वॉशिंगटन: अमेरिका ने ईरान से प्रतिबंधित पेट्रोकेमिकल और रसायन उत्पादों की अवैध खरीद और व्यापार करने के मामले में दुनिया की 24 कंपनियों पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं। अमेरिकी विदेश मंत्रालय द्वारा जारी एक बयान के अनुसार, इन कंपनियों ने ईरान से प्रतिबंधित उत्पादों का बड़े पैमाने पर व्यापार किया, जिससे ईरान को भारी राजस्व प्राप्त हुआ। यह धन अमेरिका के अनुसार, ईरान के न्यूक्लियर कार्यक्रम और आतंकी गतिविधियों में लगाया जा रहा है।
इन प्रतिबंधित कंपनियों में 6 भारतीय कंपनियां भी शामिल हैं, जिन पर चोरी-छिपे करोड़ों डॉलर का व्यापार करने का आरोप है। इनके अलावा चीन की 7, संयुक्त अरब अमीरात (UAE) की 6, हॉन्गकॉन्ग की 3, और तुर्किये और रूस की एक-एक कंपनी पर भी प्रतिबंध लगाए गए हैं।
अमेरिका का आरोप क्या है?
अमेरिका का दावा है कि ये कंपनियां 2024 के दौरान ईरान से प्रतिबंधित पेट्रोकेमिकल और अन्य रासायनिक उत्पाद खरीद रही थीं और उन्हें विशेष रूप से यूएई जैसे देशों के रास्ते वैश्विक बाजार में ला रही थीं। अमेरिकी विदेश विभाग का कहना है कि यह ईरान पर लगे अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंधों का स्पष्ट उल्लंघन है।
अमेरिका का यह भी आरोप है कि ईरान, इन उत्पादों की बिक्री से मिलने वाले फंड का उपयोग अपने परमाणु कार्यक्रम को आगे बढ़ाने और आतंकवादी संगठनों को वित्तीय सहायता देने में कर रहा है।
किन भारतीय कंपनियों को निशाना बनाया गया?
इन 6 भारतीय कंपनियों पर ईरानी उत्पादों के अवैध व्यापार का आरोप है:
अलकेमिकल सॉल्यूशंस प्राइवेट लिमिटेड (Alchemical Solutions Pvt. Ltd.): इस कंपनी पर सबसे अधिक व्यापार करने का आरोप है। जनवरी से दिसंबर 2024 के बीच कंपनी ने करीब 84 मिलियन डॉलर (लगभग 700 करोड़ रुपए) मूल्य के ईरानी पेट्रोकेमिकल उत्पाद आयात किए।
ग्लोबल इंडस्ट्रियल केमिकल्स लिमिटेड (Global Industrial Chemicals Ltd.): जुलाई 2024 से जनवरी 2025 तक इसने 51 मिलियन डॉलर (लगभग 425 करोड़ रुपए) के मेथनॉल और अन्य उत्पाद खरीदे।
ज्यूपिटर डाई केम प्राइवेट लिमिटेड (Jupiter Dye Chem Pvt. Ltd.): इस कंपनी ने टोल्यून जैसे रसायनों सहित करीब 49 मिलियन डॉलर का ईरानी माल मंगाया।
रमणिकलाल एस. गोसालिया एंड कंपनी (Ramaniklal S. Gosalia & Co.): इसने करीब 22 मिलियन डॉलर के पेट्रोकेमिकल उत्पाद, खासकर मेथेनॉल और टॉल्युइन, का आयात किया।
पर्सिस्टेंट पेट्रोकेम प्राइवेट लिमिटेड (Persistent Petrochem Pvt. Ltd.): अक्टूबर से दिसंबर 2024 के बीच इस कंपनी ने 14 मिलियन डॉलर का ईरानी मेथेनॉल खरीदा।
कंचन पॉलिमर्स (Kanchan Polymers): इस कंपनी पर 1.3 मिलियन डॉलर के पॉलीइथिलीन उत्पादों की खरीद का आरोप है।
प्रतिबंधों का दायरा और असर
इन प्रतिबंधों के तहत:
इन कंपनियों की अमेरिका में मौजूद सभी संपत्तियों और वित्तीय संसाधनों को तत्काल प्रभाव से फ्रीज कर दिया गया है।
अमेरिकी नागरिकों और कंपनियों को इन प्रतिबंधित कंपनियों से किसी भी प्रकार के व्यापार या आर्थिक लेन-देन की अनुमति नहीं होगी।
इसके अलावा, यदि किसी अन्य कंपनी में इन प्रतिबंधित कंपनियों की 50% या उससे अधिक की हिस्सेदारी है, तो वह कंपनी भी इन प्रतिबंधों के दायरे में आ जाएगी।
अमेरिका का उद्देश्य क्या है?
अमेरिका का कहना है कि इन प्रतिबंधों का उद्देश्य सजा देना नहीं, बल्कि कंपनियों को अंतरराष्ट्रीय नियमों के तहत संचालित होने के लिए बाध्य करना है। प्रतिबंधित कंपनियां यदि चाहें तो अमेरिकी वित्त मंत्रालय के सामने प्रतिबंध हटवाने की याचिका दाखिल कर सकती हैं, जिसमें उन्हें यह साबित करना होगा कि वे अब इन गतिविधियों में शामिल नहीं हैं।
पहले भी लग चुके हैं प्रतिबंध
इससे पहले फरवरी 2025 में भी अमेरिका ने भारत की 4 कंपनियों पर प्रतिबंध लगाए थे। उन पर ईरानी तेल और पेट्रोलियम उत्पादों की ट्रांसपोर्टेशन में शामिल होने का आरोप था। ये कंपनियां थीं:
- फ्लक्स मैरीटाइम LLP (नवी मुंबई)
- BSM मैरीन LLP (दिल्ली-NCR)
- ऑस्टिनशिप मैनेजमेंट प्रा. लि. (दिल्ली-NCR)
- कॉसमॉस लाइन्स इंक (तंजावुर)
इनमें से तीन कंपनियां उन जहाजों का प्रबंधन करती थीं जो ईरानी तेल के परिवहन में लगे थे, जबकि एक कंपनी सीधे ट्रांसपोर्टेशन में शामिल थी।
वैश्विक स्तर पर क्या संकेत?
अमेरिका की यह कार्रवाई उसकी “मैक्सिमम प्रेशर” नीति का हिस्सा है, जिसके तहत ईरान पर राजनीतिक और आर्थिक दबाव बनाया जा रहा है। यह कदम दुनिया भर की कंपनियों के लिए चेतावनी है कि वे ईरान से व्यापार करते समय अमेरिकी प्रतिबंधों की अनदेखी न करें, वरना उन्हें भी इसी प्रकार की कार्रवाई का सामना करना पड़ सकता है।