भारत में बैन होंगे Dream11 जैसे फैंटेसी ऐप! ऑनलाइन गेमिंग बिल लोकसभा में पास, जानें क्या हैं नियम?

Online Gaming Bill
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नई दिल्ली: हम सभी के जीवन में मोबाइल गेम्स एक सामान्य हिस्सा बन चुके हैं। ऑफिस की भागदौड़ के बीच कुछ मिनट का ब्रेक हो या देर रात दोस्तों के साथ ऑनलाइन कनेक्शन, फैंटेसी गेम्स जैसे ड्रीम-11, रमी और पोकर ने हमारे मनोरंजन को नया रंग दिया है। लेकिन अब लगता है कि यह खेल खत्म होने वाला है और वो भी अचानक।

20 अगस्त 2025 को लोकसभा में पास हुआ एक नया कानून- प्रमोशन एंड रेगुलेशन ऑफ ऑनलाइन गेमिंग बिल 2025 इन सभी मनी बेस्ड गेम्स को बंद करने की तैयारी में है। ये फैसला न केवल गेमर्स के लिए चौंकाने वाला है, बल्कि इससे जुड़ी करोड़ों की इंडस्ट्री और लाखों लोगों की नौकरियों पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं।

कौन-कौन से गेम आएंगे इसकी चपेट में?

सरकार का तर्क है कि रियल मनी ऑनलाइन गेमिंग समाज में मानसिक, आर्थिक और सामाजिक नुकसान पहुंचा रही है। कुछ लोगों ने गेमिंग की लत में अपनी ज़िंदगी की सारी जमा पूंजी गंवा दी, और कई बार इस वजह से आत्महत्याओं की खबरें भी सामने आईं। ऐसे में सरकार अब इस पूरे सेक्टर को ही बंद करने की ओर बढ़ रही है।

इस कानून के तहत ड्रीम-11, रमी, पोकर, गेम्सक्राफ्ट, विंजो जैसी रियल-मनी बेस्ड गेमिंग कंपनियों को ऑपरेट करना, चलाना या विज्ञापन देना गैरकानूनी होगा। अगर राज्यसभा में भी यह बिल पास हो गया तो भारत में मनी बेस्ड गेमिंग का अंत लगभग तय माना जा रहा है।

क्या टीम इंडिया से हट जाएगा ड्रीम-11 का नाम?

ड्रीम-11 आज भारतीय क्रिकेट टीम का लीड स्पॉन्सर है। स्टेडियमों में उसके बैनर दिखते हैं, जर्सियों पर उसका नाम छपा है और हर मैच में उसकी मौजूदगी महसूस होती है। लेकिन इस कानून के लागू होने के बाद, ऐसा संभव है कि ड्रीम-11 को टीम इंडिया से हटना पड़े।

यह केवल एक कंपनी का झटका नहीं होगा, बल्कि भारत के सबसे लोकप्रिय खेल क्रिकेट और उसकी कॉर्पोरेट इकोनॉमी पर भी असर डालेगा। इससे BCCI जैसी संस्थाओं की फंडिंग और प्रायोजन प्रणाली पर भी गहरा असर पड़ सकता है।

बिल में क्या-क्या सख्त प्रावधान हैं?

इस कानून में सरकार ने साफ कर दिया है कि कोई भी व्यक्ति, कंपनी या संस्था, अगर रियल मनी गेम को प्रमोट या ऑफर करता है, तो उसे 3 साल तक की जेल और 1 करोड़ रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। विज्ञापन देने वालों को भी बख्शा नहीं जाएगा उनके लिए 2 साल की सज़ा और 50 लाख रुपये का जुर्माना तय किया गया है।

साथ ही, एक रेगुलेटरी अथॉरिटी बनाई जाएगी, जो तय करेगी कि कौन-से गेम मनी बेस्ड हैं और कौन से नहीं। इसके साथ ही ई-स्पोर्ट्स, जैसे PUBG, फ्री फायर और नॉन-मॉनेटरी गेम्स को प्रोत्साहन देने की बात कही गई है।

