जब देश के लोकतंत्र की सबसे ऊंची कुर्सियों में से एक पर फैसला होना हो, तो हर आंख उस प्रक्रिया पर टिकी रहती है। आज का दिन भारत के इतिहास में एक और अहम मोड़ लेकर आया है। 15वें उपराष्ट्रपति चुनाव के लिए वोटिंग पूरी हो चुकी है, और अब सबकी निगाहें टिकी हैं आज रात 8 बजे तक जब नतीजा सामने आएगा।
कई सियासी समीकरण, गठबंधनों की रणनीतियाँ और सांसदों की चुप्पी सबकुछ मिलकर इस चुनाव को और भी रोमांचक बना देते हैं। लेकिन इस बार कहानी कुछ खास है।
वोटिंग हुई शांतिपूर्वक, रिजल्ट का इंतज़ार
आज यानी मंगलवार को संसद भवन में सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक वोटिंग का दौर चला। शाम 6 बजे से वोटों की गिनती शुरू हो गई और उम्मीद है कि रात 8 बजे तक देश को अपना नया उपराष्ट्रपति मिल जाएगा। कुल 781 सांसदों को वोट देने का अधिकार था, और अधिकतर ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया।
इस बार की खास बात यह रही कि वोटिंग बेहद शांतिपूर्ण और व्यवस्थित तरीके से हुई, लेकिन पर्दे के पीछे कई चालें चली गईं, जिनका असर नतीजे पर पड़ सकता है।
INDIA गठबंधन ने दिखाया दमखम
कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने सोशल मीडिया पर दावा किया कि INDIA गठबंधन के सभी 315 सांसदों ने वोट डाला है। उन्होंने यह भी कहा कि विपक्ष इस चुनाव में पूरी तरह एकजुट रहा और यह लोकतंत्र के लिए अच्छा संकेत है।
INDIA गठबंधन ने इस बार 79 वर्षीय बी. सुदर्शन रेड्डी को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया था। वे लंबे समय से संविधान, न्याय और सामाजिक न्याय के मुद्दों से जुड़े रहे हैं और उनकी उम्मीदवारी विपक्ष की ओर से एक मजबूत संदेश के रूप में देखी जा रही है।
ये भी पढ़ें- Mercedes, Audi से लेकर BMW तक… GST कटौती से कितनी सस्ती हुईं ये लग्जरी कारें? जानें की नई कीमत
एनडीए के पास संख्याबल का दावा
दूसरी ओर, NDA ने 68 वर्षीय सीपी राधाकृष्णन को मैदान में उतारा है। राधाकृष्णन एक अनुभवी राजनेता माने जाते हैं और उन्हें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के वरिष्ठ नेताओं का पूरा समर्थन प्राप्त है।
अगर सांसदों ने पार्टी लाइन पर ही वोट किया है, तो आंकड़े साफ कहते हैं कि राधाकृष्णन को 422 वोट और रेड्डी को 315 वोट मिलने की संभावना है। लेकिन, गुप्त मतदान होने के कारण क्रॉस वोटिंग की संभावना से भी इनकार नहीं किया जा सकता।
किन दलों ने बनाई दूरी?
कुछ प्रमुख क्षेत्रीय दलों ने इस बार खुद को दोनों ही गठबंधनों से दूर रखा। तेलंगाना की BRS पार्टी और ओडिशा की BJD ने उपराष्ट्रपति चुनाव से किनारा कर लिया। ये दोनों ही पार्टियाँ लगभग 11 सांसदों का प्रतिनिधित्व करती हैं, जिनके वोट किसी भी तरफ समीकरण बदल सकते थे।
इसके अलावा, शिरोमणि अकाली दल, जो लोकसभा में एकमात्र सांसद के साथ मौजूद है, ने पंजाब में बाढ़ के हालात का हवाला देते हुए वोटिंग से दूरी बनाई।
वहीं, वाईएसआर कांग्रेस (YSRCP) के 11 सांसदों ने पहले ही NDA उम्मीदवार को समर्थन देने की घोषणा कर दी थी।
क्यों खाली हुआ उपराष्ट्रपति पद?
उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव की नौबत तब आई, जब मौजूदा उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई को अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए यह फैसला लिया, हालांकि उनके इस्तीफे ने राजनीतिक गलियारों में कई सवाल भी खड़े किए।
उनका कार्यकाल 10 अगस्त 2027 तक था, लेकिन अब देश को नया उपराष्ट्रपति मिलना तय है। इस पद की गरिमा को देखते हुए यह चुनाव केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि संवैधानिक संतुलन का प्रतीक भी है।
ये भी पढ़ें- नेपाल छोड़कर दुबई भाग सकते हैं पीएम केपी ओली, प्राइवेट कंपनी का प्लेन तैयार, देखें खूनी प्रदर्शन का Video