नई दिल्ली: दुनिया की दो बड़ी अर्थव्यवस्थाएं भारत और अमेरिका अब खुले तौर पर एक व्यापारिक टकराव की ओर बढ़ती नजर आ रही हैं। अगर आप सोच रहे हैं कि इसका असर आप पर या आम लोगों पर कैसे पड़ेगा, तो बता दें कि ये सिर्फ दो देशों के बीच का कागजी झगड़ा नहीं है, बल्कि इसका सीधा असर हमारी जेब से लेकर बाजार तक दिखाई दे सकता है।
अमेरिका ने भारत के कुछ प्रमुख प्रोडक्ट्स पर भारी-भरकम टैक्स लगा दिए हैं, और अब भारत भी उसी भाषा में जवाब देने की तैयारी में है। सरकार अब चुनिंदा अमेरिकी प्रोडक्ट्स पर 50% तक टैरिफ लगाने का मन बना चुकी है। चलिए इस पूरे मामले को सरल भाषा में समझते हैं।
अमेरिका ने पहले उठाया टैरिफ का हथौड़ा
इस विवाद की शुरुआत तब हुई जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने भारतीय स्टील और एल्युमिनियम पर पहले 25% और फिर 50% तक का आयात शुल्क लगा दिया। इसके अलावा रूस से कच्चा तेल (ऑयल) खरीदने पर भारत को सजा देने के लिए अमेरिका ने 6 अगस्त को एक और 25% एक्स्ट्रा टैरिफ लागू कर दिया। ये फैसला न सिर्फ आर्थिक रूप से भारत के लिए झटका था, बल्कि कूटनीतिक रिश्तों में भी एक दरार जैसा साबित हुआ।
भारत हर साल इन मेटल्स का भारी मात्रा में एक्सपोर्ट करता है। अमेरिकी फैसले का असर करीब 7.6 बिलियन डॉलर यानी ₹66,500 करोड़ के भारतीय निर्यात पर पड़ा है। अब इतने बड़े नुकसान को नजरअंदाज करना किसी भी देश के लिए मुश्किल है।
बातचीत की जगह अब पलटवार की तैयारी
भारत ने पहले इस मुद्दे को बातचीत से सुलझाने की कोशिश की थी। वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गनाइजेशन (WTO) में भारत ने साफ कहा कि अमेरिका का यह कदम ‘नेशनल सिक्योरिटी’ के नाम पर लीपापोती है। असल में यह WTO के नियमों के खिलाफ जबरन लगाई गई सेफगार्ड ड्यूटी है। लेकिन अमेरिका ने बातचीत से इनकार कर दिया।
अब भारत ने कानूनी और आर्थिक दोनों मोर्चों पर तैयारी शुरू कर दी है। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार अब अमेरिका के उन प्रोडक्ट्स की पहचान कर रही है जिन पर जवाबी टैरिफ लगाया जा सकता है। जानकारों की मानें तो भारत कुछ अमेरिकी वस्तुओं पर सीधा 50% तक का टैरिफ लगा सकता है। ये टैरिफ उन्हीं प्रोडक्ट्स पर लगाया जाएगा, जिनसे भारत को नुकसान की भरपाई हो सके।
भारत का व्यापारिक हित खतरे में
हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार के सूत्रों का कहना है कि अमेरिका, एक ओर भारत के साथ द्विपक्षीय व्यापार समझौते (बाइलैटरल ट्रेड डील) की बात करता है, वहीं दूसरी ओर भारत के हितों के खिलाफ नीतियां बनाता है। इस दोहरे रवैये को भारत अब और नहीं सहने वाला। सरकार का साफ संदेश है कि अगर बातचीत से रास्ता नहीं निकलेगा, तो जवाबी कदम जरूर उठाए जाएंगे।
भारत के लिए ये सिर्फ टैरिफ की बात नहीं है, बल्कि ये देश की आर्थिक आत्मनिर्भरता और वैश्विक गरिमा का सवाल भी है। अमेरिका की एकतरफा और अनुचित नीतियों से भारत अब खुलकर टकराने को तैयार है।
