देश की राजनीति में एक नया अध्याय जुड़ गया है। मंगलवार का दिन भारत के लोकतंत्र के लिए बेहद अहम रहा, जब करोड़ों भारतीयों की नजरें संसद भवन में हुए उपराष्ट्रपति चुनाव पर टिकी थीं। इस बार मुकाबला दिलचस्प था एक ओर थे एनडीए के उम्मीदवार सीपी राधाकृष्णन, और दूसरी ओर विपक्ष के साझा उम्मीदवार बी. सुदर्शन रेड्डी।
रिजल्ट आया तो देश ने राहत की सांस ली सीपी राधाकृष्णन ने 452 वोटों के साथ ऐतिहासिक जीत दर्ज की और भारत के अगले उपराष्ट्रपति बन गए।
क्या खास है राधाकृष्णन की जीत में?
68 वर्षीय सीपी राधाकृष्णन की जीत सिर्फ एक राजनीतिक सफलता नहीं है, बल्कि यह उनके लंबे संघर्ष, ईमानदार छवि और देशभक्ति के जज्बे की पहचान भी है। उन्होंने जिस आत्मविश्वास और गरिमा के साथ खुद को इस चुनाव में प्रस्तुत किया, उसने देश के कोने-कोने में बैठे आम लोगों को प्रभावित किया है।
उनके सामने थे बी. सुदर्शन रेड्डी, जो कि विपक्ष के INDIA गठबंधन के उम्मीदवार थे। राधाकृष्णन को जहां 452 वोट मिले, वहीं रेड्डी को 300 सांसदों का समर्थन मिला।
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किन पार्टियों ने बनाई दूरी?
उपराष्ट्रपति चुनाव में कुछ राजनीतिक दलों ने चौंकाने वाला रुख अपनाया। बीआरएस (BRS) और बीजेडी (BJD) ने किसी भी गठबंधन के साथ खड़े न होकर खुद को चुनावी प्रक्रिया से अलग रखा। BRS के पास राज्यसभा में 4 सांसद हैं, जबकि बीजेडी के पास 7। इनका तटस्थ रहना चुनावी समीकरणों को थोड़ा प्रभावित तो कर सकता था, लेकिन अंततः राधाकृष्णन को भारी बहुमत से जीत मिली।
वहीं शिरोमणि अकाली दल ने भी इस बार वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया। पंजाब में आई बाढ़ को देखते हुए उन्होंने इस फैसले को नैतिक और मानवीय जिम्मेदारी बताया।
दूसरी ओर वाईएसआर कांग्रेस (YSRCP) के 11 सांसदों ने पहले ही साफ कर दिया था कि वे एनडीए उम्मीदवार का समर्थन करेंगे, जिससे राधाकृष्णन को और मजबूती मिली।
क्यों छोड़ा धनखड़ ने अपना पद?
सीपी राधाकृष्णन अब उस पद को संभालेंगे, जिसे जगदीप धनखड़ ने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए अचानक छोड़ दिया था। धनखड़ का कार्यकाल 10 अगस्त 2027 तक था, लेकिन उन्होंने 21 जुलाई को इस्तीफा दे दिया।
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