अगर भारत नहीं खरीदता है रूस से तेल, तो होगा अरबों का नुकसान, देश के सबसे बड़े बैंक SBI की रिपोर्ट

India-Russia Oil Trade
India-Russia Oil Trade

नई दिल्ली: जब बात देश की जरूरतों की हो, तो हर बूंद तेल भी मायने रखती है। भारत जैसे विशाल और ऊर्जा-निर्भर देश के लिए कच्चे तेल की आपूर्ति सिर्फ एक आर्थिक विषय नहीं, बल्कि करोड़ों नागरिकों की दिनचर्या से जुड़ा मामला है। ऐसे में रूस जैसे भरोसेमंद साझेदार से मिलने वाला सस्ता तेल भारत के लिए एक बड़ी राहत रहा है। लेकिन अगर यही सप्लाई एक दिन अचानक रुक जाए, तो हालात क्या होंगे?

देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) की ताज़ा रिपोर्ट ने इस विषय पर चिंता जताई है और कुछ ऐसे आंकड़े सामने रखे हैं, जो न केवल आर्थिक विशेषज्ञों को, बल्कि आम नागरिक को भी सोचने पर मजबूर कर सकते हैं।

भारत को मिल रहा था रूस से सस्ता तेल

यूक्रेन युद्ध के बाद जहां पश्चिमी देशों ने रूस से तेल खरीदने पर प्रतिबंध लगा दिया, वहीं भारत ने अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता दी और रूस से कच्चा तेल खरीदना जारी रखा। इसका भारत को सीधा लाभ मिला- तेल की कीमतें अपेक्षाकृत कम रहीं और देश का आयात खर्च काफी हद तक नियंत्रित हुआ।

रूस भारत को प्रति बैरल करीब 60 डॉलर की कीमत पर कच्चा तेल दे रहा था, जो वैश्विक बाजार के मुकाबले काफी सस्ता है। यही कारण है कि वर्ष 2020 में जहां रूस से भारत की तेल खरीद सिर्फ 1.7% थी, वहीं 2024-25 में यह बढ़कर 35.1% हो गई। इस साल भारत ने रूस से 88 मिलियन मीट्रिक टन तेल खरीदा, जबकि कुल तेल आयात 245 मिलियन मीट्रिक टन रहा।

देश पर टूटेगा ₹10 लाख करोड़ का बोझ!

SBI की रिपोर्ट के अनुसार, अगर भारत को वित्त वर्ष 2026 के बाकी बचे समय में रूस से तेल मिलना बंद हो जाता है, तो क्रूड ऑयल का इम्पोर्ट बिल 9 अरब डॉलर यानी करीब ₹75,000 करोड़ तक बढ़ सकता है। और अगर यह स्थिति अगले वित्त वर्ष तक खिंचती है, तो यह बोझ 11.7 अरब डॉलर यानी ₹10,52,61,12,00,000 (10.52 लाख करोड़ रुपये) तक पहुंच सकता है।

इतना ही नहीं, वैश्विक स्तर पर भी इसका असर होगा। यदि पूरी दुनिया रूस से तेल खरीदना बंद कर देती है, तो कच्चे तेल की अंतरराष्ट्रीय कीमतों में 10% तक की वृद्धि देखी जा सकती है, जिससे भारत जैसे देशों के लिए हालात और भी कठिन हो जाएंगे।

अमेरिका की नाराजगी और भारत पर टैरिफ

रूस से भारत की बढ़ती तेल खरीद अमेरिका को खटक रही है। और अब इसका सीधा असर भारत-अमेरिका व्यापारिक रिश्तों पर भी दिखने लगा है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत से आयातित उत्पादों पर 50% तक टैरिफ लगा दिया है, जिसमें रूस से तेल खरीदने के चलते 25% जुर्माना भी शामिल है।

यह स्थिति भारत के लिए दोहरी चुनौती बन गई है, एक तरफ किफायती तेल की आपूर्ति को लेकर अनिश्चितता है और दूसरी ओर अमेरिका जैसे महत्वपूर्ण साझेदार के साथ व्यापारिक तनाव बढ़ता जा रहा है।

भारत लगभग 40 देशों से कच्चा तेल खरीदता है

भारत आज सिर्फ रूस पर निर्भर नहीं है। देश लगभग 40 देशों से कच्चा तेल खरीदता है, जिनमें अमेरिका, इराक, सऊदी अरब, ब्राजील, कनाडा, अजरबैजान और गुयाना जैसे नाम शामिल हैं।

विशेष बात यह है कि भारत ने मध्य पूर्व के देशों के साथ पहले से ही वार्षिक अनुबंध कर रखे हैं। इसलिए अगर किसी कारणवश रूस से तेल मिलना बंद भी हो जाए, तो भारत दूसरे स्रोतों से अपनी जरूरत पूरी कर सकता है।

हालांकि यह सच है कि इन विकल्पों से तेल मिलेगा, लेकिन यह सस्ता नहीं होगा। यानी भारत को अपनी जरूरत तो पूरी करनी ही होगी, लेकिन इसके लिए उसे पहले से कहीं ज्यादा कीमत चुकानी पड़ेगी। यह बढ़ा हुआ खर्च देश की अर्थव्यवस्था, मंहगाई दर और व्यापार घाटे पर सीधा असर डाल सकता है।

क्या होगा आम जनता पर असर?

जब सरकार को तेल महंगे दामों पर खरीदना पड़ेगा, तो वह बोझ धीरे-धीरे आम लोगों तक पहुंचेगा। पेट्रोल-डीजल की कीमतों में बढ़ोतरी हो सकती है, जिससे माल भाड़ा, परिवहन और बाकी आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में इजाफा होगा। इसका असर हर घर के बजट पर पड़ेगा।

SBI की रिपोर्ट साफ कहती है कि भारत के पास विकल्प तो हैं, लेकिन रूस की जगह कोई देश उस कीमत पर तेल नहीं दे सकता, जो भारत अभी पा रहा है। इसलिए यह साझेदारी भारत के लिए बेहद अहम है।

ये भी पढ़ें- ‘टैरिफ का मसला सुलझाओ, तभी बात होगी…’ ट्रंप का भारत से ट्रेड डील पर बातचीत से इनकार, Video

Comments

No comments yet. Why don’t you start the discussion?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *