वॉशिंगटन: अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बुधवार को एक अहम घोषणा करते हुए बताया कि अमेरिका और पाकिस्तान के बीच एक नई ऑयल डील को अंतिम रूप दे दिया गया है। इस समझौते के तहत अमेरिका, पाकिस्तान में मिले नए तेल भंडारों के विकास में तकनीकी और वित्तीय सहयोग करेगा। इस साझेदारी में एक अमेरिकी ऊर्जा कंपनी को भी शामिल किया जाएगा जो इन तेल स्रोतों का दोहन करने में मदद करेगी।
ट्रंप ने इस मौके पर सोशल मीडिया पर लिखा, “हमने पाकिस्तान के साथ एक बड़ी डील की है, जिसमें अमेरिका पाकिस्तान के तेल संसाधनों के विकास में मदद करेगा। एक दिन शायद पाकिस्तान भारत को भी तेल बेचे – कौन जानता है!”
यह बयान ऐसे समय आया है जब कुछ ही घंटों पहले ट्रंप प्रशासन ने भारत के खिलाफ कड़ा आर्थिक कदम उठाते हुए भारतीय उत्पादों पर 25% आयात शुल्क (टैरिफ) लगाने की घोषणा की। ट्रंप ने भारत पर रूस से तेल और हथियार खरीदने का आरोप लगाया है और कहा कि इसका जवाब आर्थिक प्रतिबंधों के जरिए दिया जाएगा।
पाकिस्तान के पास नया तेल और गैस भंडार
पाकिस्तान के समुद्री क्षेत्र में 2024 के अंत में तेल और प्राकृतिक गैस का एक विशाल भंडार मिलने की पुष्टि हुई थी। पाकिस्तान की मीडिया और अधिकारियों के मुताबिक, यह भंडार अरब सागर के गहरे पानी में स्थित है और इसका पता लगाने के लिए पिछले तीन सालों से एक सहयोगी देश की मदद से व्यापक भौगोलिक सर्वेक्षण किए जा रहे थे। इन प्रयासों के बाद अब इस क्षेत्र में ऊर्जा संसाधनों की उपस्थिति प्रमाणित हो चुकी है।
बताया जा रहा है कि यह तेल और गैस का भंडार दुनिया के सबसे बड़े ऊर्जा भंडारों में से एक हो सकता है। कुछ विशेषज्ञ इसे दुनिया का चौथा सबसे बड़ा भंडार मान रहे हैं। वर्तमान में वेनेजुएला के पास सबसे बड़ा कच्चे तेल का भंडार है, जिसमें लगभग 340 लाख बैरल की क्षमता है।
तेल निकालने की प्रक्रिया में लग सकता है वक्त
विशेषज्ञों का कहना है कि इस भंडार का पूरी तरह से उपयोग करने में 4 से 5 साल का समय लग सकता है। इस प्रोजेक्ट पर शुरुआती रिसर्च और अध्ययन पर ही करीब 42 हजार करोड़ रुपए का खर्च आने का अनुमान है। इसके बाद तेल और गैस को समुद्र की गहराई से निकालने के लिए ड्रिलिंग, पाइपलाइन और रिफाइनिंग जैसी सुविधाओं के लिए भारी निवेश की आवश्यकता होगी।
पाकिस्तान सरकार इस परियोजना को अपनी ‘ब्लू इकोनॉमी’ नीति का महत्वपूर्ण हिस्सा मान रही है, जिसका उद्देश्य समुद्री संसाधनों का इस्तेमाल करके देश की आर्थिक स्थिति को सुधारना है। समुद्री व्यापार, पोर्ट इंफ्रास्ट्रक्चर और सामुद्रिक नीति को मजबूती देने के लिए यह एक बड़ा कदम माना जा रहा है।
अमेरिका का भारत पर कड़ा रुख
पाकिस्तान के साथ तेल समझौते के ऐलान के कुछ ही समय बाद अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत को लेकर सख्त कदम उठाए। उन्होंने कहा कि 1 अगस्त 2025 से भारत से आने वाले कई सामानों पर 25% टैरिफ लागू किया जाएगा। ट्रंप ने भारत पर रूस से हथियार और कच्चा तेल खरीदने का आरोप लगाया और कहा कि इससे अमेरिका को आर्थिक नुकसान हो रहा है।
ट्रंप ने लिखा, “भारत और अमेरिका के बीच व्यापार घाटा बहुत ज्यादा है। भारत लगातार रूस से तेल और हथियार खरीद रहा है। यह स्थिति अमेरिका के हितों के खिलाफ है और अब इसका जवाब टैरिफ के रूप में मिलेगा।”
भारतीय सरकार ने ट्रंप के इस निर्णय पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा है कि वह इस कदम के प्रभावों का मूल्यांकन कर रही है और राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएगी।
पाकिस्तान ने नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया
दिलचस्प बात यह है कि पाकिस्तान ने हाल ही में डोनाल्ड ट्रंप को 2026 के नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामांकित किया है। पाकिस्तान सरकार का कहना है कि ट्रंप की कूटनीतिक कोशिशों ने भारत और पाकिस्तान के बीच युद्ध की स्थिति को टालने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
पाकिस्तान के अनुसार, 2024 के संघर्ष काल के दौरान ट्रंप प्रशासन ने दोनों देशों से संपर्क कर एक प्रभावी संघर्ष विराम में मदद की। पाकिस्तान के आधिकारिक बयान में कहा गया है, “ट्रंप की मध्यस्थता ने दो परमाणु शक्ति संपन्न देशों के बीच युद्ध को टालने में अहम योगदान दिया।”