इस्लामाबाद: जब किसी देश की हालत खुद ही डांवाडोल हो, जब वहां की जनता महंगाई, बेरोजगारी और भुखमरी से जूझ रही हो, तब उसके नेताओं का ध्यान समस्याओं को सुलझाने के बजाय पड़ोसी देश को धमकी देने में लग जाए, तो सवाल उठना लाज़मी है। पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो और सेनाध्यक्ष आसिम मुनीर के हालिया बयानों से एक बार फिर यही झलक मिलती है। भारत को लेकर उनकी जुबानी जंग ने एक बार फिर यह साफ कर दिया है कि पाकिस्तान की राजनीति में भारत विरोध को कैसे हथियार की तरह इस्तेमाल किया जा रहा है।
बिलावल ने सिंधु जल संधि को लेकर दी धमकी
हाल ही में पाकिस्तान के पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने भारत को खुली धमकी देते हुए कहा कि यदि भारत सिंधु जल संधि को स्थगित रखता है और बांध बनाता है, तो इससे युद्ध की स्थिति पैदा हो सकती है। उन्होंने पाकिस्तान की जनता से समर्थन की अपील करते हुए कहा कि हमें मिलकर भारत की ‘ज्यादतियों’ का विरोध करना होगा। उन्होंने यह भी दावा किया कि पाकिस्तान की आवाम इतनी ताकतवर है कि जंग में भारत को टक्कर दे सकती है और “छहों दरिया” को वापस लेने की बात कही।
भुट्टो के ये शब्द न सिर्फ भड़काऊ थे, बल्कि यह भी दर्शाते हैं कि पाकिस्तान के नेता अब भी पुरानी सोच से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं। जब पूरा विश्व विकास, शांति और सहयोग की बात कर रहा है, तब पाकिस्तान के नेता युद्ध की भाषा बोल रहे हैं।
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अमन की बात करता पाकिस्तान
बिलावल भुट्टो ने यह भी कहा कि पाकिस्तान ने कभी युद्ध नहीं चाहा, हम हमेशा अमन की बात करते हैं। लेकिन इसी भाषण में उन्होंने जंग के लिए तैयार रहने की बात भी कही। यह दोहरा मापदंड बताता है कि पाकिस्तान की राजनीति में “अमन” केवल एक दिखावा है। उन्होंने यह तक कह दिया कि अगर भारत हमला करता है, तो पाकिस्तान का हर सूबा लड़ने के लिए तैयार है और ये ऐसी जंग होगी जो भारत हारेगा।
इस तरह की भाषा और बयानबाजी अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में एक गंभीर चिंता का विषय है। ये न केवल पड़ोसियों के साथ रिश्ते खराब करते हैं, बल्कि अपनी ही जनता को गुमराह भी करते हैं।
अमेरिका से आसिम मुनीर की परमाणु धमकी
बात सिर्फ बिलावल भुट्टो तक सीमित नहीं रही। पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष जनरल आसिम मुनीर ने तो एक कदम आगे बढ़कर भारत को परमाणु युद्ध की धमकी तक दे डाली। अमेरिका में एक कार्यक्रम के दौरान उन्होंने कहा कि अगर भारत ने सिंधु नदी पर बांध बनाए तो पाकिस्तान के पास मिसाइलें हैं, और हम उन्हें इस्तेमाल करने से पीछे नहीं हटेंगे।
मुनीर ने यह भी कहा कि अगर पाकिस्तान को डुबोने की कोशिश की गई, तो वे “आधी दुनिया को साथ लेकर डूबेंगे”। इस तरह की धमकियां ना सिर्फ गैर-जिम्मेदाराना हैं, बल्कि दुनिया को एक बड़े खतरे की ओर भी इशारा करती हैं। जब एक देश का सेनाध्यक्ष इस तरह के बयान देता है, तो उससे उसकी मंशा और मानसिकता का अंदाज़ा लगाया जा सकता है।
असलियत में पाकिस्तान की हालत कितनी खराब है?
बिलावल भुट्टो और आसिम मुनीर भले ही जंग की बात कर रहे हों, लेकिन जमीनी सच्चाई कुछ और ही है। पाकिस्तान की आर्थिक हालत बदतर हो चुकी है। IMF से बार-बार कर्ज लेना, डॉलर की किल्लत, महंगाई और 25 करोड़ लोग भुखमरी की कगार पर खड़े हैं। ऐसे में युद्ध की धमकी देना क्या वाकई तर्कसंगत है?
जब घर में चूल्हा नहीं जल रहा हो, तब तलवारें चमकाने की कोशिश जनता को बरगलाने का प्रयास ही कहलाएगा। पाकिस्तान को अब जरूरत है अपनी नीतियों पर पुनर्विचार करने की, ना कि युद्ध की।
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