़ेंगी।
सेमीकंडक्टर चिप फैक्ट्री का दौरा
टोक्यो इलेक्ट्रॉन लिमिटेड, जो कि जापान की अग्रणी सेमीकंडक्टर चिप निर्माण कंपनी है, का दौरा भी प्रधानमंत्री मोदी के कार्यक्रम का हिस्सा रहा। यह दौरा सिर्फ औपचारिकता नहीं, बल्कि भारत के ‘मेक इन इंडिया’ और ‘सेमीकंडक्टर मिशन’ की दिशा में एक ठोस कदम था।
भारत अब तकनीक का उपभोक्ता नहीं, निर्माता बनना चाहता है। और जापान जैसे अनुभवी सहयोगियों की मदद से यह सपना अब ज़मीनी हकीकत बनने जा रहा है।
SCO समिट के लिए चीन रवाना हुए पीएम मोदी
जापान दौरे की सफलता के बाद पीएम मोदी अब SCO (शंघाई को-ऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन) समिट के लिए चीन रवाना हो गए हैं। इस दौरान वे चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से मुलाकात करेंगे।
यह यात्रा केवल कूटनीति नहीं, बल्कि भारत के वैश्विक दृष्टिकोण और संतुलन की भी तस्वीर है। एक ओर जापान से तकनीकी और रणनीतिक रिश्ते, दूसरी ओर चीन और रूस के साथ सहयोग की संभावनाएं – मोदी का यह दौरा बहुपक्षीय विदेश नीति का बेहतरीन उदाहरण बन गया है।
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