इस्लामाबाद: कभी आपने सोचा है कि जब कोई आपके घर को लगातार नुकसान पहुंचाए, आपके अपनों को तकलीफ दे, तो क्या आप उसे फिर भी अपने घर का पानी पिलाना चाहेंगे? शायद नहीं। भारत के साथ पाकिस्तान का रिश्ता कुछ ऐसा ही हो चला है। लंबे समय से पाकिस्तान सीमा पार से आतंक फैलाने की कोशिश कर रहा है, और जब भारत ने सख्ती दिखाई, तो अब पानी को लेकर वहां हाहाकार मच गया है।
भारत ने हाल ही में अपने रुख को स्पष्ट कर दिया कि अब वह उस देश को अपने जल संसाधन मुफ्त में नहीं देगा, जो लगातार दुश्मनी का रास्ता अपना रहा है। ये पानी किसी सौगात की तरह नहीं दिया जा सकता जब बदले में गोलियों की बौछार मिलती हो। यही बात पाकिस्तान को हजम नहीं हो रही है।
इस फैसले के बाद पाकिस्तान की सत्ता में बैठे नेता बुरी तरह तिलमिलाए हुए हैं। प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने सार्वजनिक मंच से कहा कि “भारत हमारी एक बूंद पानी भी नहीं छीन सकता”, और गुस्से में यहां तक कह डाला कि अगर भारत ने ऐसा किया तो उसे “ऐसा सबक सिखाया जाएगा, जिसे याद कर वह कान पकड़ लेगा”। इस बयान पर खूब तालियां बजीं, लेकिन ज़मीन पर सच्चाई कुछ और ही है।
शहबाज के खोखले दावे और सच्चाई
शहबाज शरीफ ने दावा किया कि पाकिस्तान ने पहले भारत के छह लड़ाकू विमान गिराए थे, जिनमें चार राफेल थे। मगर यह सिर्फ शब्दों का मायाजाल है, क्योंकि पाकिस्तान कभी भी इसका कोई प्रमाण नहीं दे सका। इसके उलट भारत की सर्जिकल स्ट्राइक और एयर स्ट्राइक की गूंज आज भी पाकिस्तान के मनोबल पर असर डालती है। ‘ऑपरेशन सिंदूर’ का दर्द पाकिस्तान अब तक नहीं भूल पाया है।
बिलावल भुट्टो की ‘संस्कृति’ की राजनीति
पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने भी इस मौके को राजनीतिक लाभ उठाने के लिए भुनाया। उन्होंने कहा कि सिंधु जल संधि को तोड़ना “सिंधु घाटी सभ्यता और संस्कृति पर हमला” है। उन्होंने यह तक कह दिया कि अगर भारत ने पानी रोका तो पाकिस्तान पीछे नहीं हटेगा, भले ही उसे युद्ध का रास्ता क्यों न अपनाना पड़े।
लेकिन उनके शब्दों में जो जज़्बात दिख रहे थे, वो असल में पाकिस्तान की घरेलू राजनीति की खींचतान हैं। भारत-विरोध वहाँ की राजनीति का ऑक्सीजन बन चुका है, हर नेता भारत के खिलाफ बोलकर तालियां बटोरना चाहता है, चाहे ज़मीनी सच्चाई कुछ भी हो।
मुनीर की परमाणु धमकी: डर या हताशा?
पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर ने तो सारी सीमाएं पार करते हुए अमेरिका की धरती से भारत को खुलेआम धमकी दी कि अगर भारत ने सिंधु नदी पर बांध बनाए, तो पाकिस्तान उन्हें “दस मिसाइलों से उड़ा देगा”। यही नहीं, उन्होंने कहा कि पाकिस्तान एक परमाणु संपन्न देश है, और अगर उसे खतरा हुआ तो वह “आधी दुनिया को अपने साथ ले डूबेगा”।
ऐसे बयान यह दिखाते हैं कि पाकिस्तान किस हद तक हताश और बौखलाया हुआ है। अंतरराष्ट्रीय मंच पर जाकर इस तरह के गैर-जिम्मेदाराना बयान केवल पाकिस्तान की वैश्विक छवि को कमजोर करते हैं और उसके परमाणु शस्त्रों की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े करते हैं।
भारत का संतुलित और सख्त जवाब
भारत ने पाकिस्तान के इन बयानों को गंभीरता से लेते हुए संयमित लेकिन ठोस प्रतिक्रिया दी है। विदेश मंत्रालय ने साफ कहा कि भारत किसी भी परमाणु धमकी से नहीं डरता और न ही वह इस तरह की ब्लैकमेलिंग के सामने झुकेगा। प्रवक्ता ने यह भी कहा कि पाकिस्तान की ऐसी धमकियां केवल उसकी जिम्मेदारीहीनता को दर्शाती हैं।
भारत ने यह भी साफ कर दिया कि वह अपनी सुरक्षा और संप्रभुता के लिए हर आवश्यक कदम उठाएगा चाहे बात पानी की हो या युद्ध की तैयारी की।
आखिर क्यों इतना तड़प रहा है पाकिस्तान?
पाकिस्तान इस समय गंभीर जल संकट से जूझ रहा है। उसकी आबादी का बड़ा हिस्सा सिंधु नदी और उसकी सहायक नदियों पर निर्भर है। सिंचाई, उद्योग, और पीने का पानी सब कुछ इन्हीं नदियों पर टिका है। जब भारत ने इस पर नियंत्रण की बात की, तो पाकिस्तान को अपनी भविष्य की तस्वीर धुंधली नजर आने लगी।
भारत अगर पानी का प्रवाह कम करता है, तो इसका असर पाकिस्तान की खेती से लेकर उसके नागरिकों की दैनिक ज़रूरतों तक हर जगह महसूस होगा। और यही वजह है कि वहां की हुकूमत इतनी बौखलाई हुई है।
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