अब स्विगी से खाना मंगाना हुआ महंगा, कंपनी ने 17% बढ़ाई प्लेटफॉर्म फीस, हर ऑर्डर पर देने होंगे इतने रुपए

Swiggy Hikes Platform Fee
Swiggy Hikes Platform Fee

जब भूख लगती है और रसोई में कुछ बनाने का मन नहीं करता, तब मोबाइल में स्विगी खोलना जैसे आदत बन गई है। खाने की उस खुशबू के साथ जो घर के दरवाज़े तक आती है, उसमें अब थोड़ी सी ‘कड़वाहट’ घुल गई है। स्विगी ने एक छोटा सा बदलाव किया है, लेकिन इसका असर सीधे आपकी जेब पर पड़ने वाला है। कंपनी ने अपने हर ऑर्डर पर लगने वाली प्लेटफॉर्म फीस ₹12 से बढ़ाकर ₹14 कर दी है। यानी अब आप अपनी मनपसंद बिरयानी या पिज़्ज़ा के साथ दो रुपये ज़्यादा चुकाएंगे लेकिन सवाल है, ये दो रुपये सिर्फ दो ही हैं?

स्विगी का यह निर्णय अचानक नहीं लिया गया। फेस्टिव सीज़न की शुरुआत में जब ऑर्डर की संख्या तेज़ी से बढ़ने लगती है, तो कंपनी को अपने ऑपरेशन को बेहतर और सुचारु बनाए रखने के लिए अतिरिक्त कमाई की ज़रूरत महसूस होती है। यही वजह है कि कंपनी ने इस समय को सही मानते हुए प्लेटफॉर्म फीस में 17% की बढ़ोतरी कर दी।

इस बढ़ी हुई फीस का मकसद न केवल ऑपरेशन की लागत को कवर करना है, बल्कि कंपनी के यूनिट इकोनॉमिक्स को मज़बूत करना भी है। यानी हर एक ऑर्डर से कंपनी कितना मुनाफा कमा रही है, यह बेहतर बनाना स्विगी की प्राथमिकता है।

प्लेटफॉर्म फीस का सफर: ₹2 से ₹14 तक

स्विगी ने पहली बार अप्रैल 2023 में प्लेटफॉर्म फीस की शुरुआत की थी। तब यह सिर्फ ₹2 थी। धीरे-धीरे कंपनी ने इसे बढ़ाया, लेकिन चौंकाने वाली बात यह है कि इस बढ़ोतरी का ग्राहकों पर ज्यादा नकारात्मक असर नहीं हुआ। लोग खाना मंगाते रहे। फिर चाहे यह ₹4 हुई, ₹8 या ₹12।

पिछले साल न्यू ईयर के मौके पर इसे ₹12 तक पहुंचाया गया और अब यह ₹14 हो गई है। बढ़ती मांग और उपभोक्ताओं की निर्भरता को देखते हुए कंपनी को यह भरोसा है कि ₹2 की यह नई बढ़ोतरी भी ग्राहकों को रोक नहीं पाएगी।

ये भी पढ़ें- आज से मिलेगा 3000 रुपए में सालभर के लिए FASTag, 200 बार क्रॉस कर सकेंगे टोल, जानें कैसे मिलेगा फायदा

क्या दो रुपये से फर्क पड़ता है?

आप सोच सकते हैं कि ₹2 ज्यादा देने से कौन सा पहाड़ टूट जाएगा, लेकिन जब यही दो रुपये हर दिन 20 लाख ऑर्डर्स के साथ जुड़ते हैं, तो फर्क करोड़ों का होता है। हर दिन करीब 2.8 करोड़ रुपये की अतिरिक्त कमाई होती है, जो तिमाही में लगभग 8.4 करोड़ रुपये और सालाना ₹33.6 करोड़ तक पहुंच सकती है।

यह पैसा कंपनी को सिर्फ फीस बढ़ाकर मिल रहा है बिना किसी और सेवा शुल्क या सब्सक्रिप्शन बढ़ाए। यानी छोटी सी रकम, बड़ा मुनाफा।

इस फैसले की आर्थिक दबाव एक बड़ी वजह

स्विगी की ये फीस बढ़ोतरी ऐसे वक्त पर आई है जब कंपनी को घाटे का सामना करना पड़ रहा है। वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में स्विगी का नेट लॉस 96% बढ़कर ₹1,197 करोड़ तक पहुंच गया। पिछले साल की समान तिमाही में यह नुकसान ₹611 करोड़ था।

इस घाटे का सबसे बड़ा कारण है स्विगी की क्विक कॉमर्स यूनिट इंस्टामार्ट जिसमें कंपनी भारी निवेश कर रही है। इंस्टामार्ट से कंपनी को भविष्य में बहुत उम्मीदें हैं, लेकिन फिलहाल इसमें लगने वाला खर्च उसे गहरे घाटे में ले जा रहा है।

बावजूद घाटे के, राजस्व में जोरदार बढ़ोतरी

घाटे की खबरों के बीच एक अच्छी खबर भी है। कंपनी का ऑपरेशनल रेवेन्यू (राजस्व) 54% की दर से बढ़ा है। यह पहले जहां ₹3,222 करोड़ था, वहीं अब यह ₹4,961 करोड़ तक पहुंच चुका है। यानी ग्राहक बढ़ रहे हैं, ऑर्डर्स आ रहे हैं, लेकिन लागत उससे तेज़ी से बढ़ रही है।

दूसरी ओर, स्विगी की प्रतियोगी जोमैटो ने भले ही इस तिमाही में सिर्फ ₹25 करोड़ का मुनाफा दिखाया, लेकिन उसने भी अपनी कमाई में 70% से ज्यादा की बढ़ोतरी दर्ज की है।

क्या यह फीस अस्थायी है या हमेशा लागू रहेगी?

यह सवाल हर ग्राहक के मन में है। क्या यह ₹14 की प्लेटफॉर्म फीस सिर्फ त्योहारों तक सीमित रहेगी या अब हर ऑर्डर पर स्थायी तौर पर लगेगी?

स्विगी की रणनीति को समझें, तो यह बढ़ोतरी अभी “टेस्टिंग मोड” में है। अगर इससे ऑर्डर की संख्या में गिरावट नहीं आती, तो कंपनी इसे स्थायी भी बना सकती है। हालांकि, कम मांग वाले समय में कंपनी इस फीस को वापस ₹12 तक ला सकती है।

ये भी पढ़ें- ISRO Vacancy: इसरो ने 10वीं पास से लेकर डिप्लोमा और ग्रेजुएट तक के लिए निकाली भर्ती, ऐसे करें आवेदन

Comments

No comments yet. Why don’t you start the discussion?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *