कल्पना कीजिए एक ऐसा भविष्य, जहां इंसान नहीं बल्कि रोबोट एक बच्चे को नौ महीने तक गर्भ में रखेगा, उसकी देखभाल करेगा, और फिर एक दिन उसे इस दुनिया में लाएगा बिल्कुल किसी माँ की तरह। यह सुनने में किसी साइंस फिक्शन फिल्म की कहानी जैसा लगता है, लेकिन चीन में इस कल्पना को हकीकत में बदलने की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। तकनीक की दुनिया में यह खोज एक ऐसी क्रांति है, जो न सिर्फ मातृत्व की परिभाषा बदल सकती है, बल्कि मानवता के भविष्य को एक नई दिशा दे सकती है।
चीन में एक विशेष ह्यूमनॉइड रोबोट पर काम हो रहा है, जिसे इस तरह डिजाइन किया जा रहा है कि वह गर्भ धारण करने और बच्चे को जन्म देने की पूरी प्रक्रिया को कृत्रिम रूप से दोहरा सके। इस प्रोजेक्ट का नेतृत्व कर रहे हैं डॉ. झांग क़ीफ़ेंग, जो सिंगापुर की नानयांग टेक्नोलॉजिकल यूनिवर्सिटी से जुड़े हैं। वे अपनी टीम के साथ मिलकर एक ऐसा रोबोट तैयार कर रहे हैं जिसके पेट में कृत्रिम गर्भाशय (Artificial Womb) होगा, यानी एक ऐसी जगह जहां एक भ्रूण बिना इंसानी शरीर के भी सुरक्षित रूप से विकसित हो सकेगा।
न्यूट्रिएंट ट्यूब्स का इस्तेमाल किया
इस ह्यूमनॉइड के गर्भाशय में एक विशेष ऐम्नियोटिक फ्लूइड डाला जाएगा, जो प्राकृतिक गर्भाशय जैसी परिस्थितियां प्रदान करेगा। भ्रूण को पोषण देने के लिए खास न्यूट्रिएंट ट्यूब्स का इस्तेमाल किया जाएगा, जो प्लेसेंटा की तरह काम करेंगे। ये सभी प्रक्रियाएं इस तरह तैयार की जा रही हैं कि शिशु का विकास किसी इंसानी माँ के गर्भ में होने वाले विकास से मेल खा सके।
पहले भी हुआ है प्रयोग, अब इंसानों की बारी
हालांकि यह विचार बिल्कुल नया नहीं है। कुछ साल पहले वैज्ञानिकों ने एक भेड़ के प्रीमैच्योर शिशु को एक कृत्रिम गर्भ में विकसित किया था, जिसे “बायोबैग” कहा गया। परिणाम चौंकाने वाले थे, शिशु पूरी तरह सामान्य रूप से विकसित हुआ और जीवित रहा। अब उसी प्रयोग को इंसानों के लिए अनुकूलित करने की कोशिश की जा रही है। फर्क बस इतना है कि इस बार रोबोट का इस्तेमाल किया जा रहा है, जिससे न केवल गर्भधारण संभव हो सकेगा, बल्कि माँ की भूमिका का अनुभव भी उस मशीन को दिया जाएगा।
ये भी पढ़ें- पिक्चर सालों से बाकी है, लेकिन शो तो अब शुरू होगा… आर्यन खान की सीरीज का फर्स्ट लुक रिलीज
क्या है तकनीक की लागत और समयरेखा?
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, इस प्रोजेक्ट का पहला प्रोटोटाइप 2026 तक तैयार हो सकता है। इसकी अनुमानित लागत करीब 1 लाख युआन, यानी लगभग 13 लाख रुपये बताई गई है। हालांकि यह कीमत शुरुआत में केवल वैज्ञानिक और चिकित्सा शोध के लिए होगी। जब तकनीक विकसित होकर आम लोगों तक पहुंचेगी, तो इसकी लागत को लेकर भी नई रणनीतियां बन सकती हैं।
फिलहाल, गुआंगदोंग प्रांत की सरकार इस पर नीति निर्माण की दिशा में काम कर रही है। वैज्ञानिक, कानूनविद् और सामाजिक विचारक सभी मिलकर यह तय कर रहे हैं कि अगर रोबोट किसी इंसान की तरह बच्चा पैदा करे, तो उस बच्चे को समाज और कानून किस रूप में देखेगा।
इस खोज के पीछे छिपा है भविष्य का इशारा?
अगर यह तकनीक सफल होती है, तो यह उन लाखों लोगों के लिए एक आशा की किरण बन सकती है जो किसी कारणवश बच्चा पैदा नहीं कर सकते चाहे वह जैविक समस्या हो, या सामाजिक परिस्थिति। यह तकनीक सिंगल पेरेंट्स, एलजीबीटीक्यू समुदाय, और इन्फर्टिलिटी से जूझ रहे दंपतियों के लिए एक क्रांतिकारी समाधान बन सकती है।
लेकिन इसके साथ ही एक बड़ा सवाल यह भी उठता है: क्या समाज रोबोट से जन्मे बच्चे को उसी तरह स्वीकार करेगा जैसे किसी माँ के गर्भ से जन्मे बच्चे को करता है? क्या ऐसे बच्चों को कानूनी और सामाजिक रूप से वही अधिकार मिलेंगे? क्या यह तकनीक मानवीय संवेदनाओं और भावनाओं को खत्म नहीं कर देगी?
ये भी पढ़ें- कठुआ में तीन जगह बादल फटा: 7 की मौत, कई घायल; हिमाचल के कुल्लू में भी तबाही