नई दिल्ली: जब भी कोई देश वैश्विक मंच पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराता है, तो खेलों के ज़रिए उसकी छवि और संस्कृति दुनिया के सामने एक नई रोशनी में उभरती है। भारत भी अब एक और सुनहरा अध्याय जोड़ने की तैयारी में है। 2030 कॉमनवेल्थ गेम्स की मेजबानी के लिए भारत ने अपनी दावेदारी पेश कर दी है और यह आयोजन अहमदाबाद में कराने की योजना बनाई गई है।
यह सिर्फ एक खेल आयोजन की मेजबानी नहीं, बल्कि भारत की विश्वस्तरीय क्षमता और संकल्प का प्रमाण है। केंद्रीय कैबिनेट द्वारा इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलना यह दर्शाता है कि देश अब खेलों को केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि कूटनीति, पर्यटन और विकास का एक अहम हिस्सा मानने लगा है।
अहमदाबाद बन सकता है भारत का स्पोर्ट्स हब
अहमदाबाद केवल गुजरात का प्रमुख शहर नहीं, बल्कि अब भारत का एक उभरता हुआ वैश्विक स्पोर्ट्स डेस्टिनेशन बनता जा रहा है। आधुनिक बुनियादी ढांचे, शानदार स्टेडियम और सक्रिय राज्य सरकार की भागीदारी ने इस शहर को एक बड़ा दावेदार बना दिया है। हाल ही में कॉमनवेल्थ स्पोर्ट्स के डायरेक्टर डैरेन हॉल के नेतृत्व में एक टीम ने अहमदाबाद का दौरा किया और यहां की तैयारियों को सराहा भी।
नरेंद्र मोदी स्टेडियम, जो दुनिया का सबसे बड़ा क्रिकेट स्टेडियम है, पहले ही भारत की खेल क्षमताओं का प्रतीक बन चुका है। अब यदि कॉमनवेल्थ गेम्स की मेजबानी इस शहर को मिलती है, तो यह पूरी दुनिया के लिए भारत के खेल और व्यवस्थागत कौशल को देखने का एक अवसर होगा।
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कनाडा की दावेदारी से हटने के बाद उम्मीदें बढ़ीं
कॉमनवेल्थ गेम्स 2030 की मेजबानी को लेकर कनाडा ने खुद को रेस से बाहर कर लिया है। इससे भारत की संभावनाएं काफी बढ़ गई हैं। अब जब भारत ने 31 अगस्त 2025 तक फाइनल बिडिंग देने का निर्णय लिया है, तो नवंबर में कॉमनवेल्थ स्पोर्ट्स की जनरल असेंबली में मेजबानी का अंतिम फैसला लिया जाएगा।
भारत के पक्ष में यह भी है कि वह पहले भी 2010 में दिल्ली में सफलतापूर्वक कॉमनवेल्थ गेम्स करा चुका है। उस आयोजन के अनुभव, व्यवस्थाएं और मेहमाननवाज़ी अब दोबारा भारत को इस बड़े आयोजन की ज़िम्मेदारी दिला सकती हैं।
सरकार और IOA की साझा पहल
इस पूरे प्रयास में भारतीय ओलिंपिक संघ (IOA) और केंद्र सरकार की संयुक्त भागीदारी सराहनीय है। IOA पहले ही 14 अगस्त को इस दावेदारी को मंजूरी दे चुकी है, और अब कैबिनेट की स्वीकृति के बाद भारत एक मजबूत उम्मीदवार के रूप में उभरकर सामने आया है।
खेल मंत्री और अन्य संबंधित विभागों की सक्रियता यह दिखाती है कि भारत अब खेलों को केवल प्रतियोगिता के तौर पर नहीं, बल्कि राष्ट्र निर्माण के एक सशक्त साधन के रूप में देखता है।
भारत का ओलिंपिक सपना और अतीत की उपलब्धियां
भारत की खेल यात्रा सिर्फ 2030 पर ही नहीं रुकेगी। देश की नजरें 2036 के ओलिंपिक गेम्स पर भी टिकी हैं, जिसकी दावेदारी भारत पहले ही पिछले साल पेश कर चुका है। इस दिशा में यह दावेदारी एक अहम कदम मानी जा सकती है, क्योंकि विश्व खेल संगठनों के साथ भारत का संवाद और भरोसे की नींव मजबूत हो रही है।
भारत ने पहले 1951 और 1982 में एशियन गेम्स और 2010 में कॉमनवेल्थ गेम्स की सफल मेजबानी की है। ये आयोजन भारत की क्षमता, संस्कृति और संगठनात्मक कौशल के जीवंत उदाहरण हैं। अब 2030 को लेकर की जा रही यह कोशिश, देश को खेल महाशक्ति बनाने की दिशा में एक बड़ा पड़ाव बन सकती है।
सिर्फ खेल नहीं, देश का ब्रांड बनेगा मजबूत
अगर भारत को यह मेजबानी मिलती है, तो इसका फायदा सिर्फ खेलों तक सीमित नहीं रहेगा। पर्यटन, इन्फ्रास्ट्रक्चर, रोजगार, वैश्विक निवेश, और युवा सशक्तिकरण जैसे अनेक क्षेत्रों में सकारात्मक असर देखने को मिलेगा। देश की सॉफ्ट पावर बढ़ेगी और भारत की छवि एक उभरती वैश्विक ताकत के रूप में और भी निखरेगी।
2030 कॉमनवेल्थ गेम्स सिर्फ एक आयोजन नहीं, बल्कि भारत की नई उड़ान का प्रतीक होगा एक ऐसा अवसर जहां पूरी दुनिया भारत के रंग, संस्कृति, ताकत और मेहमाननवाज़ी को एक साथ महसूस करेगी।
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