क्यों जल रहा है लद्दाख, लेह में छात्रों ने CRPF की गाड़ी में क्यों लगा दी आग? जानें पूरी वजह

क्यों जल रहा है लद्दाख, लेह में छात्रों ने CRPF की गाड़ी में क्यों लगा दी आग? जानें पूरी वजह

Leh Protest: लद्दाख की सड़कों पर पिछले कई दिनों से गुस्सा उबाल मार रहा है. सोमवार को लेह में बड़े पैमाने पर हुए विरोध प्रदर्शन ने अचानक हिंसक रूप ले लिया। प्रशासन के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए पूर्ण बंद का आह्वान किया था, लेकिन यह शांतिपूर्ण प्रदर्शन जल्द ही बेकाबू हो गया।

छात्रों और स्थानीय लोगों ने CRPF की गाड़ी को आग के हवाले कर दिया, पुलिस वैन और अन्य वाहनों को भी नहीं बख्शा। यहां तक कि गुस्से में भरी भीड़ ने लेह स्थित बीजेपी कार्यालय को भी निशाना बनाया, जहां आगजनी की गई। सोशल मीडिया पर वायरल हुए वीडियो में जलता हुआ दफ्तर और धुएं में लिपटी इमारत लद्दाख के दर्द को बयान कर रही थी।

इस उग्र रूप की वजह सिर्फ एक दिन की भावनात्मक लहर नहीं थी, बल्कि यह सालों की अनदेखी और टूटे वादों की आग थी, जो अब सड़कों पर दिखाई दे रही है।

क्या है आंदोलन की असली वजह?

यह विरोध प्रदर्शन लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और उसे भारतीय संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर शुरू हुआ है। आंदोलन का नेतृत्व कर रही है लेह एपेक्स बॉडी (LAB), जो लद्दाख के लोगों की सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक सुरक्षा को लेकर मुखर रही है।

LAB की युवा इकाई ने विशेष रूप से इस बंद का आह्वान तब किया, जब मंगलवार शाम को भूख हड़ताल पर बैठे 15 में से दो लोगों की तबीयत बिगड़ गई और उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा। इन हड़तालियों की हालत अब भी नाजुक बनी हुई है।

लद्दाख के लोगों की मुख्य मांगें हैं:

  • स्थायी संवैधानिक सुरक्षा, जिससे बाहर के लोग जमीन या संसाधनों पर अधिकार न जमा सकें।
  • स्थानीय नौकरियों और शिक्षा में प्राथमिकता।
  • राजनीतिक अधिकार, जिससे वे अपनी सरकार चुन सकें और क्षेत्र की विकास योजनाओं में खुद निर्णय ले सकें।

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सोनम वांगचुक: आंदोलन की आवाज़

अगर इस आंदोलन की कोई सबसे प्रमुख आवाज़ है, तो वह हैं सोनम वांगचुक पर्यावरणविद, समाजसेवी और शिक्षा सुधारक। वही शख्स जिनकी प्रेरणा से फिल्म ‘3 इडियट्स’ का फुंसुख वांगडू बना था, आज खुद जमीनी लड़ाई लड़ रहे हैं।

वांगचुक 15 दिनों से भूख हड़ताल पर बैठे हैं। उनका कहना है कि, “संविधान दो साल में बन गया था, लेकिन हमारी मांगों पर पांच साल में भी चर्चा पूरी नहीं हो सकी। अब सब्र टूट रहा है। हम नहीं चाहते कि कुछ ऐसा हो जिससे देश की छवि को धक्का लगे, लेकिन लोगों की पीड़ा अब काबू से बाहर हो रही है।”

उनका आरोप है कि बीजेपी ने 2019 में वादा किया था कि लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल किया जाएगा, जिससे क्षेत्र की सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान सुरक्षित रह सकेगी। लेकिन अब तक वह वादा अधूरा है।

हरकत में आई केंद्र सरकार

लद्दाख की इस तीखी प्रतिक्रिया के बाद केंद्र सरकार हरकत में आई है। गृह मंत्रालय ने घोषणा की है कि 6 अक्टूबर को लद्दाख के प्रतिनिधियों के साथ अगला बातचीत का दौर आयोजित किया जाएगा।

लेकिन यहां एक बात साफ है अब सिर्फ बैठकों से समाधान नहीं होगा। LAB ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि जब तक राज्य का दर्जा और संवैधानिक अधिकार सुनिश्चित नहीं किए जाते, तब तक यह आंदोलन थमेगा नहीं।

लद्दाख के लोगों का यह भी कहना है कि उन्होंने अब तक शांतिपूर्ण ढंग से संघर्ष किया, लेकिन जब शांति से भी कुछ हासिल नहीं हुआ, तो अब उन्हें अपनी आवाज़ तेज करनी पड़ी।

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