Nepal New PM: नेपाल एक बार फिर राजनीति की भट्ठी में तप रहा है। जनाक्रोश, तख्तापलट, हिंसा, संसद का विघटन ये सब ऐसे शब्द हैं जो इस समय नेपाल की धरती पर गूंज रहे हैं। ऐसे नाजुक वक्त में एक महिला नेता, एक पूर्व न्यायाधीश, और एक शिक्षित, सशक्त आवाज को देश की बागडोर सौंपी जा रही है। सुशीला कार्की, जो पहले नेपाल की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश थीं, अब नेपाल की अंतरिम प्रधानमंत्री बनने जा रही हैं। यह केवल एक राजनीतिक बदलाव नहीं, बल्कि नेपाल के लोकतंत्र के लिए एक नई शुरुआत हो सकती है।
कौन हैं सुशीला कार्की?
सुशीला कार्की का नाम नेपाल में नई उम्मीद की तरह लिया जा रहा है। उन्होंने न सिर्फ न्यायपालिका में अपने साहसी फैसलों के लिए पहचान बनाई, बल्कि अब वे उस समय देश की कमान संभालने जा रही हैं जब नेपाल चारों ओर से संकट में घिरा हुआ है।
उन्होंने अपनी पढ़ाई भारत के प्रतिष्ठित बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (BHU) से की, जहां से उन्होंने राजनीति विज्ञान में पोस्ट ग्रेजुएशन किया। इसके बाद 1979 में वे वकालत के पेशे में आईं और कई वर्षों तक न्यायपालिका में कार्य करते हुए नेपाल की पहली महिला चीफ जस्टिस बनीं।
2016 से 2017 तक के उनके कार्यकाल में उन्होंने कई विवादास्पद और ऐतिहासिक फैसले लिए। यही कारण था कि 2017 में उनके खिलाफ महाभियोग तक लाया गया, जिसमें उन पर पक्षपात और कार्यपालिका में हस्तक्षेप जैसे गंभीर आरोप लगाए गए। लेकिन सच्चाई यह थी कि वे एक स्वतंत्र, निडर और ईमानदार जज थीं, जिनकी लोकप्रियता समय के साथ और भी बढ़ी।
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तख्तापलट के बाद उथल-पुथल
नेपाल इस वक्त गहरे राजनीतिक संकट से गुजर रहा है। 9 सितंबर को देश में उस समय हड़कंप मच गया, जब Gen-Z आंदोलनकारियों ने हिंसक प्रदर्शन करते हुए संसद भवन, राष्ट्रपति भवन और तत्कालीन प्रधानमंत्री ओली के निजी आवास पर हमला कर दिया। कई सरकारी इमारतों में आग लगा दी गई, जिसके बाद पूरे देश में तनाव फैल गया।
अब तक इस हिंसा में 51 से ज्यादा लोग जान गंवा चुके हैं और 1000 से अधिक लोग घायल हुए हैं। इन हालातों के बीच नेपाल के राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल ने संसद भंग करने का फैसला लिया है। यह कदम भारी आलोचना के घेरे में है लेकिन कहा जा रहा है कि जनाक्रोश को देखते हुए यह निर्णय लिया गया है।
क्यों चुनी गईं सुशीला कार्की?
जब देश किसी संकट में होता है, तो जनता एक मजबूत, निष्पक्ष और अनुभवी नेतृत्व की तलाश करती है। सुशीला कार्की में ये सभी खूबियाँ मौजूद हैं। एक पूर्व जज होने के नाते वे कानून, संविधान और लोकतंत्र की गहराई से समझ रखती हैं। यही वजह है कि राष्ट्रपति, आर्मी और Gen-Z नेताओं के बीच कई बैठकों के बाद आखिरकार उनके नाम पर मुहर लगी।
उनका समर्थन न सिर्फ राजनीतिक दलों से, बल्कि काठमांडू के मेयर बालेन शाह जैसे लोकप्रिय युवा नेताओं से भी मिल रहा है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, आज रात 8:45 बजे वे राष्ट्रपति भवन में शपथ लेंगी और अपने कार्यकाल की शुरुआत करेंगी।
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