नेपाल छोड़कर दुबई भाग सकते हैं पीएम केपी ओली, प्राइवेट कंपनी का प्लेन तैयार, देखें खूनी प्रदर्शन का Video

नेपाल छोड़कर दुबई भाग सकते हैं पीएम केपी ओली, प्राइवेट कंपनी का प्लेन तैयार, देखें खूनी प्रदर्शन का Video

Nepal Violence: नेपाल की सरज़मीं इस वक्त आक्रोश, आंदोलन और अस्थिरता की आग में जल रही है। कभी शांतिपूर्ण पहाड़ियों में बसा यह देश आज ऐसे संकट से गुजर रहा है, जिसने वहां की राजनीतिक व्यवस्था, लोकतांत्रिक ढांचे और नेतृत्व की नीयत पर बड़े सवाल खड़े कर दिए हैं। छात्रों और युवाओं का आंदोलन अब सिर्फ एक विरोध प्रदर्शन नहीं रहा, यह पूरे सिस्टम के खिलाफ गुस्से की वह लहर बन चुका है, जिसे अब रोका नहीं जा रहा।

देश के हालात इस कदर बिगड़ चुके हैं कि अब खुद प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली के दुबई भागने की खबरें सामने आ रही हैं। उनके करीबी सूत्रों और एयरपोर्ट अधिकारियों से मिली जानकारी से साफ हो गया है कि देश का सबसे ताकतवर नेता अब खुद को असुरक्षित मान रहा है।

पीएम ओली का दुबई भागना या इलाज का बहाना?

प्रधानमंत्री ओली के दुबई जाने की खबर ने पूरे देश में हलचल मचा दी है। आधिकारिक रूप से यह कहा जा रहा है कि वे इलाज के लिए बाहर जा सकते हैं, लेकिन समय और परिस्थितियों को देखते हुए यह दावा संदेह से भर गया है। जब देश जल रहा हो, जब प्रदर्शनकारी आपके इस्तीफे की मांग कर रहे हों, जब मंत्री एक-एक कर सरकार से किनारा कर रहे हों, उस समय प्रधानमंत्री का विदेश जाना कहीं से भी एक सामान्य मेडिकल ट्रिप नहीं लगता।

सूत्रों के मुताबिक, ओली के विदेश जाने की तैयारी ज़ोरों पर है। त्रिभुवन अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे (TIA) को हाई अलर्ट पर रखा गया है और एक निजी एयरलाइन हिमालय एयरलाइंस को स्टैंडबाय में रखा गया है। कर्मचारियों को वीआईपी मूवमेंट के लिए तैयार रहने को कहा गया है, जिससे साफ संकेत मिलते हैं कि न केवल ओली बल्कि अन्य नेता भी देश छोड़ने की तैयारी में हैं।

सरकार ढहने के कगार पर, 10 मंत्रियों का इस्तीफा

प्रधानमंत्री ओली की मुश्किलें यहीं नहीं रुकतीं। अब तक 10 मंत्रियों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। इन इस्तीफों में सबसे अहम नाम गृहमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री और कृषि मंत्री का है। उन्होंने स्पष्ट तौर पर कहा कि वे ऐसी सरकार का हिस्सा नहीं बन सकते, जो अपने ही नागरिकों की आवाज़ को गोलियों से दबाने की कोशिश करे।

देश में हिंसा इस हद तक पहुंच गई है कि अब यह महज़ सोशल मीडिया बैन के खिलाफ प्रदर्शन नहीं रहा। यह एक जनांदोलन बन चुका है- भ्रष्टाचार, प्रशासनिक विफलता, अधिकारों की अनदेखी और सत्ता के अहंकार के खिलाफ।

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राष्ट्रपति और कांग्रेस नेताओं के घरों में भी आग

हालात अब केवल सत्तारूढ़ पार्टी तक सीमित नहीं रहे। प्रदर्शनकारियों का गुस्सा अब नेपाली कांग्रेस के नेताओं तक भी पहुंच चुका है, जो मौजूदा सरकार के गठबंधन सहयोगी हैं। नेपाली कांग्रेस अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा का आवास प्रदर्शनकारियों के निशाने पर आ गया है। पहले वहां कब्जा किया गया और फिर उसकी संपत्ति को आग के हवाले कर दिया गया।

राष्ट्रपति के निजी आवास को भी प्रदर्शनकारियों ने नहीं छोड़ा। उसे भी आग लगा दी गई। इसके अलावा आधा दर्जन से ज्यादा सरकारी और निजी वाहन जला दिए गए हैं। ये घटनाएं इस बात की चेतावनी हैं कि जनता अब किसी भी राजनीतिक दल को बख्शने के मूड में नहीं है।

त्राहिमाम कर रहा है नेपाल, नहीं रुक रहे प्रदर्शनकारी

अब तक देश भर में कम से कम 19 लोगों की मौत और 300 से ज्यादा घायल हो चुके हैं। लेकिन हैरानी की बात यह है कि इसके बावजूद युवाओं का जोश कम नहीं हो रहा। वे अब सिर्फ किसी एक पार्टी या एक नेता के खिलाफ नहीं, बल्कि उस पूरे राजनीतिक सिस्टम के खिलाफ उठ खड़े हुए हैं, जिसने उन्हें मौलिक अधिकारों से वंचित किया।

सोशल मीडिया बैन का मुद्दा अब एक बड़े आंदोलन का चेहरा बन चुका है। छात्रों का यह गुस्सा सिर्फ एक ऐप या प्लेटफॉर्म तक सीमित नहीं रहा। यह उनके भविष्य, उनके सपनों और उनके संविधान से जुड़े अधिकारों की लड़ाई बन गई है।

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