नई दिल्ली: भारत में तिरंगे का सम्मान किसी भी अन्य प्रतीक से ऊपर रखा गया है। यह न केवल एक ध्वज है, बल्कि देश की अस्मिता, संप्रभुता और एकता का प्रतीक है। इसी वजह से भारतीय संविधान और कानूनों में ऐसे कई प्रावधान किए गए हैं जो तिरंगे की गरिमा को बनाए रखने के लिए बनाए गए हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में कुछ ऐसे भी विदेशी झंडे हैं जिन्हें फहराना आपके लिए कानूनी मुसीबत बन सकता है? इतना ही नहीं, कई मामलों में तो पुलिस सीधे आपके घर तक पहुंच सकती है।
यह सवाल स्वाभाविक है: जब दुनिया के कई देशों में लोग खेल आयोजनों, सांस्कृतिक उत्सवों या राजनीतिक गतिविधियों में विदेशी झंडों को लहराते हैं, तो भारत में ऐसा क्यों नहीं हो सकता? इसका जवाब भारत की संवेदनशीलता और उन देशों के साथ संबंधों में छुपा है जिनका झंडा फहराना विवाद खड़ा कर सकता है।
कौन-कौन से झंडे भारत में ‘संवेदनशील’ माने जाते हैं?
भारत में किसी भी विदेशी राष्ट्र का झंडा फहराने को लेकर सीधे तौर पर कोई विशेष कानून नहीं है जो इसे पूरी तरह प्रतिबंधित करता हो। लेकिन फिर भी, कुछ खास देशों के झंडों को सार्वजनिक स्थानों पर फहराना सुरक्षा, शांति और सामाजिक सौहार्द के लिए खतरा माना जाता है।
पाकिस्तान और चीन ऐसे दो प्रमुख उदाहरण हैं, जिनके झंडे फहराना बेहद संवेदनशील माना जाता है। भारत-पाकिस्तान के बीच दशकों से चले आ रहे सैन्य और कूटनीतिक तनाव और हालिया भारत-चीन सीमा विवाद की वजह से इन देशों के प्रतीकों को सार्वजनिक रूप से दिखाना राष्ट्रीय सुरक्षा के नजरिए से चुनौतीपूर्ण हो सकता है।
ऐसे में अगर कोई व्यक्ति, चाहे अनजाने में ही क्यों न हो, पाकिस्तान या चीन का झंडा किसी सार्वजनिक स्थान पर फहरा दे, तो पुलिस द्वारा हिरासत में लिया जाना, पूछताछ होना और संभवतः केस दर्ज होना तय है। खासकर राजनीतिक रैलियों, धार्मिक आयोजनों या सोशल मीडिया पर वायरल वीडियोज के जरिये ऐसे कृत्य जब सामने आते हैं तो प्रशासन की सतर्कता और बढ़ जाती है।
क्या है कानून?
भारत में ‘राष्ट्रीय गौरव अपमान निवारण अधिनियम, 1971’ और ‘फ्लैग कोड ऑफ इंडिया, 2002’ ऐसे दो अहम कानूनी दस्तावेज हैं जो तिरंगे के इस्तेमाल से संबंधित नियमों को स्पष्ट करते हैं। हालांकि इन कानूनों में प्रत्यक्ष रूप से विदेशी झंडों का जिक्र नहीं है, लेकिन किसी भी ऐसे कार्य को अपराध माना जा सकता है जो भारत की संप्रभुता, एकता या सामाजिक सौहार्द के लिए खतरा बने।
इसके अतिरिक्त, भारतीय दंड संहिता (IPC) की कई धाराएं जैसे धारा 124A (देशद्रोह), धारा 153A (धर्म या जाति के आधार पर विद्वेष फैलाना) आदि के तहत भी कार्रवाई की जा सकती है अगर किसी का कार्य राष्ट्र विरोधी या सांप्रदायिक तनाव भड़काने वाला पाया जाए।
कब-कब हो सकती है छूट?
यहां यह समझना जरूरी है कि कुछ विशेष परिस्थितियों में विदेशी झंडों को फहराने की अनुमति दी जाती है, लेकिन यह भारत सरकार की अनुमति पर निर्भर करती है। उदाहरण के लिए:
विदेशी दूतावास या काउंसलेट्स में उस देश का झंडा फहराना एक सामान्य प्रक्रिया है और इसे पूरी तरह वैध माना जाता है।
अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन, कूटनीतिक आयोजनों या खेल प्रतियोगिताओं जैसे आयोजनों में, सभी प्रतिभागी देशों के झंडे फहराए जाते हैं — लेकिन इसके लिए आयोजकों को आवश्यक सरकारी अनुमति प्राप्त करनी होती है।
जानिए क्या हो सकता है अंजाम
अगर कोई नागरिक नासमझी या अज्ञानतावश पाकिस्तान, चीन या किसी भी विवादास्पद देश का झंडा फहरा देता है, तो यह महज ‘नादानी’ नहीं मानी जाएगी। स्थानीय प्रशासन इसे गंभीरता से ले सकता है। ऐसे मामलों में:
- झंडा तुरंत जब्त किया जा सकता है
- व्यक्ति को हिरासत में लेकर पूछताछ की जा सकती है
- राष्ट्रीय एकता के खिलाफ कार्य मानकर FIR दर्ज हो सकती है
सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो या तस्वीरें, आईटी ऐक्ट के तहत भी कार्रवाई को आमंत्रित कर सकती हैं
जनता को क्या सावधानी बरतनी चाहिए?
किसी भी विदेशी झंडे का सार्वजनिक उपयोग करने से पहले यह सुनिश्चित कर लें कि वह किसी संवेदनशील देश से संबंधित तो नहीं है। खेल आयोजनों में, जहां लोग अपनी पसंदीदा टीमों को सपोर्ट करते हैं, वहां भी विदेशी झंडों के प्रदर्शन से पहले स्थान, आयोजन की प्रकृति और अनुमति की जानकारी ले लें।
सोशल मीडिया पर किसी विदेशी झंडे के साथ तस्वीर या वीडियो पोस्ट करने से पहले यह जरूर सोचें कि वह किन कानूनी या सामाजिक मायनों में विवाद पैदा कर सकती है।
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