अरबों डॉलर का व्यापार दांव पर
भारत और अमेरिका के बीच हर साल का व्यापारिक लेन-देन अरबों डॉलर में होता है। साल 2024-25 में अमेरिका ने भारत को करीब $45 बिलियन का सामान एक्सपोर्ट किया, जबकि भारत का अमेरिका को एक्सपोर्ट $86 बिलियन से भी ज्यादा का रहा। अब अगर भारत टैरिफ के जरिए जवाब देता है, तो इस व्यापारिक संतुलन में बड़ा बदलाव आ सकता है।
इतना ही नहीं, इस साल फरवरी में राष्ट्रपति ट्रम्प और प्रधानमंत्री मोदी ने दोनों देशों के व्यापार को $500 बिलियन तक पहुंचाने का वादा किया था। लेकिन अमेरिका ने जब भारत के कृषि और संवेदनशील क्षेत्रों में और ज्यादा रियायतें मांगीं, तो भारत ने इसे ठुकरा दिया। नतीजा यह हुआ कि ट्रेड डील पर बातचीत पूरी तरह से रुक गई।
राष्ट्रपति ट्रम्प का भारत को साफ संदेश
राष्ट्रपति ट्रम्प ने हाल ही में व्हाइट हाउस में बयान दिया कि जब तक मौजूदा विवाद नहीं सुलझता, तब तक भारत के साथ किसी भी प्रकार की व्यापारिक बातचीत नहीं की जाएगी। यह ट्रम्प की तरफ से एक स्पष्ट और सख्त संदेश था, जो यह दर्शाता है कि अमेरिका अब पीछे हटने के मूड में नहीं है।
भारत के लिए यह चेतावनी भी है और चुनौती भी। ऐसे में भारत को अपने आर्थिक हितों की रक्षा के लिए एक मजबूती से खड़ा होना ही होगा।
सिर्फ स्टील नहीं, हर क्षेत्र में व्यापार
यह विवाद सिर्फ स्टील और एल्युमिनियम तक सीमित नहीं है। अमेरिका भारत को एनर्जी, इलेक्ट्रॉनिक्स, केमिकल्स, और कई अन्य गुड्स भी एक्सपोर्ट करता है। साल 2024-25 में अमेरिका ने भारत को करीब $13.62 बिलियन की ऊर्जा सामग्री एक्सपोर्ट की।
इसके अलावा दोनों देशों के बीच सर्विस ट्रेड भी काफी अहम है। वर्ष 2024 में सर्विस सेक्टर में बाइलैटरल बिजनेस $83.4 बिलियन तक पहुंच गया था। इसमें अमेरिका ने $102 मिलियन का सरप्लस हासिल किया, यानी भारत से ज्यादा फायदा अमेरिका को हुआ।
भारत को अमेरिकी सर्विस एक्सपोर्ट 16% की वृद्धि के साथ $41.8 बिलियन पहुंच गया, वहीं भारत से इम्पोर्ट भी लगभग बराबर रहा $41.6 बिलियन। यह दर्शाता है कि दोनों देश आर्थिक रूप से कितने गहरे जुड़े हुए हैं।
भारत का अगला कदम क्या होगा?
अब जब अमेरिका बातचीत को नकार चुका है और भारत आर्थिक नुकसान झेल चुका है, तो जवाबी कार्रवाई ही एकमात्र रास्ता बचा है। भारत अमेरिका के खिलाफ WTO के तहत कानूनी प्रक्रिया में उतरने की तैयारी कर रहा है, साथ ही घरेलू स्तर पर उच्च टैरिफ लगाने की योजना भी अंतिम दौर में है।
यह लड़ाई सिर्फ दो सरकारों के बीच नहीं, बल्कि दो दृष्टिकोणों के बीच है एक तरफ अमेरिका का दबाव बनाने वाला तरीका और दूसरी तरफ भारत का आत्मसम्मान पर खड़ा रुख।
भारत अब यह साबित करने की कोशिश कर रहा है कि वह सिर्फ एक उभरती हुई अर्थव्यवस्था नहीं, बल्कि वैश्विक व्यापार के नियमों का एक स्वतंत्र और मजबूत खिलाड़ी है।
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