जब हम अपने बच्चों का भविष्य सोचकर वोट देते हैं, तो उम्मीद करते हैं कि जिन नेताओं को हम चुनते हैं, वे ईमानदारी, नैतिकता और जिम्मेदारी का उदाहरण बनेंगे। लेकिन जब यह पता चलता है कि देश के लगभग आधे मंत्री खुद आपराधिक मामलों में आरोपी हैं, तो दिल में सवाल उठता है कि क्या हमारा लोकतंत्र वाकई सुरक्षित हाथों में है?
देश की राजनीति में पारदर्शिता और नैतिकता को लेकर गंभीर सवाल खड़े करती है एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (ADR) की हालिया रिपोर्ट। इस रिपोर्ट ने ना सिर्फ नेताओं की आपराधिक पृष्ठभूमि उजागर की, बल्कि उनकी संपत्ति की चौंकाने वाली तस्वीर भी पेश की है।
643 मंत्रियों में से 302 पर केस
यह चौंकाने वाली सच्चाई है कि देशभर के 643 मंत्रियों में से 302 ने अपने चुनावी हलफनामों में स्वीकार किया है कि उनके खिलाफ आपराधिक केस दर्ज हैं। इनमें से 174 मंत्री ऐसे हैं जिन पर हत्या, अपहरण, बलात्कार जैसे गंभीर आरोप लगे हैं। इनमें से कई नेता आज देश और राज्यों की सत्ता चला रहे हैं।
केंद्र सरकार में भी यह आंकड़ा छोटा नहीं है। 72 मंत्रियों में से 29 ने आपराधिक केस स्वीकार किए हैं, यानी करीब 40% मंत्री केंद्र में भी दागी हैं। सवाल उठता है, जब नीति बनाने वाले ही आरोपों के घेरे में हों, तो कानून का राज कैसे कायम होगा?
कौन सी पार्टियां कितनी ‘दागदार’?
इस रिपोर्ट ने राजनीतिक दलों की सच्चाई भी सामने रख दी है। सबसे ज्यादा मंत्रियों वाली भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के 336 मंत्रियों में से 136 पर आपराधिक केस हैं, जिनमें से 88 पर गंभीर आरोप हैं। कांग्रेस के 61 मंत्रियों में से 45 पर केस दर्ज हैं और 18 पर गंभीर अपराध के आरोप हैं।
कुछ क्षेत्रीय पार्टियों की स्थिति और भी चौंकाने वाली है। तेलुगु देशम पार्टी (TDP) के 23 में से 22 मंत्री आरोपी हैं, जिनमें से 13 पर गंभीर मामले हैं। डीएमके के 31 में से 27 मंत्री अपराधी हैं, जबकि आप (AAP) के 16 में से 11 मंत्री दागी हैं।
यह आंकड़े ना सिर्फ पार्टियों की सोच को दर्शाते हैं, बल्कि यह भी दिखाते हैं कि कई बार अपराधियों को जानबूझकर सत्ता का हिस्सा बनाया जाता है।
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11 राज्य जहां 60% से ज्यादा मंत्री अपराधी
देश के 11 राज्यों में मंत्रिमंडल की तस्वीर और भी गंभीर है। आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु, बिहार, महाराष्ट्र, कर्नाटक, पंजाब, तेलंगाना, दिल्ली, ओडिशा, हिमाचल प्रदेश और पुडुचेरी इन सभी जगहों पर 60 प्रतिशत से ज्यादा मंत्री किसी ना किसी आपराधिक मामले में आरोपी हैं।
वहीं हरियाणा, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड और नागालैंड जैसे राज्यों में एक भी मंत्री के खिलाफ आपराधिक केस दर्ज नहीं है। यह बताता है कि जहां राजनीतिक इच्छाशक्ति हो, वहां साफ छवि वाले नेताओं को चुनना मुमकिन है।
अरबपति मंत्रियों की दौलत की चकाचौंध
अगर हम नेताओं की संपत्ति पर नज़र डालें तो स्थिति और भी पेचीदा हो जाती है। इन 643 मंत्रियों की कुल संपत्ति ₹23,929 करोड़ है। यानी प्रत्येक मंत्री के पास औसतन ₹37.21 करोड़ की संपत्ति है।
कई मंत्रियों के पास तो अरबों की दौलत है। कर्नाटक में 8, आंध्र प्रदेश में 6 और महाराष्ट्र में 4 अरबपति मंत्री हैं। यहां तक कि केंद्र सरकार के 72 मंत्रियों में से भी 6 अरबपति हैं।
राजनीतिक पार्टियों की बात करें तो:
- भाजपा के 14 मंत्री अरबपति हैं।
- कांग्रेस के 11 मंत्री भी अरबपति हैं।
- TDP के 6, AAP, JDS, NCP, शिवसेना और जनसेना पार्टी के भी अरबपति मंत्री मौजूद हैं।
जब देश का आम आदमी महंगाई और बेरोजगारी से जूझ रहा हो, उस वक्त इतनी भारी संपत्ति रखने वाले नेता आमजन के दर्द को कितनी गहराई से समझ पाएंगे यह सवाल बेहद जरूरी हो जाता है।
महिला नेता भी अब ‘दागदार’ सूची में
महिलाओं को राजनीति में बढ़ते कदम देश के लिए गर्व की बात हो सकती है, लेकिन हाल ही में आई ADR की एक और रिपोर्ट चिंता बढ़ाने वाली है।
देश की 512 महिला सांसदों और विधायकों में से 143 (28%) पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें से 78 महिलाएं गंभीर आरोपों का सामना कर रही हैं, और 17 महिलाएं अरबपति हैं।
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