Flood: उत्तराखंड के देहरादून में मंगलवार की सुबह लोगों की नींद उस आवाज़ से टूटी जो किसी पहाड़ के टूटने जैसी थी। सहस्त्रधारा इलाके में जब सुबह 5 बजे बादल फटा, तो वहां की नदियां उफान पर आ गईं और इंसानी ज़िंदगी को तहस-नहस कर गईं। तमसा नदी, कारलीगाड़ और सहस्त्रधारा नदी का जलस्तर इतना बढ़ा कि सड़कों से लेकर घरों तक, हर तरफ पानी और मलबे का सैलाब उमड़ पड़ा।
देहरादून का प्रसिद्ध सहस्त्रधारा इलाका जो आमतौर पर पर्यटकों की भीड़ से गुलजार रहता है, अब एक खामोश और दर्दनाक मंजर पेश कर रहा है। बाढ़ ने न सिर्फ रास्तों को निगल लिया, बल्कि लोगों के घर, दुकानें और सपने भी बहा दिए। आसपास के तपोवन, आईटी पार्क, घंगौरा और घड़ीकैंट जैसे इलाकों में पानी भरने से लोग सुरक्षित स्थानों की ओर भागते नजर आए।
स्थानीय लोगों की मानें तो बारिश इतनी तेज़ थी कि पहले तो लगा मानो कोई पहाड़ गिर गया हो। जब सुबह की रोशनी फैली, तब असल मंजर सामने आया- कई घर मिट्टी में दबे हुए थे और जीवन की हर चीज़ तबाही के निशान के नीचे दबी थी।
टपकेश्वर महादेव मंदिर भी नहीं बच सका
देहरादून के ऐतिहासिक और धार्मिक स्थल टपकेश्वर महादेव मंदिर भी इस बाढ़ की चपेट में आ गया। तमसा नदी का जलस्तर इतना बढ़ा कि मंदिर परिसर पूरी तरह पानी में डूब गया। मंदिर के पुजारी ने बताया कि “सुबह 5 बजे के करीब अचानक नदी का पानी तेजी से मंदिर में भर गया। कई मूर्तियां बह गईं, दुकानों का नामोनिशान मिट गया, लेकिन गर्भगृह किसी चमत्कार की तरह सुरक्षित रह गया।”
पानी उतरने के बाद जब लोग मंदिर पहुंचे तो वहां करीब 2 फीट तक मलबा भरा मिला। आस्था की इस जगह को फिर से संवारने में वक्त लगेगा, लेकिन जो भावनात्मक क्षति हुई है, उसकी भरपाई शायद कभी ना हो सके।
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SDRF और NDRF ने संभाला मोर्चा
जैसे ही बादल फटने और बाढ़ की खबर फैली, SDRF, NDRF और स्थानीय प्रशासन की टीमें मौके पर पहुंचीं और राहत-बचाव कार्य शुरू किया गया। सहस्त्रधारा में 5 लोगों को सुरक्षित निकाला गया, लेकिन 2 लोग अब भी लापता हैं जिनकी तलाश जारी है। लोग डरे हुए हैं और बड़ी संख्या में परिवार सुरक्षित जगहों की ओर पलायन कर रहे हैं।
मंडी में भूस्खलन से 3 मौतें, बसें बह गईं
देहरादून की तबाही के साथ-साथ हिमाचल प्रदेश का मंडी जिला भी कुदरत के कहर से नहीं बच सका। धर्मपुर बस स्टैंड पर हुई मूसलधार बारिश के बाद वहां इतनी ज्यादा मिट्टी और मलबा आ गया कि कई बसें बह गईं। मंडी के निहरी गांव में लैंडस्लाइड के कारण एक ही परिवार के पांच लोग मलबे में दब गए। इनमें से तीन की मौके पर ही मौत हो गई। चट्टानों का मलबा एक मकान पर गिरा और पूरा घर धराशायी हो गया।
हिमाचल के कई इलाकों में स्थिति बेहद खराब है। 3 नेशनल हाईवे बंद हैं, 493 सड़कों पर आवाजाही पूरी तरह ठप है। प्रशासन युद्धस्तर पर काम कर रहा है, लेकिन लगातार बारिश राहत कार्यों में बाधा डाल रही है।
बीड में वायुसेना ने बचाए 11 लोग
देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में भी बारिश ने शहर को घुटनों पर ला दिया। रेलवे ट्रैक से लेकर सड़कों और सबवे तक पानी ही पानी नजर आया। बीड जिले में हालात इतने बिगड़ गए कि 11 ग्रामीणों को वायुसेना की मदद से एयरलिफ्ट करना पड़ा। ये लोग कई घंटों से बाढ़ के बीच फंसे हुए थे।
शिमला में रिकॉर्ड तोड़ बारिश
हिमाचल के शिमला में पिछले 24 घंटे में 141.0 मिलीमीटर बारिश दर्ज की गई, जो इस सीज़न की सबसे भारी बारिश में से एक है। अन्य जगहों की बात करें तो नगरोटा सूरिया में 135.2MM, भटियाता में 80.0MM, सुंदरनगर में 60.5MM बारिश दर्ज हुई। मौसम विभाग ने अभी और बारिश की चेतावनी जारी की है, जिससे स्थिति और बिगड़ सकती है।
लोगों का पलायन और टूटती उम्मीदें
सहस्त्रधारा में रहने वाले लोगों के लिए यह बारिश सिर्फ एक मौसमी घटना नहीं थी, यह उनके जीवन की सबसे बड़ी त्रासदी बन गई। कई परिवार अब भी सदमे में हैं। एक स्थानीय निवासी ने बताया, “जब घटना हुई, मैं रात की ड्यूटी पर था। बच्चों ने मंदिर में रात बिताई। अब मैं परिवार को किसी सुरक्षित जगह ले जा रहा हूं, लेकिन सड़कों की हालत बेहद खराब है।”
एक अन्य व्यक्ति ने कहा, “हमारे पीछे का पहाड़ टूट गया, घर बह गया। हमने किसी तरह जान बचाई, लेकिन जो खोया है, वो शायद अब कभी वापस नहीं आएगा।”
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