इस्लामाबाद: दुनिया के सबसे संवेदनशील देशों में से एक, भारत और पाकिस्तान के रिश्ते एक बार फिर तनाव की तरफ बढ़ते नजर आ रहे हैं। इस बार मामला केवल शब्दों या कूटनीतिक बयानबाजी तक सीमित नहीं है, बल्कि सीधे तौर पर भारतीय राजनयिकों के जीवन को प्रभावित करने तक जा पहुंचा है। इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान ने इस्लामाबाद में तैनात भारतीय डिप्लोमैट्स के घरों की बुनियादी ज़रूरतों को रोक दिया है। ये कदम ना केवल अमानवीय है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय नियमों का भी सीधा उल्लंघन है।
पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में तैनात भारतीय राजनयिकों के घरों की गैस सप्लाई अचानक बंद कर दी गई है। इसके साथ ही स्थानीय सिलेंडर डीलर्स को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि वे भारतीय डिप्लोमैट्स को एलपीजी सिलेंडर न दें। यह फैसला एक सोची-समझी योजना का हिस्सा बताया जा रहा है, जिसे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI ने अंजाम तक पहुंचाया है।
गैस की आपूर्ति ही नहीं, पाकिस्तान ने भारतीय राजनयिकों को मिलने वाली मिनरल वाटर की बोतलें और दैनिक अखबारों की सप्लाई भी बंद कर दी है। यानी अब भारतीय अफसरों को पीने का साफ पानी और खबरें पढ़ने तक के लिए जूझना पड़ रहा है। यह स्थिति न केवल असुविधाजनक है, बल्कि यह दर्शाता है कि कूटनीति के मंच पर भी पाकिस्तान अब मर्यादाएं पार करने से नहीं हिचक रहा।
ऑपरेशन सिंदूर का बदला या सस्ती राजनीति?
7 मई की रात भारत ने “ऑपरेशन सिंदूर” के तहत पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में स्थित आतंकी ठिकानों पर सर्जिकल स्ट्राइक की थी। सेना ने दावा किया कि इस कार्रवाई में 100 से अधिक आतंकी मारे गए थे। यह हमला लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठनों के मुख्य अड्डों पर किया गया था।
इस कार्रवाई के बाद से पाकिस्तान लगातार बौखलाया हुआ है और अब उसने छोटे-छोटे लेकिन नीचले स्तर के कूटनीतिक कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। जानकार मानते हैं कि यह गैस, पानी और अखबार की सप्लाई रोकना उसी बदले की भावना से प्रेरित है।
भारत ने भी दिया जवाब, पर संयम के साथ
हालांकि भारत ने पाकिस्तान की इस हरकत का जवाब भी उसी अंदाज में दिया, लेकिन बहुत ही संतुलित और मर्यादित तरीके से। दिल्ली स्थित पाकिस्तानी हाई कमीशन को अब भारतीय अखबार नहीं भेजे जा रहे हैं।
भारत ने यह कदम स्पष्ट रूप से यह दिखाने के लिए उठाया कि हम जवाब देने में सक्षम हैं, लेकिन हम अंतरराष्ट्रीय नियमों का सम्मान करते हुए अपनी सीमाएं नहीं लांघते। भारत हमेशा से कूटनीति में शालीनता और गरिमा का पक्षधर रहा है।
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भारत के डिप्लोमैट्स पहले भी हुए हैं परेशान
यह पहली बार नहीं है जब पाकिस्तान ने इस तरह की घटिया हरकत की हो। 2019 में पुलवामा हमले के बाद जब भारत ने एयर स्ट्राइक की थी, तब भी पाकिस्तान ने भारतीय राजनयिकों को परेशान करने की सीरीज शुरू कर दी थी।
उस समय भारतीय उच्चायुक्त अजय बिसारिया, उप उच्चायुक्त जे.पी. सिंह और अन्य अधिकारियों को पीछा किया गया, उन्हें फर्जी फोन कॉल्स किए गए और यहां तक कि उनके सुरक्षा गार्ड्स से भी पूछताछ की गई।
द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इस्लामाबाद में भारतीय अधिकारियों को परेशान करने की 19 घटनाएं दर्ज हुई थीं। यह सब जानबूझकर किया गया था, ताकि राजनयिकों का मनोबल तोड़ा जा सके।
हाई कमीशन किया वियना कन्वेंशन का उल्लंघन
पाकिस्तान का यह कदम सिर्फ कूटनीतिक असभ्यता नहीं, बल्कि वियना कन्वेंशन ऑन डिप्लोमैटिक रिलेशंस (1961) का सीधा उल्लंघन है। इस कन्वेंशन के आर्टिकल 25 में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि मेज़बान देश को राजनयिक मिशनों को सभी आवश्यक सुविधाएं देनी होंगी, ताकि वे बिना किसी भय या हस्तक्षेप के अपना काम कर सकें।
गैस, पानी और अखबार जैसी बुनियादी ज़रूरतों को रोकना न केवल गैर-जिम्मेदाराना हरकत है, बल्कि यह राजनयिक गरिमा और सुरक्षा के मूल सिद्धांतों के खिलाफ है।
भारतीय हाई कमीशन के बाहर भी हंगामा
पाकिस्तान की यह हरकत तब और गंभीर हो जाती है जब अप्रैल महीने की एक घटना को याद किया जाए। उस समय भारतीय हाई कमीशन के बाहर पाकिस्तान में प्रदर्शनकारियों की भीड़ जमा हुई थी।
इनमें से कुछ ने गेट फांदकर अंदर घुसने की कोशिश भी की और भारत विरोधी नारे लगाए। खास बात यह रही कि उस दौरान हाई कमीशन के बाहर से सुरक्षा को जानबूझकर हटा लिया गया था। यह स्थिति किसी भी देश के राजनयिक मिशन के लिए गंभीर खतरे की घंटी है।
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