Ind vs Pak Controversy: भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट हमेशा से सिर्फ एक खेल नहीं, बल्कि जज्बातों की लड़ाई रही है। मैदान में दो टीमें भले आमने-सामने हों, लेकिन असल में यह मुकाबला दो देशों के बीच सदियों पुराने तनाव और भावनाओं का आईना बन जाता है। ऐसा ही कुछ हुआ एशिया कप 2025 के मुकाबले में, जब भारत ने पाकिस्तान को 7 विकेट से हराया लेकिन कहानी सिर्फ जीत की नहीं थी, बल्कि उस फैसले की भी थी जिसने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा: भारतीय खिलाड़ियों ने पाकिस्तान से हाथ मिलाने से इनकार कर दिया।
रविवार को हुए भारत-पाकिस्तान मुकाबले में टीम इंडिया ने मैदान पर पूरी गरिमा के साथ खेला, शानदार प्रदर्शन किया और पाकिस्तान को करारी शिकस्त दी। लेकिन मैच खत्म होने के बाद जो हुआ, वो असल चर्चा का विषय बन गया। आमतौर पर मैच खत्म होने के बाद खिलाड़ी एक-दूसरे से हाथ मिलाते हैं, गले लगते हैं, और खेल भावना का परिचय देते हैं। लेकिन इस बार भारतीय खिलाड़ियों ने जानबूझकर हाथ नहीं मिलाया।
सूत्रों की मानें तो यह कोई अचानक लिया गया फैसला नहीं था, बल्कि एक रणनीतिक निर्णय था जिसमें BCCI और भारत सरकार दोनों की सहमति शामिल थी। यह सिर्फ खेल का हिस्सा नहीं, एक कड़ा संदेश था- एक ऐसे देश को, जिसकी सरहद पार से की गई नापाक हरकतों ने दर्जनों भारतीयों की जान ले ली।
क्यों लिया गया ये फैसला?
22 अप्रैल को कश्मीर के पहलगाम में जो हुआ, वह हर भारतीय के दिल को झकझोर गया। पाकिस्तान समर्थक आतंकियों ने 26 भारतीयों को सिर्फ उनके धर्म के आधार पर मार डाला। इस घटना के बाद भारत ने जवाबी कार्रवाई में ऑपरेशन सिंदूर चलाया, जिसमें पाकिस्तान के नौ एयरबेस और कई आतंकी ठिकाने तबाह कर दिए गए।
ऐसे हालात में, भारतीय खिलाड़ियों का यह फैसला कि वो पाकिस्तान के खिलाड़ियों से हाथ नहीं मिलाएंगे, सिर्फ एक भावनात्मक कदम नहीं था यह एक राष्ट्रीय स्तर का स्टैंड था। कप्तान सूर्यकुमार यादव ने भी साफ कहा, “कुछ बातें खेल भावना से ऊपर होती हैं।” यह सिर्फ एक हैंडशेक नहीं था जिसे रोका गया, बल्कि एक दर्द, एक विरोध, एक श्रद्धांजलि थी उन भारतीयों को जो निहत्थे मारे गए।
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ICC का जवाब- रेफरी नहीं हटाएंगे
पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड (PCB) ने इस फैसले को लेकर अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) में शिकायत दर्ज की। उनका आरोप था कि मैच रेफरी एंडी पायक्रॉफ्ट ने भारतीय टीम के दबाव में आकर दोनों टीमों को टॉस के बाद हाथ न मिलाने को कहा। PCB ने रेफरी को हटाने की मांग की और इस पूरे मामले को क्रिकेट के “स्पिरिट” के खिलाफ बताया।
हालांकि, ICC ने इस मांग को ठुकरा दिया और साफ किया कि मैच रेफरी एंडी पायक्रॉफ्ट को हटाया नहीं जाएगा। ICC का यह रुख बताता है कि किसी भी टीम को अपनी राष्ट्रीय नीति या भावना के तहत निर्णय लेने का अधिकार है, जब तक वह खेल के नियमों का उल्लंघन न कर रही हो।
क्या हैं क्रिकेट के नियम?
क्रिकेट के नियमों की किताब में कहीं भी यह नहीं लिखा गया है कि मैच खत्म होने के बाद हाथ मिलाना अनिवार्य है। यह सिर्फ एक परंपरा है, एक जेस्चर, जो खेल भावना को दर्शाता है। लेकिन जब मामला राष्ट्रीय सम्मान और संवेदनशील मुद्दों से जुड़ जाए, तब यह परंपरा भी टाली जा सकती है।
BCCI के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि “जब आप ऐसे देश के खिलाफ खेल रहे हों, जिसके साथ आपके देश के संबंध बेहद संवेदनशील हैं, तो आप उससे हाथ मिलाने के लिए बाध्य नहीं हो सकते।”
पूरा टूर्नामेंट नो-हैंडशेक रहेगा
सूत्रों की मानें तो भारत की यह नीति सिर्फ एक मैच के लिए नहीं थी, बल्कि पूरे एशिया कप टूर्नामेंट में भारतीय खिलाड़ी पाकिस्तान से हाथ नहीं मिलाएंगे। इतना ही नहीं, अगर भारत फाइनल जीतता है और ट्रॉफी प्रेजेंटेशन में PCB चेयरमैन मोहसिन नकवी मौजूद होते हैं (जो फिलहाल ACC के अध्यक्ष भी हैं), तो भारतीय टीम ट्रॉफी उनसे लेने से भी इनकार कर सकती है।
यह कदम कहीं न कहीं उन सैनिकों, आम नागरिकों और बलिदान देने वालों के प्रति एक श्रद्धांजलि होगी, जिन्होंने पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद की वजह से अपने प्राण गंवाए।
PCB अधिकारियों पर गिरी गाज
इस विवाद में पाकिस्तान क्रिकेट बोर्ड खुद भी सवालों के घेरे में आ गया। हैंडशेक मामले की शिकायत करने में देरी को लेकर PCB के इंटरनेशनल क्रिकेट ऑपरेशंस डायरेक्टर उस्मान वहाला को सस्पेंड कर दिया गया। PCB चेयरमैन मोहसिन नकवी का मानना है कि वहाला को टॉस के समय ही इस मामले को रेफरी के सामने उठाना चाहिए था, लेकिन उन्होंने देरी की और इससे पाकिस्तान की स्थिति कमजोर हुई।
एंडी पायक्रॉफ्ट कौन हैं?
मैच रेफरी एंडी जॉन पायक्रॉफ्ट जिम्बाब्वे के पूर्व क्रिकेटर हैं। उन्होंने अपने करियर में 3 टेस्ट और 20 वनडे खेले हैं। 2009 में उन्हें ICC के एलीट पैनल ऑफ मैच रेफरीज़ में शामिल किया गया। उन्हें लंबे अनुभव और निष्पक्ष निर्णयों के लिए जाना जाता है। PCB का उन पर पक्षपात का आरोप लगाना भी कहीं न कहीं दबाव की रणनीति से ज्यादा नहीं माना जा रहा।
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