गेमिंग इंडस्ट्री में 2 लाख नौकरियां खतरे में

भारत की ऑनलाइन गेमिंग इंडस्ट्री का वर्तमान मार्केट वैल्यू करीब 32,000 करोड़ रुपये है। इसमें से 86% रेवेन्यू रियल मनी गेम्स से आता है। 2029 तक यह आंकड़ा 80,000 करोड़ छूने की उम्मीद थी। लेकिन अब, इस कानून से बड़ी-बड़ी कंपनियों जैसे ड्रीम-11, गेम्स 24×7, गेम्सक्राफ्ट को गंभीर झटका लग सकता है।

ऑल इंडिया गेमिंग फेडरेशन (AIGF), ई-गेमिंग फेडरेशन (EGF) और फेडरेशन ऑफ इंडियन फैंटेसी स्पोर्ट्स (FIFS) जैसे संगठनों ने इस बिल का कड़ा विरोध किया है। उनका कहना है कि इससे करीब 2 लाख से ज्यादा नौकरियों पर खतरा है, और सरकार को मिलने वाला टैक्स रेवेन्यू भी रुक जाएगा।

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क्या लोग अब विदेशी गेम्स की ओर भागेंगे?

गेमिंग इंडस्ट्री का एक बड़ा डर यह भी है कि यदि भारत में ये गेम्स पूरी तरह से बैन हो गए, तो लोग नॉन-रेगुलेटेड, अवैध या विदेशी प्लेटफॉर्म्स की तरफ रुख करेंगे। ऐसे प्लेटफॉर्म न तो टैक्स देते हैं, न ही भारतीय कानूनों का पालन करते हैं।

इससे न केवल फ्रॉड, डेटा चोरी और पैसे की हेराफेरी बढ़ेगी, बल्कि आम उपयोगकर्ता को भी कोई सुरक्षा नहीं मिलेगी। जो लोग इन गेम्स से नियमित कमाई करते थे, उनका रोजगार भी छिन सकता है।

पहले टैक्स लगाया, अब बैन क्यों?

कुछ समय पहले ही सरकार ने ऑनलाइन गेमिंग पर 28% GST और 30% तक TDS टैक्स लगाने की घोषणा की थी। तब लगा था कि सरकार रेगुलेशन के रास्ते से चल रही है। लेकिन अब अचानक बैन का रास्ता चुन लिया गया है।

इस फैसले को लेकर उद्योग के विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार का यह कदम न तो व्यावसायिक रूप से सही है और न ही कानूनी रूप से मजबूत। उनका यह भी कहना है कि ये फैसला भारत के डिजिटल इकोसिस्टम को पीछे धकेल सकता है।

क्या कोर्ट में दी जा सकती है चुनौती?

बिलकुल, और दी भी जा रही है। कई कंपनियों और संगठनों ने इस बिल को संविधान विरोधी बताया है। उनके अनुसार, फैंटेसी स्पोर्ट्स और रमी जैसे स्किल-बेस्ड गेम्स को सुप्रीम कोर्ट पहले ही जुआ नहीं मान चुका है।

इसलिए ये बैन स्किल और चांस के बीच फर्क नहीं करता और यह संविधान के अनुच्छेद 19(1)(g) के तहत व्यवसाय की स्वतंत्रता का उल्लंघन है। ऐसे में सुप्रीम कोर्ट में इसकी कानूनी लड़ाई तय मानी जा रही है।

आम गेमर्स पर इसका क्या असर होगा?

भारत में करीब 50 करोड़ लोग ऑनलाइन गेमिंग से किसी न किसी रूप में जुड़े हुए हैं। चाहे वो फैंटेसी क्रिकेट के फैन हों, या रमी के शौकीन इस बैन से उनकी रोजमर्रा की डिजिटल एंटरटेनमेंट पर असर पड़ेगा।

वो जो खिलाड़ी इन प्लेटफॉर्म्स से थोड़ी-बहुत कमाई करते थे, उनके लिए ये रास्ता बंद हो जाएगा। साथ ही, फेक प्लेटफॉर्म्स पर जाने से उनकी सुरक्षा, डेटा और पैसा तीनों जोखिम में पड़ सकते हैं.

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