क्रिकेट के मैदान पर अपने तेज़ और सटीक गेंदों से विपक्षी बल्लेबाज़ों के होश उड़ाने वाले मोहम्मद शमी ने रिटायरमेंट की अफवाहों पर सख्त और साफ लहजे में जवाब दिया है। 34 वर्षीय शमी ने न सिर्फ खुद को लेकर उड़ रही गलत खबरों का खंडन किया, बल्कि यह भी साफ कर दिया कि वह अभी इस खेल को छोड़ने के बारे में सोच भी नहीं सकते। उनका कहना है कि जब तक उनके अंदर जुनून और प्रेरणा जीवित है, तब तक वह मैदान पर डटे रहेंगे।
इस तरह का बयान तब आया जब उन्हें हाल ही में इंग्लैंड में होने वाली एंडरसन-तेंदुलकर ट्रॉफी और UAE में 9 सितंबर से शुरू हो रहे एशिया कप के लिए भारतीय टीम में शामिल नहीं किया गया। इसके बाद कयास लगने लगे थे कि शायद शमी अब धीरे-धीरे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से दूरी बना रहे हैं, लेकिन उन्होंने अपने बयान से इन सभी अटकलों पर फुल स्टॉप लगा दिया।
किसी को दिक्कत है तो सामने आए- शमी
शमी ने एक टीवी इंटरव्यू में बड़ी ही बेबाकी से कहा कि अगर किसी को उनके होने से दिक्कत है तो वह सामने आए। उन्होंने सवाल उठाया कि उनके रिटायर होने से किसी की जिंदगी बेहतर कैसे हो जाएगी? उनका कहना है कि वह किसी की ज़िंदगी का बोझ नहीं बनना चाहते, लेकिन जब तक वह खुद महसूस नहीं करेंगे कि अब वक्त आ गया है, तब तक मैदान से विदाई नहीं लेंगे।
यह बात उन्होंने सिर्फ शब्दों में नहीं कही, बल्कि उनके लहजे में जो आत्मविश्वास और आक्रोश था, उसने यह साबित कर दिया कि वह आज भी खुद को इस खेल के लिए पूरी तरह सक्षम मानते हैं। शमी ने कहा, “आप मुझे न चुनें, न खिलाएं, मुझे फर्क नहीं पड़ता। मैं मेहनत करता रहूंगा। जब बोर हो जाऊंगा, खुद मैदान छोड़ दूंगा।”
घरेलू क्रिकेट से भी है उतना ही लगाव
यहां तक कि अगर उन्हें भारतीय टीम में खेलने का मौका नहीं मिलता, तब भी शमी ने साफ किया है कि वह क्रिकेट खेलना बंद नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि वह घरेलू क्रिकेट खेलते रहेंगे। उन्होंने अपने दिल की बात कही कि जब तक सुबह उठकर मैच के लिए तैयार होने का उत्साह उनके अंदर जिंदा है, तब तक वह क्रिकेट छोड़ने का सवाल ही नहीं उठता।
शमी ने यहां तक कहा कि अगर टेस्ट मैच सुबह 7 बजे शुरू हो, तो वह सुबह 5 बजे उठने को भी तैयार हैं। ये शब्द एक ऐसे खिलाड़ी के हैं, जिसके लिए क्रिकेट सिर्फ पेशा नहीं, बल्कि इबादत है।
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वनडे वर्ल्ड कप जीतना है आखिरी सपना
शमी के दिल में एक सपना है, जो आज भी अधूरा है- वनडे वर्ल्ड कप जीतना। 2023 के वर्ल्ड कप में भारत फाइनल तक पहुंचा था, लेकिन खिताब से एक कदम दूर रह गया। शमी उस टूर्नामेंट में टीम का एक महत्वपूर्ण हिस्सा थे और बेहतरीन प्रदर्शन भी किया था। लेकिन अंत में ट्रॉफी हाथ से फिसल गई।
शमी कहते हैं कि उस समय जो माहौल था, जो उम्मीदें थीं, वह सबकुछ आज भी दिल में बसा हुआ है। लेकिन अब भी वह मानते हैं कि उनकी किस्मत में यह सपना लिखा हुआ है, और 2027 का वर्ल्ड कप उनका अगला लक्ष्य है। वह उस वर्ल्ड कप में भारत की जर्सी में मैदान पर उतरना चाहते हैं और अपने देश को चैंपियन बनते देखना चाहते हैं।
शमी की मैदान में वापसी की तैयारी
चोटों से जूझने के बाद शमी ने खुद को फिर से तैयार करने के लिए जो मेहनत की है, वह प्रेरणा देने वाली है। उन्होंने फिटनेस पर ध्यान दिया, वजन कम किया, गेंदबाज़ी में लय वापस लाई और फील्डिंग से लेकर जिम तक हर क्षेत्र में खुद को निखारने की कोशिश की।
उनका कहना है कि उन्होंने सिर्फ गेंदबाजी नहीं, बल्कि बल्लेबाजी और फील्डिंग पर भी काम किया है ताकि टीम में किसी भी रूप में योगदान दे सकें। शमी की इस तैयारी से साफ है कि वह सिर्फ वापसी के लिए नहीं, बल्कि धमाकेदार वापसी के लिए कमर कस चुके हैं।
जब तक प्यार है, क्रिकेट से रिश्ता अटूट है
शमी ने जिस अंदाज़ में क्रिकेट के प्रति अपने प्रेम को व्यक्त किया, वह हर क्रिकेट प्रेमी को छू जाता है। उन्होंने कहा कि क्रिकेट उनके खून में है और जब तक यह जुनून और लगाव ज़िंदा है, वह मैदान पर अपना सर्वश्रेष्ठ देते रहेंगे। उन्होंने दो टूक कहा, “जिस दिन क्रिकेट से प्यार खत्म हो जाएगा, उस दिन मैं खुद मैदान छोड़ दूंगा।”
ये शब्द किसी साधारण खिलाड़ी के नहीं हैं, बल्कि उस योद्धा के हैं जिसने मुश्किल हालातों में भी खुद को साबित किया है और बार-बार टीम इंडिया को गर्व करने के मौके दिए हैं।
दलीप ट्रॉफी में एक नई शुरुआत
शमी इस समय दलीप ट्रॉफी के लिए पूर्व क्षेत्र की टीम का हिस्सा हैं। यह टूर्नामेंट एक बार फिर से इंटर-जोनल फॉर्मेट में खेला जा रहा है और शमी जैसे अनुभवी खिलाड़ी की मौजूदगी निश्चित ही युवाओं के लिए प्रेरणा है। उन्होंने 64 टेस्ट, 108 वनडे और 25 टी-20 अंतरराष्ट्रीय मैच खेले हैं, और उनका अनुभव घरेलू क्रिकेट को नई दिशा दे सकता है।
उनकी आखिरी बड़ी उपस्थिति 2025 की शुरुआत में चैंपियंस ट्रॉफी में रही, जहां उन्होंने 5 मैचों में 9 विकेट झटके। भले ही उनकी इकॉनॉमी थोड़ी ज़्यादा रही, लेकिन विकेट चटकाने की उनकी आदत अब भी बरकरार है।
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