बेंगलुरु: हर देश की सुरक्षा व्यवस्था में ऐसे क्षण आते हैं, जब सिर्फ तकनीक या हथियार नहीं, बल्कि संकल्प और इच्छाशक्ति भी निर्णायक भूमिका निभाते हैं। भारत ने हाल ही में एक ऐसा ही क्षण देखा- ऑपरेशन सिंदूर, जिसने न केवल पाकिस्तान के मंसूबों को नाकाम किया बल्कि पूरी दुनिया को ये भी दिखा दिया कि जब बात अपने देश की सुरक्षा की हो, तो भारत किसी भी स्तर तक जाने से नहीं झिझकता।
बेंगलुरु में आयोजित एक कार्यक्रम में वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने पहली बार ऑपरेशन सिंदूर से जुड़ी अहम जानकारियां साझा कीं। उन्होंने बताया कि भारतीय वायुसेना ने इस ऑपरेशन के दौरान पाकिस्तान के 5 लड़ाकू विमानों को मार गिराया। इसके अलावा पाकिस्तान के एक हाई-टेक सर्विलांस एयरक्राफ्ट AEW&C/ELINT को भी करीब 300 किलोमीटर की दूरी से निशाना बनाकर गिराया गया, जो सतह से हवा में निशाना साधने की अब तक की सबसे बड़ी दूरी का रिकॉर्ड है।
यह कार्रवाई सिर्फ सैन्य रणनीति का हिस्सा नहीं थी, यह उस भरोसे का भी परिणाम थी जो हमारी सेना को मिला राजनीतिक नेतृत्व से, तकनीकी उपकरणों से और देशवासियों से।
S-400 बना गेमचेंजर, पाक के हथियार बेअसर
भारतीय वायुसेना प्रमुख ने इस बात पर खास जोर दिया कि हाल ही में शामिल किया गया S-400 एयर डिफेंस सिस्टम इस पूरे ऑपरेशन का गेमचेंजर साबित हुआ। पाकिस्तान ने लंबी दूरी के ग्लाइड बमों से हमला करने की कोशिश की, लेकिन वे भारतीय एयर डिफेंस सिस्टम को भेद भी नहीं सके। यानी सिर्फ हमला करना काफी नहीं होता, उसके लिए रणनीति और तैयारी का स्तर भी उतना ही मजबूत होना चाहिए।
बहावलपुर में तबाही की तस्वीरें दुनिया ने देखीं
एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने कहा कि पाकिस्तान के बहावलपुर में हमले के बाद वहां कुछ नहीं बचा था। उन्होंने ये भी बताया कि इस हमले से पहले और बाद की तस्वीरें सिर्फ सैटेलाइट से नहीं बल्कि स्थानीय मीडिया ने भी दिखाई थीं, जिनमें तबाह हो चुकी इमारतों की हालत देखना दिल दहला देने वाला अनुभव था।
यह हमला सिर्फ एक इमारत या ठिकाने पर नहीं था, बल्कि एक संदेश था- भारत अब आतंक के अड्डों को सिर्फ चेतावनी नहीं देगा, उन्हें खत्म करेगा।
हाई-टेक युद्ध था जो 80 से 90 घंटे तक चला
एयरफोर्स चीफ ने खुलासा किया कि यह एक हाई-टेक युद्ध था जो 80 से 90 घंटे तक चला। इतने कम समय में भारत ने इतना नुकसान किया कि पाकिस्तान को खुद समझ आ गया कि अगर यह युद्ध जारी रहा, तो उसे इससे भी बड़ी कीमत चुकानी पड़ सकती है। इसके बाद पाकिस्तान की तरफ से भारत के DGMO को बातचीत का प्रस्ताव भेजा गया, जिसे भारत ने स्वीकार किया।
यह सिर्फ भारत की सैन्य ताकत नहीं, बल्कि रणनीतिक विवेकशीलता की भी मिसाल थी।
बालाकोट के बाद कोई सबूत नहीं मांग रहा
वायुसेना प्रमुख ने साफ कहा कि 2019 के बालाकोट हमले के बाद सवाल उठे थे कि क्या हुआ और कितना हुआ, लेकिन इस बार सबूत खुद बोल रहे हैं। तस्वीरें, सैटेलाइट इमेज, मीडिया रिपोर्ट्स और पाकिस्तान की प्रतिक्रिया इन सबने मिलकर पूरी दुनिया को बता दिया कि भारत ने क्या हासिल किया है।
यह भारत की नई सैन्य नीति का परिचायक है अब हम सिर्फ जवाब नहीं देंगे, निर्णायक कार्रवाई करेंगे।
युद्ध को रोका, लेकिन जीत के साथ
ऑपरेशन सिंदूर के बारे में बोलते हुए एयर चीफ ने बताया कि इस जंग को उस समय रोका गया जब भारत ने अपने लक्ष्य हासिल कर लिए थे। उन्होंने यह भी कहा कि कुछ लोगों ने सुझाव दिया कि भारत को और आगे बढ़कर और भी ज्यादा कार्रवाई करनी चाहिए थी, लेकिन सरकार ने संतुलित और समझदारी भरा निर्णय लिया।
यह भारत की परिपक्वता का उदाहरण है कि उसने एक निर्णायक जीत के बाद युद्ध को यहीं समाप्त किया, बजाय इसे अहंकार की लड़ाई में बदलने के।
ऑपरेशन सिंदूर क्या था?
7 मई की रात करीब डेढ़ बजे, भारत ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (PoK) में आतंकियों के 9 ठिकानों पर जबरदस्त एयर स्ट्राइक की। इसमें लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे आतंकी संगठनों के ठिकानों को निशाना बनाया गया।
पाकिस्तानी मीडिया ने माना कि भारत ने कोटली, बहावलपुर, मुरीदके, बाग और मुजफ्फराबाद जैसे इलाकों पर हमले किए, जिसमें लश्कर का हेडक्वार्टर और मसूद अजहर का अड्डा भी तबाह हुआ। सेना के मुताबिक, इस ऑपरेशन में 100 से ज्यादा आतंकियों का खात्मा हुआ।
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