‘यह 88 घंटे का ऑपरेशन इतना जबरदस्त था कि…’ आर्मी चीफ ने बताया पाकिस्तान क्यों हुआ सीजफायर को मजबूर?

General Dwivedi
General Dwivedi

नई दिल्ली: कभी-कभी कुछ घटनाएं इतिहास की किताबों में सिर्फ तारीख़ नहीं बनतीं, बल्कि एक नई पहचान, नया आत्मविश्वास और नया भारत गढ़ती हैं। ऐसी ही एक ऐतिहासिक घटना का नाम है- ऑपरेशन सिंदूर। यह सिर्फ एक सैन्य ऑपरेशन नहीं था, बल्कि एक ऐसी ताक़तवर और सोच-समझकर रची गई रणनीति थी, जिसने दुश्मन की नस-नस को हिला कर रख दिया।

जब पाकिस्तान अपनी चालाकियों और आतंक की पनाहगाहों पर इतराता रहा, भारत ने सिर्फ 88 घंटे में ऐसा जवाब दिया कि पाकिस्तान को संघर्षविराम की भीख मांगनी पड़ी। इस पूरे ऑपरेशन को जिस सूझबूझ, सटीकता और साहस से अंजाम दिया गया, उसने भारतीय सेना को एक बार फिर दुनिया की सबसे प्रबल सैन्य शक्तियों में शुमार कर दिया।

जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने खोला ऑपरेशन सिंदूर का राज

भारतीय सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने IIT मद्रास में दिए अपने जोशीले भाषण में पहली बार सार्वजनिक रूप से बताया कि ऑपरेशन सिंदूर ने किस तरह से पाकिस्तान को रणनीतिक रूप से झुका दिया।

उन्होंने इसे महज एक सैन्य कार्रवाई नहीं, बल्कि “धमाका” बताया ऐसा धमाका जिसने दुश्मनों के होश उड़ा दिए और दुनिया को भारत की सैन्य रणनीति का असली चेहरा दिखा दिया। जनरल द्विवेदी ने कहा कि यह ऑपरेशन सर्जिकल स्ट्राइक से भी कहीं आगे था—यह तीनों सेनाओं की समन्वित आक्रामकता, खुफिया जानकारी और तकनीकी कौशल का ऐसा प्रदर्शन था, जिसे पाकिस्तानी फौज और ISI शायद कभी भूल नहीं पाएंगे।

ऑपरेशन सिंदूर: जब सटीकता और तकनीक ने दुश्मन को कर दिया पस्त

88 घंटे का यह ऑपरेशन हर मायने में खास था, यह एक ऐसा मास्टरस्ट्रोक था जिसमें कूटनीति, सूचना तंत्र, सैन्य ताकत और आर्थिक दबाव को एक साथ इस्तेमाल किया गया। भारत ने युद्ध का चेहरा बदला, जहां सिर्फ गोलियों से नहीं, बल्कि मनोवैज्ञानिक दबाव, रणनीतिक चालों और उच्च तकनीक से दुश्मन को घुटनों पर लाया गया।

इस अभियान ने यह स्पष्ट कर दिया कि भारत अब पारंपरिक सीमाओं में नहीं सोचता। यह पांचवीं पीढ़ी के युद्ध का उदाहरण था, जिसमें आमने-सामने की लड़ाई से कहीं ज्यादा अहम भूमिका होती है—ड्रोन, साइबर युद्ध, मनोवैज्ञानिक दबाव और खुफिया जानकारी की।

‘अग्निशोध’: आत्मनिर्भर भारत के सैन्य भविष्य की चाबी

ऑपरेशन सिंदूर की सफलता के पीछे सिर्फ हथियार नहीं, बल्कि भारत की वैज्ञानिक सोच और टेक्नोलॉजिकल तैयारी भी थी। यही कारण है कि जनरल द्विवेदी ने चेन्नई में ‘अग्निशोध’ रिसर्च सेल का उद्घाटन किया।

यह केंद्र सिर्फ एक प्रयोगशाला नहीं, बल्कि भारत की रक्षा आत्मनिर्भरता की दिशा में सबसे बड़ा कदम है। यह रक्षा अनुसंधान और सेना के बीच की दूरी को खत्म करेगा। IIT मद्रास, IIT दिल्ली, IIT कानपुर और IISc बेंगलुरु जैसे संस्थानों के साथ मिलकर सेना अब भविष्य के हथियार, संचार प्रणाली और सैन्य रोबोटिक्स विकसित कर रही है।

जनरल द्विवेदी ने इसे “स्वदेशीकरण से सशक्तिकरण” का मंत्र बताया और कहा कि ‘अग्निशोध’ भारत के युवा मस्तिष्क को रणभूमि के लिए तैयार करेगा।

भविष्य के युद्ध: जब हथियार नहीं, डेटा लड़ेंगे

जनरल द्विवेदी ने अपने भाषण में यह साफ किया कि भविष्य में युद्ध बंदूकों से नहीं, बल्कि डेटा, क्वांटम कंप्यूटिंग, साइबर ताकत, और ड्रोन से लड़े जाएंगे।

अग्निशोध अब सैन्यकर्मियों को इन तकनीकों में दक्ष बनाएगा, जिससे भारत का हर सैनिक एक साइबर योद्धा बन सकेगा। इससे भारत को न केवल लड़ाई में बढ़त मिलेगी, बल्कि वैश्विक स्तर पर एक प्रौद्योगिकीय महाशक्ति बनने की दिशा में मदद मिलेगी।

युवाओं और पूर्व सैनिकों को भी सलाम

चेन्नई दौरे के दौरान जनरल द्विवेदी ने सिर्फ तकनीक की बात नहीं की, बल्कि भावनाओं से भी जुड़ाव दिखाया। उन्होंने प्रशिक्षण अकादमी का दौरा कर युवाओं की तैयारी को सराहा और कैडेट्स में देशभक्ति, अनुशासन और सैन्य मूल्यों की भावना भरने वाले प्रशिक्षकों को धन्यवाद दिया।

साथ ही चार विशिष्ट पूर्व सैनिकों को सम्मानित कर उन्होंने यह संदेश दिया कि जो योद्धा कभी मैदान में लड़े, उन्हें देश कभी नहीं भूलता।

अब भारत सिर्फ जवाब नहीं देता, परिणाम तय करता है

ऑपरेशन सिंदूर ने एक बात पूरी तरह स्पष्ट कर दी है अब भारत सिर्फ गोलियां नहीं चलाता, रणनीति, तकनीक और मनोबल से लड़ता है।

पाकिस्तान को घुटने टेकने पर मजबूर करना सिर्फ एक सैन्य उपलब्धि नहीं थी, यह एक राजनयिक और मनोवैज्ञानिक जीत भी थी। और यह शुरुआत भर है। अग्निशोध जैसे प्रोजेक्ट्स के साथ भारत अब भविष्य के युद्धों के लिए तैयार है, एक ऐसा भारत जो न सिर्फ सुरक्षा चाहता है, बल्कि सम्मान और आत्मनिर्भरता के साथ सुरक्षा करता है।

ये भी पढ़ें- कोई खाली हाथ, तो कोई नोट भरकर गया… हसीना से लेकर गनी तक, तख्तापलट के बाद भागने वाले नेताओं की कहानी

Comments

No comments yet. Why don’t you start the discussion?

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *