17 जून को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के बीच करीब 35 मिनट लंबी फोन वार्ता हुई थी, जिसके बाद दोनों देशों के रिश्तों में खटास आ गई। यह जानकारी ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट में दी गई है।
रिपोर्ट के अनुसार, यह कॉल उस वक्त हुई जब ट्रम्प कनाडा में G7 समिट से समय से पहले रवाना हो गए थे। वहां दोनों नेताओं की मुलाकात तय थी, लेकिन वह नहीं हो पाई। इसके बाद फोन पर हुई बातचीत में मोदी ने स्पष्ट कहा कि पाकिस्तान में सीजफायर उसकी अपनी अपील पर हुआ है, न कि अमेरिका की मध्यस्थता से। साथ ही, उन्होंने यह भी दोहराया कि कश्मीर मुद्दे पर भारत किसी तीसरे पक्ष की भूमिका स्वीकार नहीं करेगा।
पाकिस्तानी सेना प्रमुख से मुलाकात पर भारत की नाराज़गी
सूत्रों के हवाले से रिपोर्ट बताती है कि भारत को तब और असहजता हुई जब यह पता चला कि ट्रम्प अगले ही दिन व्हाइट हाउस में पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर का स्वागत करने वाले हैं। भारत का मानना था कि यह कदम उस संस्था को वैधता देने जैसा है, जो पाकिस्तान में लोकतंत्र के रास्ते में अक्सर बाधा रही है। इस वजह से मोदी ने ट्रम्प के वॉशिंगटन में रुकने के निमंत्रण को ठुकरा दिया और क्रोएशिया जाने का कार्यक्रम चुना।
वार्ता के बाद बिगड़े हालात
इस फोन कॉल के बाद ट्रम्प ने सार्वजनिक मंचों पर भारत की आलोचना शुरू कर दी। उन्होंने भारतीय अर्थव्यवस्था को ‘डेड इकोनॉमी’ कहा और व्यापार नीतियों को कमजोर बताया। इसके बाद भारतीय उत्पादों पर 50% तक टैरिफ लगाने का ऐलान किया गया।
6 अगस्त को ट्रम्प ने 25% अतिरिक्त शुल्क का आदेश साइन किया, जो 27 अगस्त से लागू होगा। यह कदम रूस से तेल खरीद को वजह बताते हुए उठाया गया। इससे पहले 30 जुलाई को भी 25% टैरिफ की घोषणा की गई थी।
किन-किन सेक्टर पर असर
- दवाइयाँ: भारत के जेनेरिक और वैक्सीन निर्यात पर सीधा असर पड़ सकता है, जिससे अमेरिका में कीमतें बढ़ेंगी।
- कपड़ा और टेक्सटाइल: सिल्क से लेकर कॉटन उत्पाद महंगे होंगे, मांग घट सकती है।
- ज्वेलरी: सोना, चांदी, हीरे के गहनों के निर्यात में गिरावट संभव।
- इलेक्ट्रॉनिक्स: लैपटॉप और सर्वर जैसे प्रोडक्ट्स पर भविष्य में शुल्क लगने से प्रतिस्पर्धा कमजोर हो सकती है।
- स्मार्टफोन: फिलहाल सुरक्षित हैं, लेकिन आगे 25% शुल्क लगने पर बाजार हिस्सेदारी पर असर पड़ सकता है।
अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर भी असर का अंदेशा
ट्रम्प ने अपने दूसरे कार्यकाल में 2 अप्रैल को पहली बार विदेशी सामानों पर टैरिफ लगाने की घोषणा की थी, जिससे अमेरिकी शेयर बाजार में दो दिनों में 10% से ज्यादा की गिरावट आई थी। विशेषज्ञों का कहना है कि 9 अगस्त से लागू होने वाले नए टैरिफ से वैश्विक बाजार और अमेरिकी अर्थव्यवस्था पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
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