नई दिल्ली: जब देश के प्रधानमंत्री अपने दिल की बात पूरे देशवासियों से साझा करते हैं, तो उसमें सिर्फ शब्द नहीं, बल्कि जज़्बात, संकल्प और सकारात्मकता भी होती है। ऐसा ही कुछ देखने को मिला ‘मन की बात’ के 125वें एपिसोड में, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न सिर्फ प्राकृतिक आपदाओं से जूझ रहे देशवासियों का हौसला बढ़ाया, बल्कि उन युवाओं को भी आशा दी जो अपने जीवन के महत्वपूर्ण पड़ाव पर खुद को असमंजस में महसूस करते हैं।
प्रधानमंत्री की इस बार की बातचीत एक भावनात्मक यात्रा जैसी थी, जिसमें उन्होंने प्राकृतिक आपदा, खेल, तकनीक, युवा प्रतिभा और देशभक्ति की अनकही कहानियों को शामिल किया। आइए, जानते हैं इस ऐतिहासिक एपिसोड में क्या-क्या खास रहा।
प्रकृति हमारी परीक्षा ले रही है- पीएम मोदी
प्रधानमंत्री ने इस बार शुरुआत एक गंभीर और संवेदनशील मुद्दे से की- प्राकृतिक आपदाएं। उन्होंने कहा कि इस मानसून के मौसम ने देश की परीक्षा ली है। कहीं भूस्खलन हुआ, तो कहीं बाढ़ ने तबाही मचाई। उन्होंने उन परिवारों के प्रति संवेदना जताई जिन्होंने अपने प्रियजनों को खोया। साथ ही, NDRF और अन्य सुरक्षा बलों के जवानों की निःस्वार्थ सेवा को भी सलाम किया जो लगातार राहत और बचाव कार्यों में जुटे रहे।
इस हिस्से में प्रधानमंत्री की आवाज़ में चिंता और संवेदनशीलता दोनों साफ़ झलक रहे थे। उन्होंने कहा कि इस कठिन घड़ी में हम सबको एकजुट होकर देशवासियों की मदद करनी चाहिए।
प्रतिभा सेतु से खुलेगा करियर का नया रास्ता
एक और अहम ऐलान जिसने लाखों युवाओं के दिलों को छू लिया, वह था ‘प्रतिभा सेतु’ प्लेटफॉर्म का जिक्र। प्रधानमंत्री ने बताया कि UPSC जैसी कठिन परीक्षा में अंतिम चयन सूची में न आ पाने वाले उम्मीदवारों की योग्यता को अब बेकार नहीं जाने दिया जाएगा।
उनकी जानकारी और स्किल्स को एक डिजिटल प्लेटफॉर्म पर साझा किया जाएगा, जिसे देश की प्रमुख कंपनियों के साथ जोड़ा जाएगा। इसका मकसद है कि उन होनहार युवाओं को सरकारी क्षेत्र के बाहर भी उज्ज्वल अवसर मिलें, और देश को उनके टैलेंट का लाभ मिले। यह इनिशिएटिव उन युवाओं के लिए उम्मीद की किरण है, जो सिर्फ एक परीक्षा में पीछे रह जाने के कारण अपने सपनों से समझौता कर लेते हैं।
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जम्मू-कश्मीर ने दिखाई नई राह
प्रधानमंत्री मोदी ने जम्मू-कश्मीर को लेकर जो बातें साझा कीं, वे न सिर्फ आश्चर्यचकित करने वाली थीं, बल्कि सकारात्मक बदलाव की मिसाल भी पेश करती हैं। उन्होंने बताया कि पुलवामा के एक स्टेडियम में पहली बार डे-नाइट क्रिकेट मैच का आयोजन हुआ, और वहां हजारों लोग जुटे। यह वही पुलवामा है जो एक समय आतंकवाद और हिंसा की खबरों में रहता था, लेकिन आज खेल और उत्साह की खबरों से सुर्खियों में है।
इसके अलावा, डल झील में आयोजित हुआ देश का पहला खेलो इंडिया वाटर स्पोर्ट्स फेस्टिवल, जिसमें देशभर से 800 से ज्यादा एथलीटों ने हिस्सा लिया। महिला खिलाड़ियों की भागीदारी भी लगभग पुरुषों के बराबर रही। यह बदलाव सिर्फ एक राज्य का नहीं, बल्कि देश की मानसिकता और नीति का परिवर्तन दर्शाता है।
जितेंद्र सिंह और ‘सोलर दीदी’ की कहानियाँ
‘मन की बात’ की एक और खासियत होती है- ऐसे नायकों की कहानियाँ, जो आम ज़िंदगी में असाधारण काम कर जाते हैं। इस बार प्रधानमंत्री ने सूरत के जितेंद्र सिंह राठौड़ की कहानी साझा की। वह पेशे से सिक्योरिटी गार्ड हैं, लेकिन उनका जुनून है देश के वीर शहीदों की यादों को संजोना। उन्होंने प्रथम विश्व युद्ध से अब तक के हजारों शहीद जवानों की जानकारी, तस्वीरें और यहां तक कि शहीदों के माता-पिता के चरणों की मिट्टी भी सहेज कर रखी है।
दूसरी प्रेरणादायक कहानी थी बिहार की देवकी, जिन्हें सब प्यार से ‘सोलर दीदी’ कहते हैं। उन्होंने मुजफ्फरपुर के अपने गांव में सेल्फ हेल्प ग्रुप के साथ मिलकर सोलर पंप सिस्टम लगाया, जिससे पहले जहां कुछ एकड़ ज़मीन की सिंचाई हो पाती थी, अब 40 एकड़ से ज्यादा खेतों तक पानी पहुंच रहा है। यह न सिर्फ पर्यावरण हितैषी पहल है, बल्कि महिला सशक्तिकरण और ग्राम विकास की जीती-जागती मिसाल भी है।
‘मन की बात’ देश की आवाज़ बन चुका है
प्रधानमंत्री ने यह भी बताया कि ‘मन की बात’ अब 22 भारतीय भाषाओं, 29 बोलियों और 11 विदेशी भाषाओं में प्रसारित होता है। फ्रेंच, चीनी, तिब्बती, फारसी, पश्तो जैसी भाषाओं में इसका अनुवाद दुनिया को भारत के विचारों से जोड़ रहा है। यह सिर्फ एक रेडियो प्रोग्राम नहीं, बल्कि भारत के दिल की आवाज़ बन चुका है, जो 500 से ज्यादा ब्रॉडकास्टिंग केंद्रों से देश के कोने-कोने में गूंजती है।
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